- पहलवानों का ऐलान- बृजभूषण सिंह के जेल जाने तक जारी रहेगा धरना
नई दिल्ली : यौन शोषण के आरोपों पर दिल्ली पुलिस रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर शुक्रवार को ही केस दर्ज करेगी। दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में यह बयान दिया है। 21 अप्रैल को एक नाबालिग समेत 7 महिला रेसलर्स ने बृजभूषण के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत की थी। केस ना दर्ज होने पर रेसलर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की।
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से साफ इनकार कर दिया था। जिसके बाद महिला पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। महिला पहलवानों का कहना है कि ‘हमने देश का सम्मान बढ़ाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। हम लगातार कड़ी मेहनत और लगन के साथ देश के लिए खेलते रहे हैं। हम भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के इशारे पर यौन शोषण और उत्पीड़न के शिकार हुए हैं।’
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद रेसलर्स ने मीडिया से बात की। बजरंग पूनिया ने कहा- बृजभूषण को तुरंत जेल में डाला जाए। जब तक उन्हें जेल में नहीं डाला जाएगा, तब तक हम यहां से नहीं उठेंगे। वो कह रहे हैं कि खिलाड़ियों ने कोई सबूत नहीं दिया। अगर सबूत नहीं दिया होता तो सुप्रीम कोर्ट FIR का आदेश नहीं दिया होता।
विनेश फोगाट बोलीं- FIR पहले दिन ही होनी चाहिए थी। सिर्फ FIR से कुछ होने वाला नहीं है। बृजभूषण पर पहले से 85 से ज्यादा FIR हैं। उनको पदों से हटाकर जेल में डालना होगा। हम अब किसी कमेटी या दिल्ली पुलिस को कोई साक्ष्य नहीं देंगे। हम कोर्ट में ही साक्ष्य देंगे।
राधिका श्रीमन कहती है कि एक लड़की ने ही सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत की है। अगर ऐसा है तो उस एक लड़की की शिकायत पर भी केस दर्ज हो जाना चाहिए था। बृजभूषण को सभी पदों से तत्काल प्रभाव से हटाया जाए, क्योंकि वे अपने पदों का दुरुपयोग कर सकते हैं। यह लड़ाई बृजभूषण को सजा दिलाने की है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार ने क्या कहा था
इस बीच, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच होना जरूरी है। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि दिल्ली पुलिस एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करना चाहती है। ये मामला तब तूल पकड़ रहा है, जब अगले ओलिंपिक खेलों को शुरू होने में महज 18 महीने बचे हैं। ऐसे में देश के नामी पहलवान यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर मामले में प्रैक्टिस छोड़ आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।