बैंगलोर : कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन घोटाला मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इससे पहले राज्यपाल ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) में हुए कथित घोटाले को लेकर सीएम सिद्धारमैया को कारण बताओ नोटिस भेजा था। राज्यपाल ने नोटिस में एमयूडीए द्वारा उनकी पत्नी को भूमि साइटों के आवंटन में कथित अनियमितता को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।
झूठे आरोप, छवि खराब करने की कोशिश : सिद्धारमैया
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को इस मुद्दे पर कैबिनेट मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। इस बीच सिद्धारमैया ने कांग्रेस आलाकमान को इस मामले में स्पष्टीकरण दिया है। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने दावा किया कि एमयूडीए भूमि घोटाले में उनके मंत्रिमंडल की कोई संलिप्तता नहीं है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा और जेडीएस पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन घोटाले के संबंध में झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया था।
चुनी हुई सरकार को हटाने की कोशिश
सिद्धारमैया ने कहा, कांग्रेस ने विपक्ष की पदयात्रा के खिलाफ जन आंदोलन सम्मेलनों का आयोजन किया। हमने लोगों से कहा है कि वे झूठ बोल रहे हैं, वे झूठे आरोपों के साथ पदयात्रा कर रहे हैं। वे उनकी छवि पर काला धब्बा लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वे चुनी हुई सरकार को हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, सीएम सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने कुछ जमीन गिफ्ट के तौर पर दी थी। यह जमीन मैसूर जिले के कैसारे गांव में स्थित है। बाद में इस जमीन को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) ने अधिग्रहित कर लिया, और इसके बदले पार्वती को विजयनगर इलाके में 38,223 वर्ग फीट के प्लॉट दे दिए गए। आरोप है कि दक्षिण मैसूर के प्रमुख इलाके में मौजूद विजयनगर के प्लॉट की कीमत कैसारे गांव की उनकी मूल जमीन से बहुत ज्यादा है। इसी को लेकर सिद्धारमैया भ्रष्टाचार के आरोप में घिर गए हैं।