ऋषिकेश : हिमाचल और उत्तराखंड में बारिश का तांडव रुक नहीं रहा है। जिस वजह से उत्तराखंड में गंगा नदी का जल स्तर बढ़ गया है। उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। बड़ी संख्या में लोग यहां दूर-दूर से आते हैं। ऋषिकेश में जो भी पर्यटक घूमने या गंगा स्नान करने के लिए पहुंचता है, वो राम और लक्षमण झूला दोनों पर जरुर आते हैं। लेकिन जलस्तर बढ़ने के कारण जो कटाव हुआ है उसके चलते राम झूला का सहायक तार टूट गया है। जिसके बाद से राम झूला पर वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। ऋषिकेश का ये राम झूला यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है, लेकिन पुल पर वाहनों और लोगों की आवाजाही रोके जाने के बाद अब लोग अब जलस्तर में कमी का इंतजार कर रहे हैं जिससे टूटे हुए तार को ठीक किया जा सके।
हर मौसम में उत्तराखंड में पर्यटकों का तांता लगा रहा है। बड़ी संक्या में लोग यहां गंगा स्नान करने आते हैं। इसी दौरान ऋषिकेश में जो भी पर्यटक घूमने पहुंचता है, वो यहां बने राम और लक्ष्मण झूले पर जरुर आता है। हर कोई पर्यटक दोनों पुलों पर जाना चाहता है, खासकर रात के वक्त, क्योंकि इस वक्त पुल की सुंदरता और भी ज्यादा देखने लायक हो जाति है। इसलिए ज्यादातर पर्यटक राम झूला पल पर घूमने फिरने के लिए जाते हैं। लेकिन अब इस पुल में थोड़ी दरार आ गई है, जिसके चलते पर्यटक कुछ दिन तक राम झूला पुल पर नहीं घूम सकेंगे।
उत्तराखंड से भी लगातार बादल फटने और भूस्खलन की ख़बरें आ रहीं है। यहां भी बारिश जमकर तबाही मचा रही है। इसके चलते यहां 10 लोगों की जान जा चुकी है। दूसरी तरफ मदमहेश्वर धाम में भारी बारिश के कारण पुल बहन गई। वहां 293 लोग फंसे थे, जिन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया है। बचाए गए लोगों में ज्यादातर श्रद्धालु हैं। सभी 293 लोगों को ‘रोप रिवर क्रासिंग मेथड’ तथा हेलीकॉप्टर के जरिए सुरक्षित निकाल लिया गया है।
लगातार बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान हिमाचल प्रदेश में देखने को मिल रहा है। अब तक यहां बाढ़ के कारण 10 हजार की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। जबकि बारिश के कारण पिछले तीन दिनों में कम से कम 74 लोगों की जान जा चुकी है और 13 लोग की कोई खोजखबर नहीं है, उन्हें ढूंढा जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के काम को बड़ी चुनौती करार दिया है।