दंतेवाड़ा-नारायणपुर : पूर्वी बस्तर डिवीजन कमेटी की लीडर नीति समेत एक मेंबर के भी ढेर होने की खबर है। नीति पर 8 से 10 लाख रुपए का इनाम घोषित था। हालांकि, जवान अब भी मौके पर ही मौजूद हैं। सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। मारे गए माओवादियों की संख्या बढ़ सकती है। इसे अब तक सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन बताया जा रहा है। इससे पहले कांकेर में 29 माओवादी मार गिराए गए थे।
एनकाउंटर साइट की PHOTOS, एक हजार से ज्यादा जवान तैनात…
सुरक्षाबलों के जवान एनकाउंटर साइट पर हैं और सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं।
करीब 1 हजार जवान एनकाउंटर में शामिल थे।
एनकाउंटर के पहले सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को चारों तरफ से घेरा था।
जवानों ने मारे गए नक्सलियों के शवों को इस तरह ढोकर लाया।
बांस के सहारे कंधों पर ढोकर शवों को लाया गया।
जंगल में ऑपरेशन के दौरान जवान रोटी और मैगी खाते हुए, इनमें महिला कंमाडो भी शामिल हैं।
एनकाउंटर बस्तर के दंतेवाड़ा-नारायणपुर बॉर्डर पर किया गया।
जानिए जवानों को कैसे मिली सफलता
सूत्रों ने बताया कि अबूझमाड़ में ओरछा थाना क्षेत्र के थुलथुली इलाके में पूर्वी बस्तर डिवीजन, कंपनी नंबर 6 के 50 से ज्यादा नक्सलियों की मौजूदगी की सटीक सूचना मिली थी। इसके बाद ऑपरेशन लॉन्च करने के लिए अफसरों ने प्लानिंग की।
बुधवार की देर रात तक इस बात पर ही माथापच्ची चलती रही और प्लान बनाया गया। इसके बाद यह ऑपरेशन इंटर डिस्ट्रिक कोआर्डिनेशन के तहत चलाने का फैसला लिया गया। निर्णय लिया गया कि इस ऑपरेशन में जवानों को दो तरफ से थुलथुली की ओर भेजा जाएगा और करीब पांच जिलों के बेस्ट जवानों को इसमें शामिल किया जाएगा। इसके बाद 3 अक्टूबर को दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले से करीब 1 हजार से ज्यादा DRG और STF के जवानों को ऑपरेशन पर भेजा गया था।
गुरुवार की सुबह दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले को ऑपरेशन लीड करने की जिम्मेदारी दी गई। जवान गुरुवार को ही जंगलों में घुस गए थे। इसके बाद जवानों ने भारी बारिश के बीच करीब 3 से 4 पहाड़, नदी-नाले पार किए और थुलथुली-नेंदुर गांव के जंगल में पहुंचे।
नक्सलियों के टॉप लीडर्स एक जगह से दूसरी जगह मूवमेंट कर रहे थे, लेकिन भारी बारिश की वजह से वे भी पहाड़ पर एक ठिकाने पर रुक गए थे और बारिश थमने का इंतजार कर रहे थे। जवानों को इसी का फायदा मिला। इसके बाद नारायणपुर और दंतेवाड़ा पुलिस फोर्स ने डेढ़ से 2 किलोमीटर के दायरे को चारों तरफ से घेर लिया।
गुरुवार को ही निकल गई थी टीम
जवानों के साथ महिला कमांडो भी गुरुवार से ऑपरेशन में साथ थीं। गुरुवार से पहले ही इनपुट मिल चुका था कि नक्सली किस जगह मौजूद हैं। लिहाजा, अलग-अलग टीम बनाई गई। भूख मिटाने के लिए मैगी के पैकेट रख लिए गए। गुरुवार दोपहर 2 बजे दंतेवाड़ा से छिंदनार कैंप पहुंचे। यहां से बड़े नाले तक पूरी टीम गाड़ियों में आई। यहां से आगे पूरी टीम को 40 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा।
जवान जब उस जगह पर पहुंच गए, जहां नक्सलियों की मौजूदगी थी, तब हाईकमान को सूचित किया गया। वहां से ऑर्डर मिलने के बाद फायरिंग शुरू हुई और नक्सली मारे गए।
एक तरफ लाश रखी, एक तरफ मैगी बन रही
छिंदनार से अंदर बेढ़मा से आगे मुठभेड़ हुई। जवानों की टीम छोटी छोटी टुकड़ियों में लौट रही है। इनमें महिलाओं के कांधे पर भी नक्सलियों के शव हैं और 6-6 किलो की राइफल। छोटा सा स्टोव भी। जहां जगह मिली, शवों को रखकर ये टुकड़ियां मैगी बनाकर अपना पेट भर रही हैं।
