- आगरा यूनिवर्सिटी लाॅ की परीक्षा में छात्र हुए फेल और 1500 रूपये प्रेक्टीकल के देने पर मिले 70 से 78 अंक
- परीक्षा परिणाम देखने पर आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी विश्वविद्यालयों की वसूली की खुली पोल
गोपाल पांडेय
मथुरा/आगरा : यूं तो भ्रष्टाचार के विवादों में डाॅ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी आगरा का नाम चर्चित है। इसके अलावा फर्जीवाडे़ में भी यह यूनिवर्सिटी चर्चित है, लेकिन हाल ही में इसी वर्ष बीते माह हुए विधि (एलएलबी) की परीक्षाओं में भी निजी महाविद्यालयों का कारनामा सामने आया है। हाल ए बयां कर रहा है कि जो छात्र विधि की परीक्षा में फेल हो, तो फिर प्रेक्टीकल परीक्षा में 70 से 78 अंक कैसे आ सकते है ?
हुआ यूं है कि बीते माह सितंबर, अक्टूबर और नवंबर माह में विधि की परीक्षाएं और प्रेक्टीकल परीक्षा आयोजित हुई। परीक्षा खत्म होने के बाद नवंबर माह में प्रेक्टीकल परीक्षा बीएसए काॅलेज मथुरा में आयोजित हुई। प्रेक्टीकल के बाद बीए एलएलबी और एलएलबी के छात्रों को सिर्फ और सिर्फ परीक्षा परिणाम का इंतजार था, लेकिन यह घड़ी भी आ गई और 5 दिसंबर को बीए एलएलबी के पांच वर्षीय परिणाम जारी कर दिए गए। इसके दो दिन बाद ही 7 दिसंबर को एलएलबी के तीन वर्षीय परिणाम जारी हो गए।
परीक्षा परिणाम जारी होने की खबर लगते ही बीए एलएलबी और एलएलबी की परीक्षा में सम्मिलत होने वाले सभी छात्रों ने अपने परिणाम आगरा यूनिवर्सिटी के वेबसाइट पर देखे, लेकिन अब उन छात्रों के चेहरे पर अधिक मायूसी देखी जा रही है, जो कि विभिन्न विषयों की परीक्षा में तो फेल हैं, लेकिन प्रेक्टीकल की परीक्षा में 70 से 78 अंक हासिल हुए हैं। ऐसे कई छात्रों के परीक्षा परिणाम आप देख सकते हैं।
जो भी इस खबर को पढ़ रहे होंगे अब वह यही सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि जब छात्र विभिन्न विषयों की परीक्षा में फेल है और प्रेक्टीकल अधिक से अधिक अंक है। इससे तो साफ जाहिर हो रहा है कि निजी महाविद्यालयों की कोई चाल है, जो इतने अंक प्रेक्टीकल में दे दिए। अगर ऐसा नहीं है तो फिर छात्र विभिन्न विषयों में फेल कैसे हो गया और प्रेक्टीकल में क्यों नहीं।
कैसे मिले 70 से 78 अंक
आपको बता दें कि फेल होने वाले छात्रों को 70 से 78 अंक प्रेक्टीकल की परीक्षा में कैसे मिले। मुख्य परीक्षाएं समाप्त होने के बाद सभी निजी महाविद्यालयों ने अपने छात्रों को अवगत कराया कि वह काॅलेज पहुंचकर अपनी प्रेक्टीकल फाइल प्राप्त कर लें। इससे तो साफ जाहिर हो रहा है कि प्रेक्टीकल की फाइल छात्र मार्केट से भी ले सकता है, तो फिर यह फाइल महाविद्यालय से क्यों दी जा रही है।
1500 से 2000 में मिली फाइलें
निजी महाविद्यालयों में प्रेक्टीकल के नाम पर वसूली का तो हमेशां से छात्र और महाविद्यालयों के बीच विवाद देखा जाता है। यही कारण है कि निजी महाविद्यालय प्रेक्टीकल के नाम धन ऐंठते हैं और छात्रों को 100 से 200 रूपये की फाइल को 1500 से 2000 तक में देते हैं। यही इस परीक्षा में भी देखा गया है।
सबसे बड़ा सवाल
अगर एलएलबी परीक्षा में पास हुए छात्रों की बात की जाय तो, देखा जा सकता है कि कई ऐसे छात्र हैं, जिनके विभिन्न विषयों में प्रेक्टीकल परीक्षा से भी कम नंबर हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह छात्र सिर्फ प्रेक्टीकल की पढ़ाई के दिन रात पढ़ाई करने में लगा रहा। अगर ऐसा नहीं तो प्रेक्टीकल में अधिक अंक क्यों और विषयों में कम अंक क्यों ?
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प्रेक्टीकल में अधिक नंबर और बाकी विषयों में फेल छात्रों के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। मैं कोई टीचर तो हूं नहीं जो इस बारे में बताया जाए कि उन्होंने कैसे पढ़ाई कि ऐसे नंबर आये। 15000 से अधिक छात्र होते हैं, सभी के बारे में कहना मुश्किल है। छात्र शिकायत पोर्टल पर शिकायत कर सकते हैं।
डाॅ. ओमप्रकाश
मुख्य परीक्षा नियंत्रक,
डाॅ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा