• हमारे श्रेष्ठ और नौजवान छात्रों की मेहनत के बल पर भारत देश बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगा
  • जीएलए विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह में बोले समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे

दैनिक उजाला, मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के 13वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ), कार्यकारी समिति राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) एवं राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि भारत देश की अर्थव्यवस्था दसवें स्थान से पांचवें स्थान तक पहुंच गई है और चौथे तथा तीसरे स्थान पर धीरे-धीरे जाने वाली है। 2047 तक भारत देश दुनियां की सबसे बड़ी ताकत और बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर आयेगा। इसके लिए भी यही छात्र हैं जो आज दीक्षांत समारोह में डिग्री लेकर बाहर किसी न किसी सेक्टर में जिम्मेदारी निभाएंगे और 2047 तक भारत को उच्च स्तर पहुंचाने में अपनी अह्म भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कहा कि आज से दस वर्ष पहले देश में सिर्फ चार सौ स्टार्टअप पंजीकृत थे, लेकिन आज एक लाख 50 हजार से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं, जो कि पिछले 10 वर्षों से करीब 400 गुना से भी कहीं अधिक है। इन सभी स्टार्टअप की वेल्यूएशन करीब 1 बिलियन डॉलर से अधिक हैं। अभी जो स्टार्टअप आ रहे हैं यह स्टार्टअप सिर्फ आइआइटी और एनआइआइटी से नहीं है, बल्कि अन्य प्रदेश और शहर तथा गांव से भी आ रहे हैं। यानि हमारे में गांव के युवा छात्र समृद्ध हो रहे हैं।

इसी राह में आगे बढ़ते रहने के लिए विद्यार्थी जो लक्ष्य साधकर आगे बढ़ रहे हैं क्या उसे फॉलो कर रहे हैं या नहीं। उसका अपने आपको अवलोकन करने की अतिआवश्यकता है। हमेशां सत्य बोलिए किसी के प्रभाव में आकर सत्य को न भूलें। क्योंकि एक झूठ को छुपाने के लिए कई झूठ बोलने पडते हैं, जो भी आपका प्रोफेशन हैं जैसे कोई एमबीए है, फार्मासिस्ट है, इंजीनियर है यहां से बाहर जाने के बाद कोई नौकरी करेगा तो कोई स्टार्टअप खोलेगा। कुछ सरकारी सर्विस करेंगे कोई भावा परमाणु में भी वैज्ञानिक बतौर जाएगा। यानि जहां भी जाएं वहां अपना प्रोफेशनलिज्म न भूलें। सत्य के साथ प्रोफेशनलिज्म बहुत महत्वपूर्ण है। यही धर्म है।

स्वाध्याय के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई यह सोचे की आज डिग्री मिल गयी और आज से पढ़ना लिखना सब बंद। अगर ऐसे कोई समझ रहा है तो वह बहुत बड़ी गलतफहमी है। क्योंकि एजुकेशन सेक्टर, टेक्नोलॉजी सेक्टर और दूसरे सेक्टरों में बहुत बदलाव हुए हैं और हर दो से तीन सालों में और अधिक बदलाव देखने को मिलेंगे। इसलिए डिग्री लेकर यहां से बाहर जाने के बाद आत्मसात नहीं करेंगे और पढ़ेंगे नहीं तो आगे बढ़ने के रास्ते भी बंद हो जायेंगे। इसलिए हमेशां स्वयं करते रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पहले ऐसी व्यवस्थाएं नहीं थी कि कोई भी घर बैठकर कुछ नई चीज सीख सके। क्योंकि पहले कुछ नई चीज सीखने के लिए शिक्षक के पास, लाइब्रेरी, लैब तथा किसी अन्य व्यक्ति के पास भागना पड़ता था, लेकिन आज टेक्नोलॉजी के जो नए-नए अविष्कार हुए उसकी वजह से इंटरनेट के माध्यम से और यूट्यूब, ऑनलाइन कोर्सेस, जिसको हम बुक्स कहते हैं के माध्यम से बहुत कुछ सीख सकते हैं। हमारा देश ही स्वदेशी मुल्क है जहां स्वयं प्लेटफार्म इसके जरिए घर में बैठकर नई चीजें जो भी आ रही हैं वह पढ़ सकते हैं, लिख सकते हैं, जान सकते हैं और उसका प्रयोग कर सकते हैं। उसके ऊपर अपनी टेक्नोलॉजी भी आप खुद तैयार कर सकते हैं और इसलिए कई बार ऐसा होता है।

