नई दिल्ली : कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट नेकहा कि शादी के बाद पति द्वारा पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना हिंदू मैरिज एक्ट-1995 के तहत ये क्रूरता है। लेकिन इसे आईपीसी के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आरोपी व्यक्ति और उसके माता-पिता के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को खारिज कर दिया। पत्नी की और से 2020 में अपने पति और उसे माता-पिता के खिलाफ केस दर्ज करवाया था।
दरअसल एक महिला ने अपने पति के खिलाफ दहेज रोकथाम अधिनियम, 1961 की धारा 4 और आईपीसी की धारा 498ए के तहत मामला कराया था। पति ने इसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने में विश्वास नहीं रखता है। पति ने कोर्ट ने कहा कि शरीर के बजाय सिर्फ आत्मा के आत्मा से मिलन में विश्वास रखता है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि जब भी वह अपने पति के पास जाने की कोशिश करती तो वह आस्था से जुड़े वीडियो देखता रहता था। पत्नी ने यह भी दावा किया है कि उसके पति ने साफ कह दिया था कि उससे शारीरिक संबंध बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि पति कभी भी अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का उम्मीद नहीं रखता है। यह निश्चित तौर पर हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 12(1) के तहत क्रूरता में आता है। लेकिन ये आईपीसी की धारा 498ए के तहत परिभाषित क्रूरता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत और चार्जशीट में ऐसी कोई घटना का जिक्र नहीं है, इसे आईपीसी की धारा के तहत क्रूरता साबित होती हो।
इस दंपति की शादी दिसंबर 2019 में हुई थी। शादी के बाद पत्नी सिर्फ 28 दिन ससुराल में रहने के बाद फरवरी 2020 में महिला ने आईपीसी की धारा 498ए और दहेज कानून के तहत मामला दर्ज कराया। महिला ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(1)(ए) के तहत फैमिली कोर्ट में भी मामला दर्ज कराया। इसके बाद दोनों की शादी को नवंबर 2022 में खत्म कर दिया गया।