• सरकार ने इनकम टैक्स बिल लोकसभा से लिया वापस, नया बिल 11 अगस्त को पेश होगा, जानें वित्त मंत्री ने क्या कहा

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 को वापस ले लिया है। सरकार चयन समिति के सुझावों को शामिल करते हुए इस विधेयक का संशोधित संस्करण 11 अगस्त को सदन में पेश करेगी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, सरकारी सूत्रों ने बताया कि कई संस्करणों के कारण भ्रम से बचने और सभी सुधारों को समाहित करने के लिए एक स्पष्ट और अपडेटेड विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा।

इनकम टैक्स के नए बिल में क्या हैं प्रमुख बातें

  • यह नया विधेयक 1961 के पुराने आयकर अधिनियम को बदलने वाला है।
  • 31 सदस्यों वाली चयन समिति ने विधेयक पर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
  • समिति ने धार्मिक-कम-धार्मिक ट्रस्टों को मिलने वाले गुमनाम दान पर कर छूट जारी रखने की सिफारिश की है।
  • साथ ही, टैक्सपेयर्स को आईटीआर फाइलिंग की अंतिम तिथि के बाद भी बिना कोई जुर्माना भरे टीडीएस रिफंड क्लेम करने की अनुमति देने का सुझाव दिया गया है।

गैर-लाभकारी संस्थाओं को भी राहत

सरकार ने नए विधेयक में गैर-लाभकारी संस्थाओं को उन गुमनाम दानों पर कर से छूट दी है जो केवल धार्मिक ट्रस्टों को प्राप्त होते हैं। हालांकि, यदि कोई धार्मिक ट्रस्ट अस्पताल, स्कूल या अन्य चैरिटेबल गतिविधियां भी संचालित करता है, तो ऐसे दानों पर कर लागू होगा।

धार्मिक व परमार्थ ट्रस्ट के संबंध में एक महत्वपूर्ण चूक हुई: समिति
समिति ने कहा, ‘‘विधेयक का घोषित मकसद इसे सरल बनाना है, लेकिन समिति को लगता है कि धार्मिक व परमार्थ ट्रस्ट के संबंध में एक महत्वपूर्ण चूक हुई है, जिसका भारत के एनपीओ क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर काफी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।’’ आयकर विधेयक, 2025 के खंड 337 में सभी पंजीकृत एनपीओ को मिलने वाले गुप्त दान पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए स्थापित एनपीओ को ही सीमित छूट दी गई है।

यह आयकर अधिनियम, 1961 की वर्तमान धारा 115बीबीसी से बिल्कुल अलग है। मौजूदा कानून में अधिक व्यापक छूट प्रदान की गई है। इसके मुताबिक, अगर कोई ट्रस्ट या संस्था पूरी तरह से धार्मिक और परमार्थ कार्यों के लिए बनाई गई हो, तो गुप्त दान पर कर नहीं लगाया जाता है। ऐसे संगठन आमतौर पर पारंपरिक माध्यमों (जैसे दान पेटियों) से योगदान प्राप्त करते हैं, जहां दान देने वाले की पहचान करना असंभव है।

संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति 1961 के अधिनियम की धारा 115बीबीसी में दिए गए स्पष्टीकरण के अनुरूप एक प्रावधान को फिर से लागू करने का पुरजोर आग्रह करती है।’’ जिन व्यक्तियों को आमतौर पर कर रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं होती, उनके टीडीएस रिफंड दावों की वापसी के संबंध में समिति ने सुझाव दिया कि आयकर विधेयक में उस प्रावधान को हटाया चाहिए, जो करदाता के लिए नियत तिथि के भीतर आयकर रिटर्न दाखिल करने को अनिवार्य बनाता है।

नए आयकर विधेयक में क्या
सरलीकृत आयकर विधेयक आकार के लिहाज से 1961 के आयकर अधिनियम का करीब आधा है, मुकदमेबाजी और नई व्याख्या के दायरे को कम करके कर निश्चितता प्राप्त करने का प्रयास करता है। लोकसभा में पेश नए विधेयक में कुल शब्दों की संख्या घटकर 2.6 लाख रह गई है, जो मौजूदा आयकर अधिनियम के 5.12 लाख शब्दों की तुलना में काफी कम है। इसमें धाराओं की संख्या 536 है, जबकि मौजूदा कानून में 819 धाराएं प्रभावी हैं।

1200 प्रावधान और 900 स्पष्टीकरण हटाए गए
आयकर विभाग की तरफ से जारी एफएक्यू के मुताबिक, इसमें अध्यायों की संख्या 47 से घटाकर 23 कर दी गई है। आयकर विधेयक-2025 में 57 तालिकाएं हैं, जबकि मौजूदा अधिनियम में 18 थीं। इसमें 1,200 प्रावधान और 900 स्पष्टीकरण हटा दिए गए हैं। छूट और टीडीएस/टीसीएस से संबंधित प्रावधानों को सारणीबद्ध प्रारूप में रखकर विधेयक में और अधिक स्पष्ट किया गया है, जबकि गैर-लाभकारी संगठनों के लिए अध्याय को सरल भाषा के प्रयोग के साथ व्यापक बनाया गया है। इसके चलते शब्दों की संख्या में 34,547 की कमी आई है।

कर आकलन वर्ष की अवधारणा खत्म की
करदाताओं के हित में एक कदम उठाते हुए नया विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 में उल्लिखित पिछले वर्ष शब्द के स्थान पर कर वर्ष शब्द का प्रयोग करता है। साथ ही, कर आकलन वर्ष की अवधारणा को भी समाप्त कर दिया गया है। अभी, पिछले वर्ष (मान लीजिए 2023-24) में अर्जित आय पर, कर आकलन वर्ष (मान लीजिए 2024-25) में भुगतान किया जाता है। इस सरलीकृत विधेयक में पिछले वर्ष और कर आकलन वर्ष (एवाई) की अवधारणा को हटा दिया गया है और केवल कर वर्ष को ही शामिल किया गया है। आयकर विधेयक के अलावा भी सरकार एक महीने तक चलने वाले मानसून सत्र के दौरान आठ नए विधेयक पेश करने वाली है। इस दौरान कुछ अन्य लंबित विधेयकों पर भी चर्चा होगी।

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