दीपावली साल का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है। दीवाली उत्सव धनतेरस से शुरू होता है और भैया दूज पर समाप्त होता है। दीपावली उत्सव पाँच दिनों की होती है, दीवाली पूजा केवल परिवारों में ही नहीं, बल्कि कार्यालयों में भी की जाती है। इस दिन स्याही की बोतल, कलम और नये बही-खातों की पूजा की जाती है। दावात और लेखनी पर देवी महाकाली की पूजा और नये बही-खातों पर देवी सरस्वती की पूजा कर बही-खातों को भी पवित्र किया जाता है।

दीपावली पूजा मुहूर्त

दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजा करने के लिए सबसे शुभ समय सूर्यास्त के बाद का होता है। सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोषकाल कहा जाता है। प्रदोषकाल के समय व्याप्त अमावस्या तिथि दीवाली पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण होती है। अतः दीवाली पूजा का दिन अमावस्या और प्रदोषकाल के इस योग पर ही निर्धारित किया जाता है। इसलिए प्रदोष काल का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेस्ठ होता है और यदि यह मुहूर्त एक घटी के लिए भी उपलब्ध हो तो भी इसे पूजा के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए। दीपावली पूजा मुहूर्त दीपावली के दिन प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी जी की पूजा होती है। मान्यता है कि इस समय लक्ष्मी जी की पूजा करने से मनुष्य को कभी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। घर में सुख-समृद्धि बने रहे और मां लक्ष्मी स्थिर रहें इसके लिये दिनभर मां लक्ष्मी का उपवास रखने के उपरांत सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न (वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है) में मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिये। लग्न व मुहूर्त का समय स्थान के अनुसार ही देखना चाहिये।

लक्ष्मी पूजा (दीपावली) शुक्रवार, 1 नवम्बर

 31 अक्टूबर, को अमावस्या तिथि दोपहर 03:52 से 1 नवम्बर 18:20 सायं तक है।

अत: दीपावली 1 नवंबर को ही हैं, क्योंकि अमावस्या तिथि तथा प्रदोष काल पूजन के लिए श्रेष्ठ हैं।

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – शुक्रवार, नवम्बर 1, 2024

प्रदोष काल – 17:36 सायं से 18:16 रात्रि तक

वृषभ लग्न – 18:22 सायं से 20:14 रात्रि तक

महानिशा काल मुहूर्त – 11:40 रात्रि से 12:30 मध्यरात्रि तक

सिंह लग्न मुहूर्त- 12:50 मध्य रात्रि से 03:06 प्रातः  तक

 चौघड़िया अनुसार दीपावली (लक्ष्मी पूजा) मुहूर्त

लाभ – प्रातःकाल 07:56 से 09:18 प्रातःकाल तक

अमृत – प्रातःकाल 09:19 से 10:40 प्रातःकाल तक

शुभ – (दोपहर) मुहूर्त – 12:06 दोपहर से 13:26 दोपहर तक

चर – (दोपहर) मुहूर्त – 16:14 दोपहर से 17:36 सायं तक

लाभ – (रात्रि) मुहूर्त  – 20:50 रात्रिकाल से 22:28 रात्रि तक

शुभ – 12:04 मध्य रात्रि  से 01:40 रात्रि (2 नवम्बर) तक

शुभ – (उषाकाल) मुहूर्त – 01:40 मध्यरात्रि से 03:20 प्रातः (2 नवम्बर) तक

शहरों में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

17:36 सायं से 20:14 रात्रि – नई दिल्ली

17:36  सायं से 20:14 रात्रि – जयपुर

17:46 सायं से 20:24 रात्रि – अहमदाबाद

17:36 सायं से 20:14 रात्रि – चण्डीगढ़

17:48 सायं से 20:34 रात्रि – मुम्बई

17:40 सायं से 20:34 रात्रि – बेंगलूरु

17:36 सायं से 20:14 रात्रि – हैदराबाद

17:40 सायं से 20:34 रात्रि – चेन्नई

17:46 सायं से 20:24 रात्रि – कोलकाता

लग्न अनुसार मुहूर्त

निम्नलिखित चार लग्न प्रकृति में स्थिर माने जाते हैं और लक्ष्मी पूजा के लिए अच्छे माने जाते हैं।

1. वृश्चिक लग्न                             2. कुंभ लग्न                    3. वृषभ लग्न                   4. सिंह लग्न