एआई बहुत शक्तिशाली इसके प्रयोग के लिए समझदारी जरूरी

आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस बहुत शक्तिशाली है, लेकिन इसके सही उपयोग को समझना बहुत जरूरी है। अगर यही नहीं समझ सके तो एआई का सही प्रयोग नहीं हो पायेगा और अगर कोई यह कहे कि मेरे पास अपना अनुभव है वह एआई का प्रयोग नहीं करेगा, तो यह भी गलत होगा। क्योंकि इतनी अधिक जानकारी जो लाखों, करोड़ों किताबों में छुपी हुई हुई है। उस जानकारी को छानकर उसका निचोड अगर निकालना है तो मशीन लर्निंग और एआई की सहायता से आपको तुरंत बहुत बड़ी उपलब्धि मिल सकती है, लेकिन उसका प्रयोग कैसे करना है यह भी सोचने की जरूरत है। उसकी मर्यादा क्या है वह भी समझने की जरूरत है और इसलिए हमारे देश में जल्द ही नए विषयों के इंजीनियर आ रहे हैं। यानि आप एआई और मशीन से क्या प्रश्न पूछेंगे उसी हिसाब से उत्तर मिलेगा।
गलत प्रश्न पूछेंगे तो गलत उत्तर मिलेगा। इसलिए कैसे और कौन से प्रश्न कब पूछने हैं इसकी पढ़ाई लिखाई भी हमारे एआई के जो शिक्षक हैं वह छात्रों को जानकारी दें, जिससे तर्क संगत उपयोग हो सके।

एआई के बेहतर उपयोग को खुले तीन केन्द्र

सबसे महत्वपूर्ण तीन जगहों में उसका उपयोग करने के लिए भारत सरकार ने 3 सेंटर पिछले माह ही शुरू किए हैं। आईआईटी दिल्ली और एम्स दिल्ली के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा पर एआई उत्कृष्टता केंद्र का उद्देश्य प्रारंभिक रोग की भविष्यवाणी, निदान और महामारी ट्रैकिंग पर ध्यान केंद्रित करना है। यह आयुष दवाओं सहित स्वास्थ्य सेवा के लिए परीक्षणों और डेटा संग्रह सपोर्ट करेगा, जबकि वहनीयता, गुणवत्ता और पहुंच से संबंधित चुनौतियों का समाधान करेगा।

आईआईटी रोपड़ के नेतृत्व में कृषि पर केंद्र का उद्देश्य फसल की पैदावार, मौसम और स्थानीय परिस्थितियों पर डेटा का लाभ उठाकर खेती के तरीकों को बदलना है। पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि के साथ एकीकृत करके, यह बुवाई, कटाई और फसल स्वास्थ्य पर एआई-संचालित, वास्तविक समय मार्गदर्शन प्रदान करेगा। यह इसलिए है कि बहुत किसान लोग पीड़ित हैं। कई जगह आत्महत्याएं हो रही हैं तो उनको सही दिशा दिखाने के लिए

आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में संधारणीय शहरों पर केंद्र स्मार्ट सिटी नियोजन, यातायात प्रबंधन और कुशल संसाधन वितरण के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाएगा। सेंसर, जीआईएस मानचित्रों और उपग्रह फ़ीड से डेटा को एकीकृत करके, यह संसाधन की जरूरतों का अनुमान लगाएगा और सार्वजनिक स्थान के डिजाइन को बेहतर बनाएगा।

