लखनऊ : उत्तर प्रदेश के बरेली में आईपीएस प्रभाकर चौधरी के ट्रांसफर की खूब चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया से लेकर आमजन तक योगी सरकार के इस फैसले को गलत बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिस आईपीएस अधिकारी ने बरेली में दंगा होने से बचा लिया, सरकार ने उसे इनाम में ‘ट्रांसफर’ दिया। आमजन के साथ-साथ खुद प्रभाकर चौधरी के पिता पारस नाथ चौधरी भी नाराज हैं। एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि वो आज से बीजेपी के खिलाफ ही रहेंगे। आगे चुनाव में कुछ इलाकों में तो बीजेपी को कभी भी जीतने नहीं देंगे।
पारस नाथ चौधरी ने कहा कि प्रभाकर का बार-बार ट्रांसफर कर दिया जा रहा है। सरकार उसके अच्छे काम को नजरअंदाज न करे। एक नहीं कई ऐसे जिले हैं, जहां पर प्रभाकर ने बड़े-बड़े बवाल होने से बचाए। सोनभद्र जिले में उंभा कांड हुआ तो सरकार को प्रभाकर की याद आई। बेटे ने वहां पर स्थिति को अच्छे से नियंत्रित किया, लेकिन दो महीने बाद ही वहां से ट्रांसफर कर दिया गया। पारस नाथ चौधरी ने कहा कि बेटे के बार-बार हो रहे ट्रांसफर से वह दुखी हैं।
बरेली में कांवड़ियो पर लाठीचार्ज मामले के कुछ ही घंटों बाद IPS प्रभाकर चौधरी का ट्रांसफर कर दिया गया। इससे पहले भी प्रभाकर को अलग-अलग जगहों से 18 बार ट्रांसफर किया जा चुका है। ट्रांसफर मिलने पर IPS के पिता ने गुस्से में आकर कहा कि वो आज से बीजेपी के खिलाफ ही रहेंगे। आगे चुनाव में कुछ इलाकों में तो बीजेपी को कभी भी जीतने नहीं देंगे।
वैसे तो तेरह साल की नौकरी में प्रभाकर का इक्कीस बार ट्रांसफर हो गया, लेकिन इस बार जब बरेली से उनका ट्रांसफर हुआ तो यह बात उनके पिता के साथ-साथ क्षेत्र वालों को भी अखर गयी। उनके पिता ने कहा कि प्रभाकर एक ईमानदार अधिकारी है और इसी लिए उसका इतनी जल्दी ट्रांसफर होता है। प्रभाकर के पिता ने बताया कि प्रभाकर का तीन दिन और सात दिन में ही ट्रांसफर हुआ है। बरेली की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी को इनाम मिलना था उसी को हटा दिया। उन्होंने कहा कि जिस रास्ते से कावंड़िये जाना चाहते थे, उस रास्ते से जाने पर खतरा था। पुलिस लाठी चार्ज न करती तो बड़ी घटना घट जाती और कई कांवड़िये की मौत हो जाती।