बेड़मा गांव के निवासी से भास्कर ने बात की तो उसने कहा कि नक्सलियों के मारे जाने की खबर सुनकर अच्छा लग रहा है। इतने में ही उसकी पत्नी आई और अपने पति को अंदर खींचकर ले गई। गांव सूना है। कोई बात नहीं कर रहा।
गृहमंत्री विजय शर्मा घायल जवान से मिलने अस्पताल पहुंचे।
जवानों के आने की नक्सलियों को नहीं लगी भनक
भारी बारिश की वजह से नक्सलियों को जवानों के आने की भनक भी नहीं लग पाई। वहीं 4 अक्टूबर को दोपहर एक बजे जवान नक्सलियों के बेहद करीब पहुंच गए थे, जिसके बाद जवानों ने ही फायरिंग की। सूत्रों ने बताया कि नक्सली जवानों के रडार पर थे।
शुरुआती 10 से 15 मिनट के अंदर ही जवानों ने 7 नक्सलियों को ढेर कर दिया था। वहीं नक्सली एक तरफ से दूसरी तरफ भागने लगे तो दूसरी तरफ मौजूद पुलिस पार्टी ने उन्हें घेरकर मारा।
31 नक्सलियों के शव बरामद
पहले 7, फिर 7 और तीसरी बार में 9 माओवादियों का एक के बाद-एक एनकाउंटर किया गया, जिसके बाद देर शाम तक पुलिस ने कुल 31 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए थे। रातभर जवान घटनास्थल पर ही मौजूद थे। सुबह होते ही एक बार फिर से सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
AK-47 समेत कई हथियार किए गए जब्त
बस्तर आईजी पी सुंदरराज के मुताबिक फोर्स ने मौके से LMG , AK-47, SLR, इंसास, कैलिबर 303 राइफल और अन्य हथियार बरामद किया है। इस मुठभेड़ में DRG (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) जवान रामचंद्र यादव घायल हो गए, जिन्हें रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
बड़े कैडर के नक्सली ढेर
ऐसा बताया जा रहा है कि इस एनकाउंटर में बड़े कैडर के नक्सली मारे गए हैं। कुछ नक्सली घायल भी हैं, जिन्हें उनके साथी अपने साथ लेकर चले गए हैं।
कांकेर में जवानों ने 29 माओवादियों को मार गिराया था।
साल का दूसरा सबसे बड़ा ऑपरेशन
दरअसल, बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस फोर्स अटैकिंग मोड पर काम कर रही है। इससे पहले इसी साल 16 अप्रैल को कांकेर में जवानों ने 29 माओवादियों को मार गिराया था। तब यह नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन था।
वहीं 4 अक्टूबर को हुए एनकाउंटर में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। यह नक्सल हिस्ट्री का सबसे बड़ा और सफल अभियान था।
बस्तर में तैनात हैं 60 हजार से ज्यादा जवान
नक्सलियों के खिलाफ चल रही लड़ाई के लिए बस्तर में अलग-अलग फोर्स के करीब 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। इनमें कांकेर में SSB, BSF, ITBP, नारायणपुर में ITBP, BSF, STF, कोंडागांव में ITBP, CRPF के जवान तैनात हैं। वहीं दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में STF, कोबरा और CRPF के जवान तैनात हैं। इसके अलावा सभी जिलों में DRG, जिला बल, बस्तर फाइटर्स, बस्तरिया बटालियन भी सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।
अमित शाह ने कहा था- 2026 तक नक्सलवाद से दिलाएंगे आजादी
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जब CG दौरे पर थे तो उन्होंने दावा किया था कि 2026 तक बस्तर से माओवादियों का खात्मा कर दिया जाएगा। बस्तर नक्सलवाद की समस्या से आजाद हो जाएगा। शाह के इस दावे के बाद बस्तर में जवान नक्सलियों के ठिकाने में घुसकर उन्हें मार रहे हैं। पिछले 9 महीने में 188 माओवादियों को मार गिराया गया है।