• बलदेव कस्बा के खाकी वर्दी के साहब को एक शिकायतकर्ता की बात अजीब लगी तो तहसील के उच्चाधिकारी को भी अवगत करा दिया

-योगेश कुमार

जब मेरे बारे में जानता ही नहीं तो फिर उसने तुड़वाने का आरोप सीधे कैसे लगा दिया। मैं भी इस बात को कभी भूलूंगा नहीं। अगर खाकी वर्दी नहीं भूलेगी तो इसका सीधा उद्देश्य है कि शिकायतकर्ता को भी फूंक कर कदम रखने होंगे। क्योंकि बात खाकी वर्दी वाले साहब को बहुत बुरी जो लगी है।

अब साहब जिसे भी रिकॉर्डिंग शिकायतकर्ता की सुना रहे हैं उससे यह भी बोल रहे हैं कि इस डिपार्टमेंट में मुझे 20 साल के करीब हो गया। दूसरे शहर में भी मैंने एक खाकी वाले को ही जेल भेज दिया था।

शिकायतकर्ता से तो साहब ने शिकायत तक नहीं ली, दूसरे व्यक्ति से शिकायत ली, जिससे शिकायत ली उसी से यह सब कहा। अंत में यह भी कहा कि उससे कह देना यहां झांक न जाये। उस जैसे मैंने बहुत देखे हैं। मैं नरम हूं तो नरम रहो।

अब शिकायतकर्ता ने एक जिले के उच्चाधिकारी की शरण ली तो तो तहसील के उच्चाधिकारी जिले के उच्चाधिकारी के पास ही दौड़ लिए। वहीं शिकायतकर्ता और तहसील के साहब की बात हुई तो वहां सभी कागज परोस दिए। साहब ने भी कोई ज्यादा अपना गेम चेंजर जैसा न दिखाया, तो बैरंग ही लौट लिए।

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