नई दिल्ली : हर साल नवंबर के पहले हफ्ते में 2000 से 4000 मीटर के बीच के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी का एक दौर शुरू हो जाया करता है। लेकिन उत्तराखंड में दुनिया के सबसे ऊंचाई पर बने तुंगनाथ मंदिर में इस बार बर्फ का कतरा भी नजर नहीं आ रहा। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई करीब 4000 मीटर है।
यही स्थिति उत्तराखंड में स्थित चारों धाम यानी केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री की है। इन क्षेत्रों में तापमान मैदानों जैसा हैं। ये हालात मानसून के बाद होने वाली बारिश कम होने से बने हैं।
मौसम विभाग के मुताबिक, सितंबर के बाद यहां सामान्य से 90% बारिश कम हुई है। इसके चलते तापमान अचानक बढ़ा। यही कारण है कि नवंबर में भी पहाड़ों का यह हिस्सा सूना है।
वहीं, उत्तर भारत के कई शहरों में प्रदूषण के चलते धुंध बढ़ गई है। दिल्ली, सोनीपत, गाजियाबाद, आगरा समेत कई इलाकों में सुबह 7 बजे AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 300 के पार रिकॉर्ड किया गया।
तुंगनाथ में इस साल अब तक बर्फबारी नहीं हुई। ये तस्वीर नवंबर 2023 की है।
मौजूदा हाल: पश्चिमी विक्षोभ के कारण पारा 2-3 डिग्री ज्यादा देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री ज्यादा चल रहा है। ठंड उतनी नहीं पड़ रही है, जितनी इन दिनों में हुआ करती थी। दिन के समय गर्मी महसूस हो रही है।
बदलाव की वजह: मानसून बाद बारिश कम, इसलिए ठंडक नहीं
आमतौर पर मानसून सीजन के दौरान इन इलाकों में सामान्यत: 1163 मिमी बारिश होती है। इस बार 1273 मिमी बारिश हुई। यह लगभग 10% ज्यादा है। हालांकि, मानसून के बाद होने वाली बारिश पर्याप्त न होने से मौसम की स्थिति बदली हुई है।
पर्यटक निराश हो सकते हैं
इन ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ का दीदार करने आने वाले पर्यटक बर्फबारी न होने से निराश हैं। इसका असर इस मौसम में होने वाले पर्यटन पर पड़ सकता है।
आगे क्या: आने वाले दिनों में तापमान गिरेगा, बर्फ के आसार
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, पहाड़ों पर इस बार ठंड देरी से शुरू हो सकती है। एक हल्का पश्चिमी विक्षोभ पहुंचा है। इसके प्रभाव से ऊंचे पहाड़ों पर हल्की बारिश और बर्फबारी संभव है। इसके बाद तापमान धीरे-धीरे गिरेगा। आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट के साथ बर्फबारी के आसार बढ़ रहे हैं। इसका असर निचले इलाकों में भी बारिश के रूप में देखने को मिल सकता है।
प्रदूषण से जुड़ी 3 तस्वीरें…
दिल्ली में पिछले एक महीने से सुबह धुंध छाई रहती है, यहां सुबह के समय कई इलाकों में AQI लगातार 300 पार रिकॉर्ड किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी प्रदूषण के चलते हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई। आगरा का ताजमहल रविवार को भी धुंध की चपेट में नजर आया।
महाराष्ट्र के कई शहरों में भी हवा की गुणवत्ता खराब हो चुकी है। मुंबई में रविवार को धुंध छाई रही।
AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों
AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।
हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।