• कोर्ट ने कहा- 7 दिन में जवाब दाखिल करें, रामदेव-बालकृष्ण अगली सुनवाई में मौजूद रहें

नई दिल्ली : पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भ्रामक विज्ञापन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने मंगलवार को सुनवाई की। बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के MD आचार्य बालकृष्ण मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए जारी किए गए समन के तहत सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने पिछले नोटिस का जवाब ही नहीं दिया। हम दस्तावेज देख रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि जवाब ना देने पर कंपनी और मैनेजमेंट के खिलाफ कंटेम्प्ट का केस क्यों ना चलाया जाए। कोर्ट ने बाबा रामदेव और दूसरे आरोपी का एफिडेविट मांगा।

पतंजलि की ओर से एडवोकेट बलवीर सिंह और एडवोकेट सांघी ने दलीलें रखीं। पतंजलि ने कहा- रामदेव कोर्ट में हैं, हम भीड़ की वजह से उन्हें कोर्ट में नहीं ला सके। इस पर जस्टिस अमानतुल्लाह ने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं उन्हें बुलाइए, हम पूछ लेंगे।

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा- हम यह स्वीकार नहीं करेंगे कि मीडिया डिपार्टमेंट को यह नहीं पता है कि कोर्ट में क्या चल रहा है, मानो ये कोई आईलैंड है। यह केवल जुबानी बातें हैं। दरअसल, पिछली सुनवाई में पतंजलि ने कहा था कि भ्रामक विज्ञापनों को कंपनी के मीडिया विभाग ने मंजूरी दी थी, जो नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश से अनजान थे।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।

लाइव अपडेट्स

कोर्ट रूम LIVE…
जस्टिस हिमा कोहली: आपके पास जो कुछ भी है, उसे फाइल कीजिए। हम आपको एक हफ्ते का आखिरी मौका देते हैं। सभी लोग अगली सुनवाई पर मौजूद रहें।

मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी
सुप्रीम कोर्ट विज्ञापन केस की सुनवाई 10 अप्रैल को करेगा। रामदेव और बालकृष्ण को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।

जस्टिस अमानतुल्लाह: हम दोनों के खिलाफ झूठी गवाही देने का केस भी कर रहे हैं। हम रजिस्ट्रार को निर्देश देते हैं। मिस्टर बलबीर सिंह तैयार रहिएगा। आपने कहा था कि एयर टिकट अटैच्ड हैं, लेकिन यहां कुछ नहीं है। आप कह रहे हैं कि दस्तावेज हैं, वो भी नहीं हैं। हम पीठ पीछे वार नहीं कर रहे हैं।

जस्टिस हिमा कोहली: आप कह रहे हैं कि दस्तावेज अटैच किए गए हैं, लेकिन दस्तावेज बाद में तैयार किए गए। ये साफतौर पर झूठी गवाही का मामला है। हम आपके लिए दरवाजे बंद नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमने जो देखा वो आपको बता रहे हैं।

जस्टिस अमानतुल्लाह: मिस्टर मेहता कृपया हमें मानहानि के मामले में असिस्ट कीजिए।

जस्टिस अमानतुल्लाह: बाबा रामदेव ने योग के लिए काफी कुछ किया है। लेकिन वो हर किसी में कमियां नहीं निकाल सकते।

सुप्रीम कोर्ट: हमें आश्चर्य है कि केंद्र सरकार ने अपनी आंखें बंद क्यों रखींं?

जस्टिस हिमा कोहली: हमारे पास AYUSH स्कीम के लिए सवाल हैं। आपने पतंजलि को नोटिस भेजा और उन्हें जवाब दाखिल किया। यह जवाब हमारे सामने नहीं आया। हमें आश्चर्य है कि ऐसा क्यों हुआ। कोविड 2022 में आया था और आपने खुद कहा था कि यह मुख्य दवा का बेस्ट सप्लीमेंट है। इसकी घोषणा नहीं की गई।

कोविड के दौरान कुछ भी केंद्र की मर्जी के बिना नहीं हो रहा था। आपने इसे बताने के लिए कुछ नहीं किया। यह मुश्किल समय था और उत्तराखंड ने भी पतंजलि को वॉर्निंग लेटर भेजा था, वो भी तब जब हमने मामला उठाया। AYUSH की तारीफ करने के लिए काफी कुछ है। लेकिन एक सीमा होती है कि वो क्या कर सकते हैं। जिस तरह से दूसरों की निंदा की गई, वो चौंकाने वाला है। उन्होंने दूसरों का मजाक उड़ाया। आपने ट्रांस्क्रिप्ट देखी है?

जस्टिस हिमा कोहली: हम एफिडेविट फाइल करने के लिए और मौका नहीं देंगे। पहले उन्हें जवाब नहीं दिया, दोबारा ऐसा किया। अब उनके पास एफिडेविट है और उन्होंने हमारे सामने सबमिट नहीं किया। हम क्या करें

सॉलिसिटर जनरल: कई बार वादी के पास ऐसा करने का विकल्प नहीं होता।

जस्टिस अमानतुल्लाह: हमने उन्हें 3 मौके दिए हैं।

एडवोकेट बलवीर सिंह: वो खुद माफी मांगना चाहते हैं और हम बेहतर एफिडेविट फाइल कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट: हम यह सुनना नहीं चाहते हैं। हम पहले कंटेम्प्ट का मामला खत्म करेंगे। आप अदालत में थोड़ा समझदार हो जाएंगे। आपके पहले मिस्टर रोहतगी थे और वो दोनों पार्टियों के लिए पेश हुए थे। उन्हें भी यह स्पष्ट कर दिया गया था कि हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं।

