नई दिल्ली : देश में भारी बारिश से खराब हुई सड़कों के कारण आलोचना झेल रही केंद्र सरकार अब अच्छी सड़कों के लिए दोहरा एक्शन लेने की तैयारी कर रही है। सरकार एक तरफ नियमों में सुधार कर ठेकेदारों की जवाबदेही बढ़ाएगी वहीं इंजीनियरिंग की खामियां छोड़ने वाले और खराब सड़कें बनाने वालों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई की जाएगी। जानकार सूत्रों ने बताया कि हाईवे और अन्य सड़कों को दुरुस्त रखने (गारंटी पीरियड) की ठेकेदार की जिम्मेदारी पांच साल से बढ़ा कर 10 साल की जा रही है। साथ ही खराब सड़कें बनाने वाले ठेकेदारों या फर्मों की सूची तैयार की जा रही ताकि उन्हें ब्लैक लिस्ट करने के साथ दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सके।

दरअसल देश में सड़क निर्माण परियोजनाएं अलग-अलग तरीके से चलती हैं। सबसे प्रचलित तरीका ईपीसी है यानी इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण। ऐसी परियोजना में सरकार पैसा लगाती है और ठेकेदार इंजीनियरिंग, सामग्री खरीद और निर्माण करवाता है। इन परियोजनाओं में ठेकेदारों के लिए किसी प्रकार की कमी या खराबी को ठीक करने गारंटी केवल पांच साल रहती है। उसके बाद रखरखाव और मरम्मत का जिम्मा सरकार के पास आ जाता है। सरकारी सिस्टम में ज्यादातर सड़कें ईपीसी के आधार पर ही बनाई जाती है। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने माना है कि ईपीसी की सड़कों की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। अब सरकार गारंटी अवधि बढ़ाकर दोगुनी, यानी 10 साल करेगी तो ठेकेदार को उच्च गुणवत्ता की सड़क बनानी होगी।

टोल रोड ठीक, मॉनिटरिंग की कमी पर हाेगी कार्रवाई

सामान्यत: बिल्ड, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल यानी टोल वाली सड़कों की गुणवत्ता अन्य सड़कों के मुकाबले ठीक रहती है। इन परियोजनाओं में सड़कों के रखरखाव की स्थाई जिम्मेदारी ठेकेदार की होती है लेकिन सरकारी अधिकारियों की पर्याप्त मॉनिटरिंग और जरूरी कार्रवाई के अभाव में इन सड़कों के टूटने बावजूद मरम्मत और सुधार नहीं होता। जनता टूटी सड़काें पर चलने के बावजूद टोल देने को मजबूर होती है।सूत्रों ने बताया कि अब सरकार ने ऐसे मामलों में मॉनिटरिंग बढ़ाने, गुणवत्ता व रखरखाव शर्तों का पालन नहीं करने वाले ठेकेदारों पर जुर्माने आदि का जरूरी एक्शन लेने और भविष्य के लिए ब्लैक लिस्ट करने जैसी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है।

खराब सड़क और इंजीनियरिंग दुर्घटना का बड़ा कारण

देश में तेज रफ्तार के अलावा खराब सड़कें या हाइवे की गलत डिजाइन भी दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है। देश में हर साल करीब 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, इनमें से आधे से अधिक दुर्घटनाओं के शिकार 18-36 वर्ष की आयु वर्ग वाले होते हैं। वर्ष 2022 में भारत में सड़कों पर 4,61,312 हादसे हुए जिनमें 1,68,491 लोगों की मौत हुई और 4,43,366 घायल हुए। साल 2018 से 2022 के बीच सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में करीब 6.9 फीसदी की वृद्धि हुई। ऐसे में सड़कों की गुणवत्ता सुधारकर हादसों को कम करना सरकार की प्राथमिकता है। माना जाता है कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश की जीडीपी का करीब 3 प्रतिशत नुकसान होता है।

लोकप्रिय गडकरी की हुई आलोचना, मीम बने

पिछले दिनों देश में मानसून की अच्छी बरसात के कारण गांव-शहर की सड़कों के साथ जिला-स्टेट और नेशनल हाईवे पर भी बड़े पैमाने पर सड़कें क्षतिग्रस्त हुई। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, जयपुर-दिल्ली हाईवे पर भी सड़कें टूटीं। यहां तक कि उत्तर प्रदेश- बिहार सहित कुछ राज्यों में ऐसे भी उदाहरण सामने आए जिसमें उद्घाटन के चंद दिनों बाद ही सड़क उखड़ी मिली। सड़क निर्माण में तेजी और नवाचारों के लिए पार्टी सीमाओं से इतर भी लोकप्रिय हुए सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया पर खूब मीम बने। गडकरी ने हालिया कई मौकों पर ठेकेदारों की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है। वे एक कार्यक्रम में कह चुके हैं कि हम लोगों को निलंबित करने और ठेकेदारों पर जुर्माना लगाने का एक विश्व रिकॉर्ड बनाएंगे क्योंकि वे अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कें ही बनाना चाहते हैं।

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