नई दिल्ली : तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी वाले घी के इस्तेमाल पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा- ‘जब प्रसाद में पशु चर्बी होने की जांच CM चंद्रबाबू नायडू ने SIT को दी, तब उन्हें मीडिया में जाने की क्या जरूरत थी। कम से कम भगवान को तो राजनीति से दूर रखें।’

बेंच ने कहा- जुलाई में लैब रिपोर्ट आई। वह स्पष्ट नहीं है। मुख्यमंत्री SIT जांच के आदेश देते हैं और फिर सितंबर में मीडिया के सामने बयान देते हैं। एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा कैसे कर सकता है।’

कोर्ट ने तिरुपति मंदिर की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा से पूछा- इस बात के क्या सबूत हैं कि लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किया गया था। इस पर उन्होंने कहा कि हम जांच कर रहे हैं। इसके बाद जस्टिस गवई ने पूछा, ‘फिर तुरंत प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।’

बेंच ने करीब 1 घंटे की सुनवाई के बाद कहा कि मामले की जांच SIT से ही कराएं या फिर किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से, इसके लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से हम सुझाव चाहते हैं। सभी याचिकाओं पर एक साथ 3 अक्टूबर को दोपहर 3:30 बजे सुनवाई करेंगे।

आज कोर्ट में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, वाई.वी. सुब्बा रेड्डी, विक्रम संपत और दुष्यंत श्रीधर के अलावा सुरेश चव्हाण की 4 याचिकाएं थीं। स्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील राजशेखर राव, वाई.वी. सुब्बा रेड्डी की ओर से सिद्धार्थ लूथरा, आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी और ​​​​केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे।

कोर्ट रूम LIVE…

एडवोकेट राव : वहां एक प्रक्रिया है जिसके तहत शुद्ध सामान ही अंदर जाता है वो भी बिना इजाजत नहीं। माननीय मुख्यमंत्री का बयान इससे इनकार करता है। TTD के अधिकारियों ने कहा था कि घी 100% नहीं था। क्या उसकी सैंपलिंग हुई थी? क्या सैंपल रिजेक्टेड सैंपल से लिए गए थे? सप्लायर कौन था? क्या किसी राजनीतिक दखल को इजाजत दी जानी चाहिए?

एडवोकेट राव : बयान देना कि प्रसाद में मिलावट है जबकि आपके पास इसके पीछे कोई आधार भी नहीं है, ये परेशान करने वाला है। उच्च पद पर बैठे व्यक्ति की क्या जिम्मेदारी रह गई? आज धर्म है कल कोई और चीज होगी।

याचिकाकर्ता : मैं चाहता हूं कि भावनाओं का सम्मान हो। मेरी भावनाएं आहत हुई हैं। हमारी मांग है कि संवैधानिक समिति बनाई जाए, जिसकी जांच रिटायर्ड जज करे।

आंध्र की ओर से रोहतगी : ये वास्तविक याचिकाएं नहीं हैं। यह मौजूदा सरकार पर हमले की कोशिश है। TTD ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है किस तरह का सामान सप्लाई किया जा रहा है।

जस्टिस गवई : क्या आपके पास कोई आधार है, जो आप इस नतीजे पर पहुंचे हैं?

आंध्र की ओर से रोहतगी : हमारे पास लैब रिपोर्ट है।

जस्टिस जे विश्वनाथन : रिपोर्ट अभी साफ नही है। अगर आपने जांच के आदेश दे दिए थे, तो मीडिया में जाने की क्या आवश्यकता थी। रिपोर्ट जुलाई में आई थी और बयान सितंबर में आया। शुरुआती रिपोर्ट कहती है कि यह वह मटेरियल नहीं था, जिसे प्रसाद बनाने में इस्तेमाल किया गया।

जस्टिस गवई : आपने SIT बनाई थी, जब तक नतीजा नहीं आ जाता आपको मीडिया में जाने की क्या आवश्यकता थी। आप हमेशा ऐसे ही चले आते हैं ये दूसरी बार है।

जस्टिस गवई : जब आप संवैधानिक पद पर बैठे होते हैं तो हम उम्मीद करते हैं कि आप ऐसे बयान नहीं देंगे। हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप भगवान को इससे दूर रखें।

जस्टिस विश्वनाथन: जब तक आप निश्चित नहीं हो जाते, तब तक आप जनता के बीच ऐसे बयान कैसे दे सकते हैं? ऐसे में जांच का क्या मतलब रह जाता है।

आंध्र सरकार: पिछले कुछ सालों से घी प्राइवेट कंपनियों से लिया जा रहा है। इसकी क्वालिटी को लेकर शिकायत आई थी, इसके बाद हमने टेंडर जारी करने वालों को नोटिस भेजा।

जस्टिस गवई: क्या जो घी सही नहीं था, उसे प्रसादम के लिए इस्तेमाल किया गया?

आंध्र सरकार: हम इसकी जांच कर रहे हैं।

जस्टिस गवई: तब मीडिया में बोलने की इतनी क्या जल्दी थी? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए था।

जस्टिस विश्वनाथन: क्या सबूत है कि इसी घी का इस्तेमाल प्रसादम बनाने के लिए किया गया था?

जस्टिस विश्वनाथन: जब आप सप्लाई की मंजूरी देते हैं, घी मिला दिया जाता है तो आप इसे अलग कैसे करते हैं। आप कैसे पहचान करते हैं कि किस सप्लायर ने घी भेजा था।

जस्टिस गवई: आपने SIT का गठन कब किया?

आंध्र सरकार: 26 सितंबर।

जस्टिस गवई: आपके मुख्यमंत्री मीडिया के बीच कब गए?