जस्टिस अमानतुल्लाह: आप अपने ही जाल में फंस गए हैं। पहले किसी वकील को नहीं आना चाहिए था। पहला आदमी वो होना चाहिए था, जिसकी जुबान पर माफी हो।

एडवोकेट बलवीर सिंह: ये मेरा फैसला था कि वो यहां ना आएं और मैं माफीनामा दाखिल करूं।

सुप्रीम कोर्ट: जब मानहानि करने वाले को बुलाया गया हो तो वकील की जरूरत नहीं। यह बेसिक है और हम आपको यह बेसिक नहीं सिखाएंगे।

जस्टिस अमानतुल्लाह: हम यहां एडवोकेट बलवीर सिंह का माफीनामा सुनने के लिए नहीं हैं।

जस्टिस कोहली: धन्यवाद हमने आपको सुन लिया है। सरकार की तरफ से कौन है?

सॉलिसिटर जनरल मेहता: जो हुआ, वो नहीं होना चाहिए था। मैं वकीलों के साथ बैठूंगा और देखूंगा कि क्या किया जाना चाहिए।

जस्टिस अमानतुल्लाह: लंबे समय बाद सरकार यहां वादी नहीं है। यह देखकर खुशी हो रही है कि आप ऐसी बात कह रहे हैं, सरकार के ज्यादातर वकील यह बात भूल चुके हैं।

जस्टिस कोहली: हम एफिडेविट चाहते हैं। इस कंटेम्प्ट को गंभीरता से लीजिए। आप यहां से जाएंगे और 24 घंटे में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। यह दिखाता है कि आप को कोर्ट की कार्यवाही के बारे में पता है और आप उसका उल्लंघन कर रहे हैं।

जस्टिस कोहली: 24 घंटे के भीतर प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई थी क्या आपको इस बारे में जानकारी है।

एडवोकेट बलवीर सिंह: यह एक गलती है। कोर्ट के जस्टिस का असम्मान नहीं किया जा सकता है। यह सबक सीखना होगा।

जस्टिस कोहली: तो इस सबक को एक तर्कसंगत अंत तक पहुंचना चाहिए था। ये जो है, वो पूरी तरह अनादर है।

जस्टिस अमानतुल्लाह: यह सब पाखंड है। आप कह रहे हैं कि अगर अदालत को लगता है।

एडवोकेट बलवीर सिंह: कृपया भाषा को मत देखिए।

जस्टिस अमानतुल्लाह: हम आपके दिल में नहीं झांक सकते हैं। इस तरह से कंटेम्प्ट का केस नहीं लड़ा जाता है।

जस्टिस हिमा कोहली: आपकी माफी स्वीकार करने का क्या कारण है? आपको मंत्रालय को सूचित करना था, क्या आपने किया? आपको सारी बातें सरकार को बतानी थीं।

एडवोकेट सांघी(पतंजलि आयुर्वेद): यह कॉमर्शियल नहीं है।

जस्टिस कोहली: यह एक कॉमर्शियल संस्थान है।

जस्टिस अमानतुल्लाह: आप यह नहीं कह सकते हैं कि आप समाज सेवा कर रहे हैं या लोगों के भले के लिए काम कर रहे हैं।

एडवोकेट सांघी: यहां कुछ गड़बड़ी है।

जस्टिस कोहली: तब बात खत्म होती है। अगर गड़बड़ी आपकी ओर से है तो बात खत्म। हम इसे देखेंगे। हम इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।

एडवोकेट बलवीर सिंह: हम बिना शर्त माफी मांग रहे हैं। वो यहां खुद माफी मांगने के लिए मौजूद हैं।

जस्टिस हिमा कोहली: बाबा रामदेव और दूसरे आरोपी का एफिडेविट कहां है।

बलवीर सिंह (रामदेव की तरफ से): रामदेव कोर्ट में हैं, हम भीड़ की वजह से उन्हें कोर्ट में नहीं ला सके.

जस्टिस अमानतुल्लाह: ठीक है, कोई बात नहीं उन्हें कॉल कीजिए, हम पूछ लेंगे।

जस्टिस हिमा कोहली: बाबा रामदेव के जवाब का क्या हुआ?

जस्टिस हिमा कोहली: पहली बात यह कोर्ट की कार्यवाही है। हमने निर्देश दिए हैं और फिर यह किसकी जिम्मेदारी बनती है कि इसे नीचे तक पहुंचाएं। अगर यह बचाव करने लायक नहीं है तो आपकी माफी काम नहीं करेगी।

टॉप कोर्ट ने जो निर्देश दिए हैं, ये उसका उल्लंघन है। हम यह स्वीकार नहीं करेंगे कि मीडिया डिपार्टमेंट को यह नहीं पता है कि कोर्ट में क्या चल रहा है, मानो ये कोई आईलैंड है। यह केवल जुबानी बातें हैं।

जस्टिस हिमा कोहली: हम दस्तावेज देख रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि जवाब ना देने पर कंपनी और मैनेजमेंट के खिलाफ कंटेम्प्ट का केस क्यों ना चलाया जाए।

जस्टिस अमानतुल्लाह: आप हमें बताएं कि आपने पहले दो जवाब कब दिए हैं।

जस्टिस हिमा कोहली: फरवरी 27 का ऑर्डर भी देख रहे हैं, यहां भी जवाब ना दाखिल करने की बात है।

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