लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अनुदानित प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने में ‘खेल’ का खुलासा हुआ है। इससे प्रदेश भर के 1392 शिक्षकों में हड़कंप मचा है। माना जा रहा है कि अब आठ साल बाद इन शिक्षकों से रिकवरी हो सकती है। बहरहाल शासन के विशेष सचिव रजनीश चंद्रा ने समाज कल्याण विभाग के निदेशक को पत्र लिखकर इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है। मामला साल 2016 का है। उस समय के तत्कालीन निदेशक ने शासन और वित्त विभाग की अनुमति लिए बिना इन शिक्षकों को सातवें वेतनमान की संस्तुति के अनुरूप से वेतनवृद्धि का लाभ दे दिया।
आठ साल बाद सामने आई आपत्ति, शासन तक मचा हड़कंप
अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय शिक्षक एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री पूर्णमासी दीन ने बताया कि शासन ने आठ साल बाद इस मामले में आपत्ति जताई है। इससे समाज कल्याण विभाग के अनुदानित स्कूल में कार्यरत शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि सातवें वेतनमान के भुगतान में निदेशक की एक गलती के कारण शिक्षकों के सामने संकट खड़ा हो गया है। समाज कल्याण विभाग के अनुदानित स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के साथ सालों से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है।
अब जानिए आखिर मामला क्या है?
दरअसल, साल 2016 में सातवें वेतन आयोग की संस्तुति पर प्रदेश के जिन शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ मिलना था। उसमें सहायता प्राप्त स्कूल और सरकारी स्कूलों के शिक्षक शामिल थे। उस समय की तत्कालीन सरकार ने एक आदेश में कहा कि सहायता प्राप्त स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ देने के लिए अलग से वित्त विभाग की स्वीकृति जरूरी नहीं है। इसी के आधार तत्कालीन निदेशक ने समाज कल्याण विभाग से अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने का आदेश जारी कर दिया। जबकि ये स्कूल सहायता प्राप्त विद्यालयों की श्रेणी में नहीं आते हैं।
छठे वेतनमान के आदेश में भी हुई थी गड़बड़ी
यूपी में इससे पहले भी इसी प्रकार की गड़बड़ी छठवां वेतनमान जारी करने में भी हुई थी। जिस पर शासन ने रिकवरी का आदेश जारी किया था। इसपर शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली थी। न्यायालय ने शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए वेतन रिकवरी के आदेश पर रोक लगा दी थी। इससे शिक्षकों को बढ़ा हुआ वेतन वापस नहीं करना पड़ा। अब शिक्षकों को फिर से डर सता रहा है कि कहीं बढ़े हुए वेतन की रिकवरी का आदेश जारी न हो जाए।
रिकवरी हुई तो आठवें वेतनमान के भुगतान में होगी अड़चन
अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय शिक्षक एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री पूर्णमासी दीन ने बताया कि अगर इन शिक्षकों से बढ़े हुए वेतन की रिकवरी होगी तो मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। सातवें वेतनमान का भुगतान नियम संगत न होने पर भविष्य में आठवें वेतनमान के भुगतान में अड़चन आएगी। इस गड़बड़ी के कारण हाईकोर्ट में पेंशन की लड़ाई लड़ रहे सेवानिवृत्त शिक्षकों की लड़ाई भी कमजोर हो रही है क्योंकि नियम संगत भुगतान नहीं होगा तो भविष्य में किसी भी लाभ के दावेदार नहीं होंगे।
बिना वित्त विभाग की अनुमति लाभ देने का मांगा गया स्पष्टीकरण
समाज कल्याण विभाग से अनुदानित प्रदेश के 443 प्राथमिक विद्यालयों के 1392 शिक्षकों को आठ साल पहले मिले सातवें वेतनमान पर अब आपत्ति उठी है। शासन के विशेष सचिव रजनीश चन्द्रा ने 29 जुलाई को समाज कल्याण विभाग के निदेशक को पत्र लिखकर बगैर वित्त विभाग की अनुमति के सातवां वेतनमान जारी करने पर स्पष्टीकरण मांगा है। शासन के आठ साल बाद मामला संज्ञान में लेने से अनुदानित विद्यालयों के शिक्षकों में हड़कंप मचा है।