दैनिक उजाला डेस्क, हरियाणा : कुरुक्षेत्र जिले की थानेसर विधानसभा सीट 1967 में वजूद में आई थी। उस समय से लेकर आज तक हुए विधानसभा चुनावों में यहां कोई भी प्रत्याशी जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाया है। कांग्रेस के ओमप्रकाश लगातार दो बार 1968 और फिर 1972 में जीत दर्ज करके विधायक बने थे।
लेकिन तीसरी बार 1977 में जनता पार्टी की लहर में जनता पार्टी के उम्मीदवार देवेंद्र शर्मा ने ओमप्रकाश को हैट्रिक से रोक दिया था।देवेंद्र शर्मा की जीत का अंतर भी इतना अधिक था कि ओमप्रकाश को कुल वोट भी उतनी नहीं मिली थी, जितना जीत का अंतर था।
देवेंद्र शर्मा को 28044 वोट मिले थे और ओमप्रकाश को 12126 वोट ही हासिल हुए थे, जबकि जीत का अंतर 15918 रहा था। इसके विपरीत ओमप्रकाश ने 1968 और 1972 में छोटे मार्जन से जीत हासिल की थी। उन्होंने दोनों बार अखिल भारतीय जन संघ पार्टी के रामसरण दास को हराया था। 1968 में वे मात्र 384 वोट से और 1972 में 2203 वोट से ही जीत हासिल कर विधायक बने थे।
दूसरी बार अशोक अरोडा थे हैट्रिक के करीब
दूसरी बार हैट्रिक का मौका तब आया जब अशोक अरोड़ा ने थानेसर से लगातार दो बार विधानसभा चुनाव जीता। वे 1996 में और 2000 में चुनाव जीतकर विधायक बने थे। 1996 में उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और आजाद उम्मीदवार रमेश कुमार गुप्ता को 4975 वोट से हराया। वर्ष 2000 में उन्होंने इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़कर कांग्रेस के शशि सैनी को 13801 वोट से हराया। वर्ष 2005 में उनके हैट्रिक अभियान को कांग्रेस के रमेश कुमार गुप्ता ने ब्रेक लगा दिए और 1996 में अपनी हार का बदला भी ले लिया। रमेश कुमार गुप्ता ने ये चुनाव 14786 मतों के अंतर से जीता था।
अरोड़ा ने रमेश गुप्ता को हराया
हालांकि वर्ष 2009 के चुनाव में इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़कर अशोक अरोड़ा फिर से विधायक बने थे और उन्होंने कांग्रेस के रमेश कुमार गुप्ता को 8285 मतों के अंतर से हराया था।
प्रत्याशी
तीसरी बार हैट्रिक का मौका
इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सुभाष सुधा हैट्रिक पर हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में सुभाष सुधा ने इनेलो के अशोक अरोड़ा को 25638 मतों के भारी अंतर से पराजित किया था। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भी सुभाष सुधा ने जीत हासिल की थी, लेकिन उनकी जीत का मार्जन घटकर केवल 842 रह गया था और उन्होंने अशोक अरोड़ा को ही शिकस्त दी थी। बस फर्क यह था कि 2019 में अशोक अरोड़ा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े थे। इस बार भी मुख्य मुकाबला सुभाष सुधा और अशोक अरोड़ा के बीच ही है और बेहद कड़ा मुकाबला है।
सुधा की जीत पर लगेगी 2 हैट्रिक
वैसे थानेसर विधानसभा सीट का इतिहास बताता है कि यहां से किसी भी प्रत्याशी ने जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है। लेकिन इस बार यदि सुभाष सुधा चुनाव जीतने में कामयाब हो जाते हैं तो वे जीत की हैट्रिक लगाने का रिकॉर्ड बनाएंगे। इसके साथ-साथ एक संयोग यह भी होगा कि अशोक अरोड़ा की भी हैट्रिक लग जाएगी, लेकिन हार की। वे पिछले वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव यहां से सुभाष सुधा से ही हार चुके हैं। अब देखना यह होगा कि इस रोचक मुकाबले में दोनों की हैट्रिक लगती है या अशोक अरोड़ा भाजपा के सुभाष सुधा को हैट्रिक लगाने से रोक पाने में कामयाब हो पाते हैं।