प्रयागराज : प्रयागराज में लोक सेवा आयोग कार्यालय (UPPSC) के सामने 4 दिनों से प्रदर्शन कर रहे 10 हजार छात्रों की जीत हुई है। सरकार ने छात्रों की सभी मांगें मान ली हैं। दो शिफ्ट दो परीक्षा का फैसला वापस हो गया है। लोक सेवा आयोग के सचिव अशोक कुमार ने ऐलान कर दिया है।

गुरुवार सुबह प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिसकर्मियों में झड़प हो गई। पुलिसकर्मी सादी वर्दी में धरना दे रहे छात्रों को जबरन उठाने पहुंचे थे। पुलिस को देखते ही छात्र-एक दूसरे पर लेट गए। छात्रों का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने छात्राओं के साथ बदसलूकी की। गालियां भी दीं।

पुलिस की इस हरकत से छात्र भड़क गए। करीब एक घंटे के अंदर 10 हजार से ज्यादा छात्र आयोग के नजदीक पहुंच गए। पुलिस ने बैरिकेडिंग करके आयोग के रास्ते को सील कर दिया था।

प्रदर्शनकारी छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी। छात्र आयोग के गेट तक पहुंच गए। अब पुलिस बैकफुट पर है। पुलिस ने आयोग की बिल्डिंग को चारों तरह से घेरकर सुरक्षित किया।

पुलिसकर्मी उठाने पहुंचे तो छात्र एक दूसरे पर लेट गए।

पुलिसकर्मी उठाने पहुंचे तो छात्र एक दूसरे पर लेट गए।

करीब 5 हजार से ज्यादा छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी। पुलिस उनको रोक नहीं पाई।

करीब 5 हजार से ज्यादा छात्रों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी। पुलिस उनको रोक नहीं पाई।

इधर, डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा- अफसर छात्रों के साथ बातचीत करें और समस्या का हल निकालें। उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना भी साधा। कहा- सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले, जिसमें बहत्तर छेद हैं। अखिलेश राजनीतिक लाभ के लिए छात्रों की भावनाओं का राजनीतिकरण कर रहे हैं। इस रुख के साथ सपा का समाप्तवादी पार्टी बनना तय है।

इससे पहले, बुधवार रात को भी प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ तीसरी बार डीएम ने बातचीत की, लेकिन इस दौरान कोई हल नहीं निकला। बता दें, पीसीएस प्री और RO/ARO के अभ्यर्थी की मांग है कि आयोग नॉर्मलाइजेशन की प्रकिया को कैंसिल करे और दो-दो दिन की बजाए, दोनों एग्जाम को एक ही दिन में कराया जाए।

आयोग के गेट पर डटे छात्र

राहुल गांधी ने X पर लिखा- लोकतांत्रिक अधिकारों को तानाशाही से नहीं दबाया जा सकता

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रयागराज में आंदोलन कर रहे छात्रों का मुद्दा उठाया है। उन्होंने X पर लिखा, प्रयागराज में प्रतियोगी छात्रों के साथ यूपी सरकार और उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग का रवैया बेहद असंवेदनशील और दुर्भाग्यपूर्ण है। नॉर्मलाइजेशन के नाम पर गैर-पारदर्शी व्यवस्था अस्वीकार्य है और एक पाली में परीक्षा की छात्रों की मांग बिल्कुल न्यायपूर्ण है। शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने में जुटी भाजपा सरकार की अक्षमता की कीमत आखिर छात्र क्यों चुकाएं? ‘पढ़ाई’ करने वाले छात्रों को सड़क पर ‘लड़ाई’ करने को मजबूर कर दिया गया है और अब उनका पुलिस के जरिए उत्पीड़न किया जा रहा है। अपने और अपने परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए घर से दूर रहकर साधना कर रहे युवाओं के साथ ये अन्याय हम स्वीकार नहीं करेंगे। हम प्रतियोगी छात्रों की मांग का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को तानाशाही से नहीं दबाया जा सकता।

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