- एक संतुष्ट जीवन के लिए बहुमूल्य साबित होगी जीएलए के अल्यूमनस धीरज द्वारा लिखी किताब
दैनिक उजाला, मथुरा : एक सुखी जीवन जीने के लिए परम शांति का होना अतिआवश्यक है और यह शांति का मार्ग एक गुरू के दिखाए हुए ज्ञान से ही प्राप्त हो सकता है। अगर यही ज्ञान एक जगह शब्दों में पिरोकर मिल जाये तो हर कोई शांति के ज्ञान से अछूता न रहे। ठीक ऐसा ही किया है जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के अल्यूमनस धीरज सिंह ने।
जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के प्रबंधन संकाय के अल्यूमनस धीरज सिंह पढ़ाई के दौरान से ऐसी परिस्थितियों से गुजरे कि समस्याओं ने उनके पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। इस दौर में उनकी मुलाकात विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता से हुई तो उन्होंने धीरज को धैर्य के साथ आगे बढ़ने का ऐसा पाठ पढ़ाया कि वह फिर रूके नहीं और शांति का ऐसा मार्ग पकड़ा कि असफलता ने उनके सामने घुटने टेक दिए।
अपने गुरू जीएलए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता से शिक्षा-दीक्षा लेने के बाद धीरज ने ‘द मेंटर्स टूलकिट‘ नामक एक किताब लिख डाली। इस किताब में अल्यूमनस ने अपने अनुभव, गुरू द्वारा दी गई शिक्षा-दीक्षा, जीवन जीने का उद्देश्य तथा संतुष्ट जीवन के लिए परम शांति जैसे शब्दों को एकजुट कर एक किताब में अपनी कलम से पिरोया है। अल्यूमनस का उद्देश्य है कि इस किताब को पढ़ने के बाद अवश्य ही एक अच्छा मार्ग प्रशस्त होगा।

‘द मेंटर्स टूलकिट‘ बुक का विमोचन करते हुए मुख्य अतिथि जीएलए विश्वविद्यालय के सलाहकार प्रो. दुर्ग सिंह चौहान ने कहा कि हमारे देश में एक शब्द है गुरु, जो शिष्य अपने गुरु को देता है। अगर कोई कहे कि मैं गुरु हूँ, तो इसे अहंकार कहते हैं। इसे अज्ञान कहते हैं, लेकिन शिष्य कहे कि वह मेरा गुरु है, तो वह गुरू का सम्मान है। उन्होंने अल्यूमनस धीरज को गुरू से मिले ज्ञान पर किताब लिखने की शुभकामनाएं दीं। इस दौरान मुख्य अतिथि ने कहा कि स्कंध पुराण में गुरु पर 167 श्लोक हैं। गुरु साक्षात परमब्रह्म ये गुरु उनमें से एक है। इसे गुरु गीता भी कहते हैं। 167 श्लोकों से महान गुरु की कल्पना कोई नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति स्वयं को भूल सकता है और हमेशा दूसरों की सेवा कर सकता है, उसे परमार्थी कहा जाता है। जब अर्जुन कहता है, मैं आपका शिष्य हूं। उस समय भगवान कृष्ण गुरु बन जाते हैं। हमेशा महान लोगों को याद रखें। अगर आप बुरे लोगों को याद रखते हैं, तो आप बुरे बन जाते हैं। ये बहुत छोटी-छोटी बातें हैं।
एक शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण
कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने कहा कि एक शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। देखा जाय तो हम आजकल बहुत पेशेवर हो गए हैं। हमें इसकी परवाह नहीं है कि किसी के माता-पिता नहीं है। किसी के माता-पिता को कैंसर हो जाता है, लेकिन हम पूछते भी नहीं, हम ध्यान भी नहीं देते। हम बस क्लास में जाते हैं, पढ़ाते हैं, तनख्वाह लेते हैं और वापस आ जाते हैं। एक शिक्षक विद्यार्थी के विकास के लिए बहुत त्याग करना पड़ता है। उन्होंने सभी शिक्षकों से कहा कि आप ऐसे गुरु बनें, ताकि आपके बच्चे, आपके शिष्य, उनसे व्यक्तिगत रूप से जुड़े रहें और हमेशा उनकी प्रेरणा बनें। मैं धीरज का आभारी हूं कि उन्होंने मेरे बारे में यह किताब लिखी। उन्होंने लिखा कि मैं शिक्षक हूं और मेरे पास बहुत ताकत है। प्रो. गुप्ता ने अंत में अपने गुरू एसएम कॉलेज चंदौसी के प्रवक्ता केके अग्रवाल और उनके परिवार का कार्यक्रम में पहुंचने पर दिल से आभार व्यक्त किया।
आने वाली पीढ़ी के लिए शांति मार्ग प्रशस्त होगा
विशिष्ट अतिथि एसएम कॉलेज चंदौसी के प्रवक्ता केके अग्रवाल तथा एशिया हेल्थकेयर होल्डिंग्स की वाइस प्रेसीडेंट सीआरएम अर्चना चौधरी ने धीरज को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके द्वारा लिखी गई बुक से छात्रों, शिक्षकों तथा आने वाली पीढ़ी के लिए शांति मार्ग प्रशस्त होगा। कार्यक्रम में अल्यूमनस प्रेम सिंह तथा राज सिंह ने भी अपने अनुभव साझा किए।
इससे पूर्व कार्यक्रम शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। तत्पश्चात मुख्य अतिथि जीएलए के सलाहकार प्रो. दुर्ग सिंह चौहान को कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने, विशिष्ट अतिथि एसएम कॉलेज के प्रवक्ता केके अग्रवाल को कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता, विशिष्ट अतिथि अर्चना चौधरी को पूनम अग्रवाल ने स्मृति चिन्ह् भेंट किया।
कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी विभाग के डा. विवेक मेहरोत्रा ने किया।