जयपुर : राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अजमेर दरगाह परिसर में शिव मं​दिर ​होने के दावे से उठे विवाद को लेकर बीजेपी, आरएसएस और पीएम नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने कहा- 15 अगस्त 1947 तक बने जो भी धार्मिक स्थान जिस स्थिति में हैं, वे उसी में रहेंगे, यह कानून बना हुआ है। उन पर सवाल उठाना गलत है।

गहलोत ने ये भी कहा- अजमेर दरगाह 800 साल पुरानी है। दुनियाभर से लोग यहां आते हैं। दुनिया के मुल्कों के मुस्लिम भी आते हैं, हिंदू भी आते हैं। प्रधानमंत्री कोई भी हो, कांग्रेस, बीजेपी या किसी दल के हों, पंडित नेहरू के जमाने से मोदी जी तक तमाम प्रधानमंत्री की तरफ से दरगाह में चादर चढ़ती है। चादर चढ़ाने के अपने मायने होते हैं। आप चादर भी चढ़ा रहे हैं और आपकी पार्टी के लोग कोर्ट में केस भी कर रहे हैं। आप भ्रम पैदा कर रहे हैं तो लोग क्या सोच रहे होंगे?

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जहां अशांति है वहां विकास नहीं हो सकता, वहां विकास ठप हो जाता है। ये बात किसको कहनी चाहिए, ये बातें मोदी जी और आरएसएस को करनी चाहिए। देश अभी वो चला रहे हैं।

15 अगस्त, 1947 तक बने धर्मस्थलों पर सवाल उठाना गलत

पूर्व सीएम ने कहा- जहां तक मुझे जानकारी है, धार्मिक स्थान किसी भी धर्म के हों, 15 अगस्त 1947 तक जो बने हुए हैं, उस पर सवाल नहीं होना चाहिए, इसका कानून बना हुआ है। जब से आरएसएस, बीजेपी सरकार आई है, आप देख रहे हो, देश में धर्म के नाम पर राजनीति चल रही है।

चुनाव चाहे महाराष्ट्र का हो, चाहे हरियाणा का हो, चाहे पार्लियामेंट का हो, सारे चुनाव ध्रुवीकरण के आधार पर जीते जा रहे हैं। खुलकर धर्म के आधार पर ये लोग टिकट बांट रहे हैं। देश में स्थिति तो बड़ी विकट है। यह स्थिति आसान नहीं है। यह तो इनको खुद को देखने की बात है, जो आज शासन में हैं।

‘पक्ष और विपक्ष में बढ़ गईं दूरियां’

गहलोत ने कहा- शासनकर्ता की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। सत्ता में जो हैं, उनकी जिम्मेदारी होती है कि विपक्ष को साथ लेकर चलें, विपक्ष की भावना का आदर करें, जो कि ये नहीं कर रहे हैं। पक्ष और विपक्ष में दूरियां बढ़ती जा रही हैं, वह अपनी जगह है।

पूर्व सीएम बोले- जब 15 अगस्त 1947 की स्थिति में संसद में कानून पास हो गया, उसके बावजूद मंदिर दरगाह में क्या था, पहले क्या था उसी में फंसे रहेंगे तो देश के मूल मुद्दों का क्या होगा? मूल मुद्दे क्या हैं, यह ज्यादा महत्व रखता है? महंगाई, बेरोजगारी, विकास का मुद्दा है, अर्थव्यवस्था का है, सामाजिक न्याय और सामाजिक व्यवस्थाओं का मुद्दा है।

‘मोदी और आरएसएस को छुआछूत मिटाने का अभियान चलाना चाहिए’

गहलोत ने कहा- आरएसएस कहता है कि हम सांस्कृतिक संगठन हैं। हिंदुओं की रक्षा करते हैं। सब जातियों को साथ लेकर चलते हैं। हिंदू चाहे वह दलित वर्ग के हों, चाहे ओबीसी के हों, चाहे कोई कास्ट के हों, सब हिंदू हैं। आरएसएस को छुआछूत, भेदभाव को मिटाने के लिए अभियान चलाना चाहिए।

जब मोदी कहते हैं कि मैं थाली और ताली बजवा सकता हूं। कुछ भी कर सकता हूं और देश उनकी बात सुनता है तो सबसे पहले काम उनको यही करना चाहिए था। एक तारीख देनी चाहिए थी कि इस तारीख के बाद में कोई छुआछूत नहीं होगा। सब एक समान हैं, यह होना चाहिए था। यह बात ये करते नहीं हैं।

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