संस्थान केन्द्रों से करें एमओयू साइन

उन्होंने कहा कि जब यह तीन एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से सहायता मिलना शुरू होगी तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह तीन ही इंस्टीट्यूट के लिए ही हैं। हमें ऐसे ही उनके साथ एमओयू कर उनसे जुड़कर रिसर्च कर सकते हैं। इसके बाद स्टूडेंट को वहां इंटर्नशिप के रूप में भेजकर उसकी भी पढ़ाई कैसे करवा सकते हैं, इसके लिए हर यूनिवर्सिटी के हर कॉलेज के प्राध्यापकों को कोशिश करनी पड़ेगी। इसके लिए जीएलए विश्वविद्यालय को भी प्लानिंग करने की जरूरत है।

प्रदूषण से मुक्ति हेतु पाठ्यक्रमों की आवश्यकता
हमें यही भी सोचने की जरूरत है कि हमारा गांव, शहर और राज्य की प्रदूषण से जूझ रहे हैं। इस समस्या के कहीं हद समाधान हेतु ऐसी व्यवस्थाएं की जाएं और यूनिवर्सिटी द्वारा सतत विकास पाठ्यक्रम चलाये जायें, जिससे विद्यार्थियों का इस ओर ध्यान आकर्षित हो और छात्र जब इंटर्नशिप पर जायें अथवा जॉब पर जायें तो वह अपनी कार्यशैली में प्रदूषण रहित विकास की भावना के साथ कार्य करे यह बहुत महत्वपूर्ण है।

हैकाथॉन से बढ़ रही भारत की ताकत

इसके अलावा आप सभी लोग यानि इनोवेटर हो। भारत की इनोवेटिव ताकत कितनी है यह हम नहीं जानते थे। यह एआईसीटीई ने जो स्मार्ट इंडिया हेकाथॉन शुरू किया। इसमें जीएलए के भी कई छात्रों ने प्रतिभाग किया होगा। इसका हाल ही में सातवां एडीशन पूरा हुआ है। अभी आठवां चल रहा है। इसके तहत सरकारी विभागों की समस्या, कंपनियों की समस्या, ऑटोमेटिक एनर्जी की समस्या, स्पेस साइंस की समस्या, रेलवे की समस्या, स्वास्थ्य मंत्रालय की समस्या या किसी एनजीओ की समस्या को छात्रों के सामने पेश करने के बाद जो समाधान निकल रहे हैं। उस समाधान से देश को आगे बढ़ने में काफी मदद मिल रही है। अनेक स्टार्टअप संचालित हो रहे हैं। पिछले नौ वर्ष पहले की बात की जाय तो ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वें स्थान पर भारत था, लेकिन पहली ही बार में पिछले वर्ष जब यह इंडेक्स जारी हुई तो भारत 39वें स्थान पर पहुंचा। इसी तरह आधा रास्ता तय हो चुका है और आधा करना बाकी है। भारत की 140 करोड से अधिक आबादी है। आगे भी लोकतंत्र के हिसाब से आगे बढ़ना है।

भारत के डीएनए में है उद्यमिता और इनोवेशन

भारत की आत्मा, भारत का डीएनए वह उद्यमिता और इनोवेशन का है, तो इसलिए हमारे जो अनपढ़ लोग हैं वह जो भी इनोवेशन/नवाचार करते है, भले ही उसको जुगाड़ कहा जाता है। वह किसी से कम नहीं है। ऐसे लोगों को भी आगे लाने के लिए राष्ट्रीय इनोवेशन फाउंडेशन जो कि गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है। वहां धूल के पेटेंट किए जा रहे हैं और जो कॉलेज और यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त करते हैं उनमें तो कहीं अधिक ज्यादा सामर्थ्य होना चाहिए।

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