सूरत : गुजरात के सूरत में रेलवे ट्रैक से फिश प्लेट और 71 कीज हटाने के मामले में नया खुलासा हुआ है। जांच में पता चला कि इसकी सूचना देने वाला की-मैन ही इसका आरोपी निकला। दरअसल, की-मैन सुभाष कुमार पोद्दार ने कबूला कि उसने इनाम और प्रमोशन पाने के लिए दो अन्य कर्मचारियों की मदद से यह साजिश रची थी। घटना 20 सितंबर की है।
कीज और फिश प्लेटें भी इन्हीं ने ही निकाली थीं। सुभाष ने सोचा था कि बड़ा हादसे रोकने की उसकी सतर्कता की वजह से उसे प्रमोशन और इनाम मिल जाएगा। इस साजिश में उसने ट्रैकमेन की जिम्मेदारी संभालने वाले अन्य दो साथियों को शामिल किया था। पुलिस ने तीनों आरोपियों सुभाष पोद्दार, मनीष कुमार मिस्त्री और शुभम जयसवाल को अरेस्ट कर लिया है। इस केस की जांच स्थानीय पुलिस के साथ रेलवे और NIA की टीमें कर रही हैं।
सुभाष ने ही दोनों को साजिश में शामिल किया था: एसीपी
पुलिस हिरासत में तीनों आरोपी।
एसीपी हितेश जोयसर ने बताया कि तीनों आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। साजिश का मुख्य सूत्रधार सुभाष पोद्दार है। उसने ही रेलवे के अन्य दो कर्मचारियों को साजिश में यह कहकर शामिल किया था कि ट्रेन हादसा रोकने पर तीनों सोशल मीडिया में हीरो बन जाएंगे। इसके अलावा रेलवे बोर्ड से नगद इनाम और मैडल भी मिलेंगे।
तीनों आरोपी बतौर ट्रैकमैन ट्रैक मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। सुभाष सबसे पुराना कर्मचारी है। वह पिछले 9 सालों से रेलवे में नौकरी कर रहा है। मनीष की जॉब डेढ़ साल पहले लगी थी, जबकि शुभम कुछ समय पहले ही कॉन्ट्रेक्ट पर रखा गया था। एसीपी हितेश जोयसर ने आगे कहा कि जल्द ही तीनों आरोपियों को रिमांड पर लिया जाएगा।
उधर, मध्य प्रदेश में बुरहानपुर के पास 18 सितंबर को आर्मी की स्पेशल ट्रेन गुजरने से पहले ट्रैक पर डेटोनेटर्स फटे थे। इस मामले में भी रेलवे कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया है।
सुभाष ने ही रेलवे स्टेशन मास्टर को दी थी सूचना… इस पूरे मामले को समझिए
पटरियों को लॉक रखने वाली 71 कीज भी हटा दी गई थीं।
यह घटना 20 सितंबर की है। सूरत से 50 किमी दूर कीम रेलवे स्टेशन मास्टर को सुभाष ने बताया कि रेलवे ट्रैक से फिश प्लेट और 71 कीज गायब हैं। इसका पता रेलवे ट्रैक का निरीक्षण के दौरान चला। किसी ने ट्रैक से फिश प्लेट और कीज के पार्ट निकालकर उन्हें ट्रैक पर रख दिया।
सूचना मिलते ही स्टेशन मास्टर ने इस ट्रैक से गुजरने वाली दो पैसेंजर ट्रेनें रुकवा दी थीं। ट्रैक से सुबह 5.30 बजे गरीब रथ को गुजरना था। उसके बाद 5.45 बजे सुपरफास्ट अगस्त क्रांति ट्रेन गुजरने वाली थी। हालांकि, 20 मिनट में ही नई फिश प्लेट लगाने के बाद रेलवे सेवा बहाल कर दी गई थी।
अब जानिए, वे 2 बड़ी वजहें, जिससे रेलवे अफसर को सुभाष पर शक हो गया था…
दो फिश प्लेट खोलकर उन्हें ट्रैक पर दोनों तरफ रख दिया गया था।
पहली वजह: अनुभवी व्यक्ति भी 30 मिनट में 2 फिश प्लेट ही खोल सकता है एक किमी की दूरी पर दो फिश प्लेट और 78 पेडलॉक निकाले गए। इसमें एक घंटे तक का समय लग सकता है। ट्रैक पर इतने लंबे समय तक काम करना संभव नहीं है। इससे साफ था कि यह काम करने वाला रेलवे का अनुभवी कर्मचारी होगा, साथ ही उसके पास पर्याप्त औजार होने चाहिए। इसके बावजूद भी 2 फिश प्लेट खोलने में ही 30 मिनट का समय लग सकता है।
जांच के लिए रेलवे के तकनीकी विशेषज्ञों के अलावा स्थानीय पुलिस, ATS और NIA की टीम को भी शामिल किया गया।
शक की दूसरी वजह: 5 किमी तक का सर्च ऑपरेशन
रेलवे के टेक्निकल एक्सपर्ट्स के साथ एटीएस व एनआईए की टीम भी जांच में शामिल थीं।
आरोपियों और औजारों की तलाश के लिए स्थानीय पुलिस की 5 टीमों के अलावा आरपीएफ और जीआरपीएफ की टीमों ने ट्रैक के दोनों तरफ 5 किमी तक सर्च ऑपरेशन चलाया था। पुलिस को आशंका थी कि आरोपी औजार कहीं फेंक कर जा सकते हैं, लेकिन कुछ नहीं मिला। इसके अलावा ट्रैक के आसपास एक से ज्यादा व्यक्ति की आवाजाही के भी सबूत नहीं मिले।
जांच टीम ने घटना के समय इस ट्रैक से गुजरने वाली दो ट्रेनों के लोको पायलट से भी पूछताछ की। लेकिन, इन दोनों ट्रेनों के लोको पायलट को दो से तीन किमी के दायरे में इंसानी गतिविधि नजर नहीं आई थी। इसके अलावा आसपास के दर्जनों सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले गए थे, लेकिन उनमें भी कोई संदिग्ध गतिविधि दिखाई नहीं दी।
बुरहानपुर ट्रैक साजिश केस में रेलवे कर्मचारी गिरफ्तार,आर्मी की स्पेशल ट्रेन गुजरने से पहले डेटोनेटर्स फटे थे
बुरहानपुर के सागफाटा रेलवे स्टेशन के पास 18 सितंबर को आर्मी की स्पेशल ट्रेन गुजरने से पहले ट्रैक पर डेटोनेटर्स फटने के मामले में RPF ने रेलवे के ही एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। एक अन्य कर्मचारी से भी पूछताछ कर नोटिस दिया गया है। गिरफ्तार आरोपी साबिर रेलवे में मेट है। यह गैंगमैन से ऊंचा पद है। साबिर पर डेटोनेटर चुराने के आरोप में एफआईआर की गई है।