नई दिल्ली : NCERT की 8वीं क्लास की सोशल साइंस की किताब में अब सिख और मराठा इतिहास के साथ भूले-बिसरे राजाओं के बारे में चैप्टर्स शामिल किए गए हैं। अब स्टूडेंट्स को मराठा लीडर्स की कहानियां, सिखों का इतिहास, मजबूत क्षेत्रीय साम्राज्यों और नरसिंहदेव प्रथम जैसे राजाओं के बारे में पढ़ाया जाएगा। नरसिंहदेव प्रथम (1238-1264 ईसवी) के काल में ही कोणार्क मंदिर का निर्माण हुआ था।
8वीं क्लास की ‘एक्सप्लोरिंग सोसाइटी- इंडिया एंड बियॉन्ड’ नाम की किताब में सिख और मराठा इतिहास से जुड़ी बातें शामिल पहले भी थीं, लेकिन अब इससे जुड़े डीटेल्ड चैप्टर्स किताब में शामिल किए गए हैं। ये नई किताबें एकेडमिक सेशन 2025-26 से कोर्स में शामिल होंगी।
क्षेत्रीय राजाओं पर चैप्टर्स किताब में जुड़े
NCERT की इन नई किताबों में कई भूले-बिसरे और क्षेत्रीय राजाओं से जुड़े चैप्टर्स शामिल किए गए हैं। इनमें ओडिशा के गजपति शासक नरसिंहदेव प्रथम, रानी अबक्का 1 और 2 और त्रावणकोर के मार्तंड वर्मा शामिल हैं।
किताब में गुरु नानक की आध्यात्मिक यात्रा और गुरु गोबिंद सिंह के सैन्य प्रतिरोध पर चैप्टर्स जोड़े गए हैं। बताया गया है कि किस तरह खालसा पंथ की नींव रखी गई। साथ ही गुरु तेग बहादुर को फांसी पर चढ़ाने जैसी जानकारियां जोड़ी गई हैं। किताब में बताया गया है कि किस तरह 19वीं सदी के मध्य तक सिख साम्राज्य ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ डटकर खड़ा रहा।
मराठा इतिहास के 22 पेज शामिल किए
मराठाओं के बारे में अब तक 8वीं की किताब में केवल डेढ़ पेज था। अब 22 पेजों का लंबा इतिहास कोर्स में जोड़ा गया है। इसमें 17वीं शताब्दी में शिवाजी के उदय, रायगढ़ किले में उनकी ताजपोशी, उनकी गुरिल्ला शैली, शिवाजी की मिलिट्री स्ट्रैटजी, प्रशासन और स्वराज पर जोर को शामिल किया गया है।
शिवाजी के अलावा उनके वंशज संभाजी, राजाराम, शाहूजी, ताराबाई, बाजीराव 1, महादजी सिंधिया और नाना फडणवीस के किस्से भी शामिल किए गए हैं। पहले जिन राजाओं को केवल कुछ लाइनों में समेट दिया जाता था, अब NCERT ने उन पर पूरे चैप्टर्स शामिल किए हैं।
मुगलों पर चैप्टर्स में भी हुआ बदलाव
“अकबर का शासन क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण था, जबकि औरंगजेब एक सैन्य शासक था जिसने गैर-इस्लामी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया और गैर-मुसलमानों पर टैक्स लगाया।” मुगल काल की ये नई समीक्षा NCERT की कक्षा 8 की किताब में शामिल की गई है।
कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की किताब में मुगल शासकों के धार्मिक फैसले, सांस्कृतिक योगदान और क्रूरता की नई व्याख्या की गई है।