नई दिल्ली : कैलाश गहलोत ने रविवार को आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दिया और सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने इसकी वजह पार्टी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और सीएम आवास ‘शीशमहल’ पर खर्च हुई सरकारी रकम के कारण बने विवाद को बताया। AAP सूत्रों के मुताबिक कैलाश की इस्तीफे की वजह उनकी LG वीके सक्सेना से बढ़ती दोस्ती रही।
सूत्रों के मुताबिक ये इस्तीफा उस वक्त ही तय हो गया था जब गहलोत और दिल्ली के LG वीके सक्सेना की दोस्ती AAP को अखरने लगी थी। केजरीवाल की सरकार ने जब भी LG पर किसी योजना को रोकने के आरोप लगाए, उसमें गहलोत का पक्ष पार्टी से ज्यादा गवर्नर के साथ नजर आया।
केजरीवाल ने गहलोत पर कई बार मीटिंग्स में इस दोस्ती को लेकर तंज भी कसा, लेकिन गहलोत ने कभी इस आरोप पर जवाब नहीं दिया। गहलोत और केजरीवाल के बीच दिल्ली के एलजी कांटे की तरह चुभते रहे।
मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद केजरीवाल ने गहलोत पर विश्वास न दिखाकर आतिशी को अपना राइट हैंड बनाया। यहीं से केजरीवाल और गहलोत के बीच एक-दूसरे को झटका देने का खेल शुरू हुआ। जो स्थिति बनी उसमें गहलोत को बीजेपी में लाने में LG बड़ी भूमिका में रहे।
कैलाश गहलोत ने दिल्ली सीएम आतिशी को इस्तीफा दिया था।
6 पॉइंट्स में समझें गहलोत के इस्तीफे के पीछे की कहानी…
- केजरीवाल ने गहलोत को दिया पहला झटका जब मनीष सिसोदिया जेल गए तो सबको लगा था कि गहलोत को उनके मंत्रालय सौंपे जाएंगे, लेकिन सारे मंत्रालय आतिशी को दिए गए। ये पहली बार था जब गहलोत का कद पार्टी में सबके सामने नीचा किया गया। गहलोत को पार्टी से मिला ये पहला झटका था।
- मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद ही गहलोत BJP में शामिल होने वाले थे AAP के सूत्र के मुताबिक जब मनीष सिसोदिया जेल गए थे, तभी गहलोत ने पार्टी छोड़ने का मन बनाया था, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्होंने ऐसा नहीं किया। दिल्ली BJP सूत्र के मुताबिक पार्टी ने गहलोत को इंतजार करने को कहा था। BJP चाहती थी कि AAP के अहम नेता को उस वक्त पार्टी में शामिल किया जाए, जब ये झटका 440 वोल्ट्स का बनकर लगे।
- दूसरा झटका गहलोत ने आम आदमी पार्टी को दिया गहलोत ने केजरीवाल के झटके का खुलकर विरोध नहीं किया, लेकिन केजरीवाल सरकार को दूसरा झटका उनकी तरफ से लगा। केजरीवाल जेल में थे। वे चाहते थे 2024 की 15 अगस्त को झंडा आतिशी फहराएं। इस पर जेल से निर्देश भी जारी कर दिया गया, लेकिन दिल्ली के LG ने केजरीवाल के इस आदेश पर पानी फेर दिया। उन्होंने आतिशी की जगह झंडा फहराने के लिए गहलोत को चुना। गहलोत ने पार्टी की टॉप लीडरशिप के आदेश के ऊपर LG सक्सेना के आदेश को चुना। इस मौके को उन्होंने आतिशी को तवज्जो मिलने से हुए अपमान का बदला लेने के तौर पर चुना। गहलोत ने पार्टी को कोई सफाई दिए बिना LG के आदेश को फॉलो किया।
- गहलोत और केजरीवाल आमने-सामने झंडा फहराने की घटना के बाद कैलाश गहलोत और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल आमने-सामने आ गए। गहलोत को पता था कि अब वे यहां नहीं टिक पाएंगे। AAP में गहलोत पर बीजेपी कार्यकर्ता होने का आरोप कई बार लगा। उन्हें पार्टी के हर निर्णय से दूर रखा जाने लगा। उनकी जगह आतिशी के साथ सौरभ भारद्वाज को तवज्जो मिली। यहां तक कि केजरीवाल जब जेल गए तो आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने ही सारी प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं। कैलाश गहलोत इन कॉन्फ्रेंस से गायब रहे। या कहें कि उन्हें इन कॉन्फ्रेंस से दूर रखा गया।
- LG ऑफिस में कभी नहीं अटके गहलोत के विभाग के काम जब पूरी आम आदमी पार्टी दिल्ली के LG वीके सक्सेना पर निशाना साध रही थी और दिल्ली के काम में उन्हें रोड़ा बता रही थी, ऐसे हालात में भी गहलोत के विभागों के काम कभी नहीं रुके। नई बसों का उद्धघाटन हो या फिर किसी नई योजना की आधारशिला रखना, LG सक्सेना हर जगह नजर आते थे। दिल्ली के लोगों को तीर्थ यात्रा कराने की योजना पर भी LG ने गहलोत की पहल पर ही मुहर लगाई। ये बात भी केजरीवाल के गले नहीं उतर रही थी। गहलोत-LG के रिश्ते साफ दिख रहे थे।
- आतिशी को CM बनाया, केजरीवाल का गहलोत को झटका केजरीवाल ने आतिशी को दिल्ली का नया CM बनाया। जबकि सीनियॉरिटी के आधार पर गहलोत प्रमुख दावेदार थे। पार्टी के भीतर भी गहलोत के नाम को लेकर सब एकमत थे, लेकिन विधायक मंडल की मीटिंग में अचानक आतिशी का नाम पेश किया गया। इस फैसले को लेकर न तो पार्टी विधायकों से राय ली गई और न ही आतिशी को CM बनाने के निर्णय पर कोई सफाई दी गई। सूत्रों की माने तो तब भी गहलोत AAP छोड़ने के मूड में थे, लेकिन बीजेपी ने उन्हें और इंतजार करने को कहा। गहलोत भी इस इमेज के साथ पार्टी से नहीं जाना चाहते थे कि उन्हें CM नहीं बनाया गया तो वे पार्टी से रूठ गए।
कैलाश गहलोत 18 नवंबर को बीजेपी में शामिल हुए।
बीजेपी में क्या होगा गहलोत का काम? अगले साल दिल्ली में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में गहलोत बीजेपी के बड़े स्टार बनेंगे। हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि बीजेपी उन्हें क्या पद देगी, लेकिन ये तय है कि दिल्ली में गहलोत बड़ा चेहरा बनेंगे। उन्हें आम आदमी पार्टी के खिलाफ पोल खोल अभियान चलाने का जिम्मा दिया जाएगा।