चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच भाजपा को झटका लगा है। पंजाब में पंचायत चुनाव से पहले भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें एक साल पहले ही इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि अभी तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है।

इस्तीफे को लेकर सुनील जाखड़ से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं इस खुलासे से पंजाब BJP में बड़ी हलचल मची हुई है।

पंजाब भाजपा के जनरल सेक्रेटरी अनिल सरीन का कहना है कि सुनील जाखड़ ने इस्तीफा नहीं दिया है। अफवाह फैलाई गई है।

जानकारी के मुताबिक वह रवनीत सिंह बिट्‌टू को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाए जाने से नाराज चल रहे थे। बिट्‌टू लोकसभा चुनाव हार गए थे। हालांकि, बाद में उन्हें राजस्थान से राज्यसभा भेजा गया।

इसके अलावा वह पंजाब में भाजपा नेताओं के कामकाज के तरीके से भी नाराज हैं। इस बारे में जाखड़ पिछले हफ्ते PM नरेंद्र मोदी से भी एक मीटिंग के दौरान पद छोड़ने की इच्छा जता चुके हैं।

सूत्रों के मुताबिक जाखड़ ने जुलाई महीने से ही पार्टी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। हालांकि, भाजपा की मेंबरशिप मुहिम की शुरुआत के समय वह मौजूद रहे थे।

ये तस्वीर 19 मई 2022 की है। दिल्ली में BJP अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने सुनील जाखड़ को पार्टी जॉइन कराई थी।

ये तस्वीर 19 मई 2022 की है। दिल्ली में BJP अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने सुनील जाखड़ को पार्टी जॉइन कराई थी।

पार्टी कार्यालय में रखी मीटिंग में नहीं पहुंचे

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पंचायत चुनाव पर चर्चा और तैयारियों को लेकर गुरुवार को पार्टी कार्यालय में मीटिंग रखी गई थी। इसके लिए भी वह नहीं आए थे। जब BJP के किसी सीनियर मेंबर ने उन्हें इस बारे में फोन किया तो उनका जवाब था कि वह बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं और आगे भी किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होंगे।

इससे पहले जालंधर विधानसभा के उपचुनाव के बाद उनकी तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा को बताया गया था कि वह प्रधान पद पर नहीं रहना चाहते हैं।

जानकारों के मुताबिक जाखड़ के इस्तीफे देने की कई वजह हैं, क्योंकि उनकी लाइन BJP से अलग रही है। लोकसभा चुनाव में वह चाहते थे कि भाजपा अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़े। उन्होंने कई बयान भी इसको लेकर सामने आए थे, लेकिन आखिर में यह बात सिरे नहीं चढ़ पाई।

दूसरा भाजपा के पुराने नेता भी उनसे असहज महसूस कर रहे थे। वह हमेशा कहते हैं कि बाहर से आए लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके अलावा जाखड़ जिस हिसाब से पंजाब में संगठन में बदलाव चाहते हैं, उससे प्रदेश के नेताओं के अलावा केंद्रीय नेतृत्व भी सहमत नहीं है। जाखड़ का मानना है कि वह अपने हिसाब से काम नहीं कर पा रहे हैं।

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