ग्वालियर : सर्दी आते ही लोगों को गजक की मिठास अपनी ओर खींचने लगती है। तिल और गुड़ से बनी इस मिठाई को चाव से खाने का शौक कई रखते हैं, लेकिन डायबिटीज से पीड़ित गजक का स्वाद लेने से हिचकते हैं, लेकिन शुगर फ्री गजक ने उनको भी स्वाद लेने पर मजबूर कर दिया है। इसकी मांग हर साल बढ़ती जा रही है। शुगर फ्री खस्ता गजक की मांग विदेश तक है। आर्डर कर इसे विदेश में मंगाया जाता है। गजक की शहर में 60 वैरायटी उपलब्ध हैं। खस्ता और स्वादिष्ट होने के कारण यह गजक सिर्फ ग्वालियर तक ही सीमित नहीं रही बल्कि विदेश तक भी पहुंचने लगी है। इसके लिए लोग अभी से ऑर्डर कर रहे हैं। स्विटजरलैंड तक से गजक की डिमांड आ रही है।

गजक व्यवसायी कहते हैं कि यहां की गजक किसी को अपनी पहचान बताने की मोहताज नहीं रही है। हमारी गजक का स्वाद बोलता है। जनवरी से जोर पकड़ती है गजक की बिक्री: गजक की बिक्री जनवरी से जोर पकड़ती है, लेकिन इसकी मिठास लोग अभी से लेने लगे हैं। गजक व्यापारियों का कहना है कि अभी करीब 40 किलो गजक रोजाना बिक रही है। यह आंकड़ा जनवरी माह में दो से तीन गुना हो जाएगा। गजक खरीदने लोग इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जबलपुर आदि शहरों से ग्वालियर आते हैं। गजक की कीमत 300 रुपये प्रति किलो से लेकर 1200 रुपये प्रति किलो तक है।

गजक की मांग स्वाद की वजह से नहीं, बल्कि गजक में इस्तेमाल होने वाली तिल-गुड़ सर्दियों में शरीर के लिए औषधि का काम करता है। बाजार में शुगर फ्री गजक की मांग भी है। इस गजक को वह मरीज भी खा सकते हैं, जिन्हें शुगर की बीमारी है। इस गजक को बनाने के लिए खास औषधि का उपयोग किया गया है। साथ ही इस गजक में शक्कर की बजाय पूरी तरह गुड़ का उपयोग किया गया है। शुगर फ्री गजक का स्वाद सबको पसंद आता है। लगभग 60 गजक की वैरायटी लोगों को मिल जाएंगी। लोकल खरीद के अलावा विदेश से लोग ऑर्डर दे रहे हैं।

महेश राठौर, संचालक, रतीराम गजक

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