• जीएलए मैकेनिकल के छात्रों का “इफेक्टिव वाईब्रेशनल हॉर्न“ आईडिया का पेटेंट हुआ पब्लिश

मथुरा : इंजीनियरिंग से अवसरों के तमाम रास्ते खुलते हैं, जरूरत है तो सिर्फ नई खोज की। इसी खोज का एक नया परिणाम जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के मैकेनिकल विभाग के अंतिम वर्ष के छात्रों ने सुझाया है। छात्रों के इस विचार का पेटेंट पब्लिश हो चुका है।

‘इफेक्टिव वाईब्रेशनल हॉर्न‘ विषय पर आधारित मैकेनिकल विभाग के अंतिम वर्ष के छात्रों का यह आईडिया कार एवं अन्य बडे़ वाहन चालकों के लिए सुविधाजनक साबित होगा। छात्रा श्रुति जेटली और छात्र राहुल शर्मा ने डा. नवीन कुमार गुप्ता के दिशा-निर्देशन में सुझाए आईडिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वाहन चालक अक्सर गाड़ी चलाते समय अपने पसंदीदा गाने सुनते रहने के कारण सभी शीशे बंद कर ड्राइव करना पसंद करते हैं। जिस कारण पीछे चलने वाले वाहन और ओवरटेक करने वाले वाहनों का हॉर्न सुनाई नहीं पड़ता, जिससे खतरे की संभावना बनी रहती है।

इसी खतरे को भांपते हुए जीएलए विश्वविद्यालय मैकेनिकल के छात्रों ने इस समस्या के कहीं हद तक समाधान हेतु एक आईडिया सुझाया है। छात्र राहुल ने बताया कि “इफेक्टिव वाईब्रेशनल हॉर्न“ तकनीक वाहन का चालक का ध्यान पीछे से आती उन गाड़ियों की ओर आकर्षित करेगा, जिन्हें आमतौर पर एक वाहन चालक नज़र-अंदाज़ कर देता है, जिससे अनदेखा किये गए वाहनों या ब्लाइंड स्पॉट में आती हुई गाड़ियों से सचेत किया जा सकता है। साथ ही गाड़ी टर्न करते वक़्त बेहतर अंदाजा और सुरक्षा बरती जा सकती है।

छात्रों ने बताया कि इस प्रणाली में बेसिक सेंसर्स जैसे अल्ट्रासोनिक सेंसर व आईआर सेंसर का प्रयोग करते हुए सिग्नल को रिसीव किया जाता है। माइक्रोकंट्रोलर ऑर्डिनो मेगा जो इस अविष्कार का मुख्य भाग है जहां अविष्कार की सारी योजना प्रक्रम होती है। साथ ही यहां सेंसर जैसे अल्ट्रासोनिक सेंसर से सिग्नल रिसीव करता है। फिर वह सिग्नल माइक्रोकंट्रोलर में प्रोसेस होता है तब गाड़ी के स्टेयरिंग व्हील पर माउंटेड वाईब्रेशनल मोटर को एक्टिवेट कर देती है, जिससे ड्राइवर को अपने हाथों में एक छोटी ही हलचल यानि (वाइब्रेषन) महसूस होगा, जो कि वाहन चालक सचेत करने का काम करेगा। यह प्रणाली अल्ट्रासोनिक सेंसर के सिग्नल सर्किट कम्पलीट होने पर शुरू होती है।

डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा कहते है कि छात्रों के इस आइडिया के प्रयोग से नजर अंदाज हुए एक्सीडेंट्स को एक हद तक रोका या टाला जा सकता है, जिससे सड़क पर चलना और आसान किया जा सकता है। इसलिए छात्रों ने नई तकनीक के अविष्कार को जन्म देने की कोशिश की है। सब कुछ ठीक रहा तो यह अविष्कार जल्द ही वाहनों में जुड़ कर अच्छे तरीके से उपयोग में लिया जायेगा।

विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने बताया कि रिसर्च के क्षेत्र में जितना आगे बढ़ा जाये वह कम है। क्योंकि वर्तमान समय आधुनिकता का है और आधुनिकता के दौर में अधिकतर व्यक्ति भागमभाग वाली ज़िंदगी के साथ चल रहा है। छात्रों का यह अविष्कार वाहन मालिक और चालकों के लिए अहम साबित होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

banner