झांसी : झांसी के ट्रांसपोर्टर सुमित गुप्ता झूठे केस में जेल जाने से बच गए। उनके एक ट्रक की नंबर प्लेट से कर्नाटक में फ्रॉड हुआ। ट्रक पर फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल कर ठग फैक्ट्री से 14 लाख की चीनी लेकर गायब हो गए। ठग सुमित गुप्ता नाम का आधार कार्ड और पैनकार्ड भी दे गए।
जब 1400 किलोमीटर का सफर तय करके कर्नाटक पुलिस सुमित गुप्ता को पकड़ने झांसी पहुंची तो इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। वारदात में इस्तेमाल ट्रक व सुमित का ट्रक दिखने में अलग-अलग है। वारदात के समय सुमित का ट्रक मध्य प्रदेश में था।
आधार कार्ड व पैनकार्ड पर सुमित गुप्ता का नाम सही था। मगर, फोटो, नंबर और एड्रेस गलत है। 12 घंटे की पड़ताल के बाद कर्नाटक पुलिस ने सुमित को कस्टडी से रिहा कर दिया।
कैसे खेल कर गए ठग, पुलिस भी चकमा खा गई

ये सुमित गुप्ता का ट्रक है, जो वारदात के दिन निवाड़ी में था।
बागलकोट से उड़ीसा जानी थी चीनी कर्नाटक के बागलकोट की एक फैक्ट्री से UP93 BT2248 नंबर का ट्रक 14 लाख की चीनी लेकर 17 फरवरी को उड़ीसा रवाना हुआ। मगर चीनी उड़ीसा नहीं पहुंची। ड्राइवर ने सुमित गुप्ता नाम का आधार कार्ड और पेनकार्ड की कॉपी फैक्ट्री में जमा कराई थी।
फ्रॉड के बाद मालिक ने सवालगी थाने में केस कराया। पुलिस ने ट्रक नंबर की डिटेल निकाली तो पता चला कि ट्रक झांसी के पिछोर की गेंडा कॉलोनी में रहने वाले ट्रांसपोर्टर सुमित गुप्ता का है। तब कर्नाटक पुलिस सुमित को उठाने रविवार को झांसी पहुंच गई। लेकिन यहां सुमित बेगुनाह मिला।
सुमित ने सौंपे बेगुनाही के 3 सबूत

झांसी पहुंची कर्नाटक पुलिस टीम को सुमित ने बेगुनाही के सबूत सौंपे।
पहला: दोनों ट्रकों में काफी अंतर
जिस ट्रक से चीनी गायब हुई, कर्नाटक पुलिस के पास उसका वीडियो था। सुमित गुप्ता ने बताया- उस ट्रक और मेरे ट्रक में काफी अंतर था। चूंकि मेरा ट्रक निवाड़ी में था। ड्राइवर को वीडियो कॉल कर पुलिस को दिखाया। फिर कर्नाटक पुलिस मुझे लेकर निवाड़ी गई। ट्रक की जांच की तो माना की ट्रक में अंतर है।
दूसरा: जीपीएस लोकेशन निवाड़ी में
घटना 17 फरवरी को हुई थी। उस दिन सुमित गुप्ता का ट्रक निवाड़ी में था। कर्नाटक पुलिस ने सबूत मांगा तो सुमित बोला कि ट्रक में जीपीएस लगा है। 16, 17 और 18 फरवरी की लोकेशन निकालकर दी। तीनों दिन ट्रक की लोकेशन निवाड़ी में मिली।
तीसरा- फर्जी आधार व पैनकार्ड
कर्नाटक पुलिस के पास सुमित गुप्ता नाम के आधार कार्ड और पैनकार्ड था। सुमित ने कहा कि ये मेरे नहीं है। इस पर मेरा और पिता का नाम सेम है। बाकी फोटो, नंबर और एड्रेस सब गलत है। सुमित ने अपने ऑरिजन आधार कार्ड और पेनकार्ड दिखाए।
लोगों ने कर्नाटक पुलिस को ही पकड़ लिया

कर्नाटक पुलिस बिना नंबर की गाड़ी में सुमित को पकड़कर ले जाने लगी तो लोगों ने विरोध कर दिया।
सुमित गुप्ता का ट्रांसपोर्ट का काम है। उनका कहना है- रविवार सुबह करीब 8 बजे घर के पास घूम रहा था। बिना नंबर की कार से कर्नाटक पुलिस के जवान आए। जो वर्दी नहीं पहने थे। बोले कि सुमित गुप्ता हो। हां कहते ही जबरन कार में डालने लगे।
चिल्लाने पर आसपास के लोग एकत्र हो गए और बदमाश समझकर सभी को पकड़ लिया। तब बोले कि हम लोग कर्नाटक पुलिस है। लोगों ने फोन कर लोकल पुलिस बुला ली। पता चला कि कर्नाटक पुलिस सुमित को पकड़ने आई है।
पुलिस सुमित को नवाबाद थाने ले गई। 12 घंटे तक हिरासत में रखकर कर्नाटक पुलिस ने जांच की। मगर सुमित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। इस पर उसे रात को छोड़ दिया गया। सुमित का कहना है कि लोग न आते तो पुलिस सीधे कर्नाटक ले जाती।
कौन है ठग, अब जांच में जुटी पुलिस

कर्नाटक पुलिस को लोगों ने पकड़ लिया और लोकल पुलिस बुला ली।
ठगों के शातिर दिमाग के आगे कर्नाटक पुलिस चकमा खा गई। आखिर वारदात में कौन लोग शामिल थे। इसकी नए सिरे से जांच कर्नाटक पुलिस ने शुरू कर दी है। झांसी में और भी लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है। कर्नाटक पुलिस ने 20 अप्रैल को सुमित को कर्नाटक बुलाया है। इसके बाद उसे क्लीनचिट दी जाएगी।
नवाबाद थाना प्रभारी ने जितेंद्र सिंह ने बताया कि कर्नाटक पुलिस ने जांच की तो सुमित गुप्ता के खिलाफ सबूत नहीं मिले। पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया।