लखनऊ : UP निकाय चुनाव को लेकर मंगलवार को आये हाईकोर्ट के फैसले से सरकार को बड़ा झटका लगा है। जिस प्रकार OBC आरक्षण को लेकर सरकार ने निकाय चुनाव की तैयारी की थी उस पर कोर्ट ने पानी फेर दिया है और जल्द से चुनाव कराने का भी आदेश दिया है।
इसके बाद योगी सरकार ने भी साफ साफ कर दिया है की OBC को आरक्षण तो मिलकर ही रहेगा, चाहे सुप्रीम कोर्ट की शरण क्यों न लेनी पड़े। ठीक ऐसा ही बयां उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपने ट्वीट से दिया है की OBC वर्ग को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
ऐसे में आईये जानते हैं कि सरकार निकाय चुनाव को लेकर क्यों OBCआरक्षण पर अडिग है।
OBC वर्ग बड़ा वोट बैंक
उत्तर प्रदेश में ओबीसी सबसे बड़े वोट बैंक के रूप में माने जाते हैं। प्रदेश की आबादी में यह वर्ग करीब 45 फीसदी की भागीदारी रखता है। हालांकि, इस वर्ग के ताकतवर जाति समूह यादव, पटेल और जाटों पर आरोप लगता है कि वे राज्य सरकार की नौकरियों और एडमिशन के मामले में बड़े हिस्से पर अपना अधिकार जमा लेते हैं। अन्य गैर ओबीसी जातियों को उस प्रकार का लाभ नहीं मिल पाता है। भाजपा ने पिछले सालों में गैर यादव ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग को अपने पक्ष में लाने में सफलता हासिल की है। योगी सरकार इस कदम को आम चुनाव 2024 से पहले अपने वोट बैंक को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
2001 में भी लिया गया था बड़ा फैसला
यूपी में वर्ष 2001 में ओबीसी को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया था। तब भी भाजपा की सरकार थी। राजनाथ सिंह सीएम थे। उन्होंने हुकुम सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। कमेटी ने ओबीसी वर्ग को दो भागों में बांटने की सिफारिश की थी। इसके तहत यादवों को ओबीसी कोटे के तहत मिलने वाले आरक्षण लाभ को 5 फीसदी पर सीमित करने का निर्णय लिया गया था।
भाजपा ने वर्षों से गैर-यादव ओबीसी और अति पिछड़ा वर्ग को सफलतापूर्वक अपने पक्ष में लामबंद किया है और वर्तमान कदम 2024 के आम चुनावों से पहले किया जा सकता है। मोस्ट बैकवर्ड क्लास यानी एमबीसी को 14 फीसदी आरक्षण का लाभ देने का निर्णय लिया गया था। हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। अब एक बार फिर योगी सरकार इसी प्रकार की कवायद करती दिख रही है।
80 सीटों पर बीजेपी की नजर
यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की नजर है। अगर भाजपा गैर यादव ओबीसी वोट बैंक को अपने पाले में जोड़कर रखने में कामयाब होती है तो जीत का गणित तैयार करने में अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोट में लगातार वृद्धि हुई है। भाजपा अब 50 फीसदी वोट शेयर के आंकड़े को पार करने की कोशिश करती दिख रही है। सवर्ण+ओबीसी+दलित वोट बैंक तैयार करने की तैयारी है। इसमें योगी सरकार का ओबीसी को आरक्षण देने का फॉर्मूला कारगर साबित हो सकता है। राजनीतिक रूप से यह काफी महत्पूर्ण है और आने वाले समय में इस पर राजनीति भी गरमानी तय है।