जस्टिस विश्वनाथन: आप कह सकते हैं कि टेंडर गलत तरीके से दिए गए थे, लेकिन क्या यह कह सकते हैं कि घी का इस्तेमाल प्रसादम में किया गया, क्या सबूत है?

जस्टिस गवई: क्या सबूत है कि मिलावट वाला घी प्रसादम में मिलाया गया?

TTD: लोगों ने शिकायत की थी कि लड्डू का स्वाद सही नहीं लग रहा है।

जस्टिस गवई: आप कह रहे हैं कि लोगों ने स्वाद की शिकायत की, क्या आपने लड्डू को जांच के लिए NDDB भेजा था कि क्या इसमें मिलावट है?

जस्टिस गवई: क्या समझदारी यह नहीं कहती है कि दूसरी ओपिनियन लेनी चाहिए थी। सामान्य सी बात है, हम सेकेंड ओपिनियन लेते हैं। ऐसा कोई सबूत नहीं है कि घी का इस्तेमाल किया गया था।

सॉलिसिटर जनरल: यह आस्था का मसला है। अगर मिलावट वाला घी इस्तेमाल किया गया, तो इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। ये पता करना चाहिए कि कौन जिम्मेदार है। इसकी जांच जरूर होनी चाहिए।

जस्टिस गवई: अगर SIT जांच चल रही है और ऐसे बयान पब्लिक में दिए जा रहे हैं तो SIT पर क्या असर पड़ेगा। अगर शिकायत थी तो आपको हर टैंकर की जांच करनी थी।

TTD: सभी जगह से सैंपल लिए गए थे, ऐसा दो बार किया गया। NDDB की रिपोर्ट से साफ है कि मिलावट थी। अगर प्रोडक्ट में शिकायत पाई गई, तब हम जांच के लिए NDDB को भेजते हैं, रिपोर्ट उन्होंने ही दी है, हमने नहीं।

जस्टिस गवई- लेकिन यह कहीं स्पष्ट नहीं है कि इसका इस्तेमाल प्रसादम में किया गया। आपका ही अधिकारी कह रहा है कि मिलावट वाला घी इस्तेमाल नहीं किया गया।

TTD: यह केवल एक न्यूज रिपोर्ट थी।

जस्टिस गवई: जवाब देने से पहले ध्यान रखिएगा। इसका बहुत व्यापक असर होगा। आपके पास कोई जवाब नहीं है आज। 18 को बयान देने का कोई आधार नहीं था।

जब सुप्रीम कोर्ट मजाक में बोला- उम्मीद है लंच में हमें लड्डू नहीं खाने होंगे

सुप्रीम कोर्ट ने जब यह केस सुनना शुरू किया तब याचिकाकर्ता वाईबी सुब्बा रेड्डी के वकील ने कहा कि सीनियर वकील कपिल सिब्बल यहां नहीं हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एक बजे मामला सुनेंगे। आप लोगों का लंच टाइम कम कर देंगे। हमें उम्मीद है कि सॉलिसिटर जनरल हमारे साथ रहेंगे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें बंगाल रेप केस में 2 बजे फिजिकली कोर्ट में मौजूद रहना होगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जस्टिस लूथरा मौजूद रहेंगे या नहीं। इस पर वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वो लड्डू को प्राथमिकता देंगे। इस पर जस्टिस बीआर गवई ने मजाक में कहा- उम्मीद है हमें लंच में लड्डू नहीं खाने होंगे।

डिप्टी CM का 11 दिन का प्रायश्चित, पूर्व CM जगन को मंदिर जाने की इजाजत नहीं

पवन कल्याण ने रविवार (22 सितंबर) की सुबह गुंटूर जिले के नंबूर स्थित श्री दशावतार वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रायश्चित दीक्षा ली।

पवन कल्याण ने रविवार (22 सितंबर) की सुबह गुंटूर जिले के नंबूर स्थित श्री दशावतार वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रायश्चित दीक्षा ली।

तिरुपति मंदिर के प्रसाद में एनिमल फैट की बात सामने आने के बाद से लगातार राजनीति हो रही है। डिप्टी CM पवन कल्याण ने रविवार (22 सितंबर) से 11 दिनों की प्रायश्चित दीक्षा की शुरुआत की। इस दौरान वह उपवास रख रहे हैं। पवन ने कहा- मुझे अफसोस है कि मैं मिलावट के बारे में पहले क्यों नहीं पता लगा पाया। मुझे दुख हो रहा है। इसके लिए प्रायश्चित कर रहा हूं।

वहीं आंध्र प्रदेश के पूर्व CM जगन मोहन रेड्डी को मंदिर जाने की इजाजत नहीं दी गई। जगन 28 सितंबर को तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में विशेष अनुष्ठान करने वाले थे। एक दिन पहले ही उन्हें नोटिस जारी किया गया। नोटिस में कहा गया है कि YSRCP पार्टी के कार्यकर्ताओं को तिरुमाला मंदिर जाने की इजाजत नहीं है

पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ केस दर्ज

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। उन पर श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की पवित्रता को नुकसान पहुंचाने और प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू प्रसादम में इस्तेमाल किए जाने वाले घी में मिलावट के आरोपों के बाद हिंदू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। हैदराबाद के सैदाबाद पुलिस स्टेशन में एक वकील ने यह शिकायत दर्ज कराई है।

यह विवाद कैसे सामने आया

कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) पिछले 50 साल से रियायती दरों पर ट्रस्ट को घी दे रहा था। तिरुपति मंदिर में हर छह महीने में 1400 टन घी लगता है। जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद जगन सरकार (YSRCP) ने 5 फर्म को सप्लाई का काम दिया था। इनमें से एक तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स भी है। इसके प्रोडक्ट में इसी साल जुलाई में गड़बड़ी मिली थी।

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