गुजरात। इन दिनों पूरे देश की नजर गुजरात विधानसभा चुनाव पर टिकी हुईं हैं। पीएम मोदी का गृह राज्य होने के कारण यहां का हर चुनाव अहम होता है। भले ही पीएम मोदी चुनावी मैदान में नहीं हैं, लेकिन बैनर-पोस्टर से लेकर हार्डिंग तक में मोदी की छवि ही नजर आ रही है। लेकिन डायमंड सिटी सूरत में चुनावी माहौल शांत नजर आ रहा है। 2017 के चुनाव में यहां सीधी लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच थी, लेकिन आम आदमी पार्टी की एंट्री ने इस बार मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। आप की एंट्री ने भाजपा की बेचैनी बढ़ा दी है। ऐसा पहली बार होगा जब खुद पीएम मोदी जिले की पाटीदार बहुल सीटों पर अपनी बड़ी सभा करते नजर आएंगे। जबकि दूसरी तरफ पांच सीटों पर आम आदमी पार्टी दमखम के साथ मैदान में उतरी है। पार्टी को उम्मीद है कि वे यहां भाजपा को करारी शिकस्त दे सकती है। वहीं पूरे सूरत में कांग्रेस के उम्मीदवार बजट की कमी से जूझते नजर आ रहे हैं। 16 में से केवल एकाध सीट पर ही पार्टी जीत का दम भरते हुए नजर आ रही है।

यहाँ आप बिगाड़ सकती है भाजपा का खेल

2017 के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट देखें, तो भाजपा 100 के आंकड़े तक को नहीं छू पाई थी। पार्टी को महज 99 सीटें मिली थीं। हालांकि कांग्रेस 77 सीटें जीती थीं। 2017 के चुनाव में सूरत में सीधी लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच थी, लेकिन आम आदमी पार्टी की एंट्री ने इस बार मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। हालांकि लोगों का मानना है कि कांग्रेस इस बार लड़ाई में नहीं है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी की एंट्री से भाजपा को ही फायदा होगा। कांग्रेस का वोट बैंक आप में शिफ्ट होगा। सूरत की 16 सीटों में से पांच सीटों पर आप की कड़ी टक्कर भाजपा से है। वराछा, कतारगाम, करंज, ओलपाड़ और कामरेज पाटीदार बहुल सीट है।
अरविंद केजरीवाल का फोकस सूरत की इन सीटों पर इसलिए ज्यादा है, क्योंकि यहीं से गुजरात में पहली जीत का स्वाद आप ने चखा था। इस जीत के बाद आप को यहां अपनी जमीन नजर आने लगी और इसी के दम पर अब पार्टी विधानसभा चुनाव में उतरी है। आप के 27 पार्षद भी इन्हीं क्षेत्रों से महानगर पालिका में चुनकर आए हैं। आम आदमी पार्टी ने यहां एक साल में 20 से ज्यादा सभाएं की हैं। इनमें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

banner