तुला – 05:30 प्रातःकाल से 07:44 प्रातःकाल तक

वृश्चिक – 07:44 प्रातःकाल से 10:00 प्रातःकाल (स्थिर लग्न) तक

धनु – 10:00 प्रातःकाल से 12:04 प्रातःकाल तक

मकर – 12:04 दोपहर से 13:50 दोपहर तक

कुम्भ – 13:50 दोपहर से 15:24 दोपहर (स्थिर लग्न) तक

मीन – 15:24 दोपहर से 16:54 दोपहर तक

मेष – 16:54 दोपहर से 18:34 सायंकाल तक

वृषभ – 18:34 सायंकाल से 20:32 रात्रिकाल (स्थिर लग्न) तक

मिथुन – 20:32 रात्रिकाल से 22:44 रात्रिकाल तक

कर्क – 22:44 रात्रिकाल से 01:02 मध्यरात्रि, 2 नवम्बर 2024 तक

सिंह – 01:02 मध्यरात्रि 2 नवम्बर 2024 से 03:14 रात्रि, 2 नवम्बर 2024 (स्थिर लग्न) तक

कन्या – 03:14 मध्यरात्रि 2 नवम्बर 2024 से 05:24 प्रातःकाल 2 नवम्बर 2024 तक

लक्ष्मी पूजा शुक्रवार, 1 नवम्बर 2024

दीपावली की महनिशा पूजन, जो की दीपावली की रात्रि 1 नवम्बर से दूसरे दिन 2 नवम्बर सुबह होने से पहले तक की जाती हे, उसका समय सुबह 05:24 तक ही रहेगा

लग्न के अनुसार मुहूर्त इस प्रकार है

अधिकांश धार्मिक पुस्तकें सूर्यास्त के बाद प्रदोष के समय दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का सुझाव देती हैं जबकि अमावस्या तिथि प्रबल होती है। यदि सूर्यास्त से पहले अमावस्या तिथि समाप्त हो रही है तो चतुर्दशी तिथि को लक्ष्मी पूजा की जाती है जब सूर्यास्त के बाद अमावस्या प्रबल होती है।

वैदिक ज्योतिष में, चौबीस घंटे में बारह लग्न होते हैं और जिन्हें स्थिर, चल और सामान्य के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। निम्नलिखित चार लग्न प्रकृति में स्थिर माने जाते हैं और लक्ष्मी पूजा के लिए अच्छे माने जाते हैं।

1. वृश्चिक लग्न                 2. कुंभ लग्न                    3. वृषभ लग्न                   4. सिंह लग्न

चूंकि देवी लक्ष्मी गतिमान हैं और कभी भी एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं रहती हैं, इसलिए हमेशा एक निश्चित लग्न के दौरान उनकी पूजा करके उन्हें एक स्थान पर स्थिर या लंबे समय तक रहने का प्रयास किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्थिर लग्न के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा करने से वह स्थिर हो जाती हैं या कम से कम एक स्थान पर रहती हैं।

किंवदंतियों के अनुसार, देवी लक्ष्मी धनत्रयोदशी के दिन दूधिया सागर से निकलीं और दिवाली के दिन भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में चुना। इसलिए दिवाली अमावस्या को धन और समृद्धि की देवी को प्रसन्न करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन माना जाता है।

दीपावली पर्व के दौरान अमावस्या के दिन, सुबह में वृषभ लग्न, दोपहर के दौरान कुंभ लग्न, शाम के दौरान वृषभ लग्न और मध्यरात्रि के दौरान सिंह लग्न प्रबल होता है। इसलिए वृषभ लग्न को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह सूर्यास्त के तुरंत बाद प्रदोष के साथ आच्छादित हो जाता है। हालाँकि कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण, कोई व्यक्ति प्रदोष के दौरान लक्ष्मी पूजा करने में सक्षम नहीं होता है, वह अमावस्या के दौरान उपलब्ध निश्चित लग्न मुहूर्त चुन सकता है।

वृश्चिक लग्न मुहूर्त (प्रातः) – 07:44 प्रातःकाल से 10:00 प्रातःकाल, 1 नवम्बर 2024

वृश्चिक लग्न दीपावली के दिन प्रातःकाल में वृषभ लग्न प्रबल होता है। वृषिका लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा मंदिरों, अस्पतालों, होटलों, स्कूलों और कॉलेजों के लिए सबसे उपयुक्त है। जो लोग सार्वजनिक मामलों, राजनीति, विभिन्न टीवी और फिल्म कलाकारों, शो एंकर, बीमा एजेंटों से जुड़े हैं, उन्हें भी वृषभ लग्न के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

कुम्भ लग्न मुहूर्त (अपराह्न) – 13:50 दोपहर से 15:24 दोपहर, 1 नवम्बर

कुंभ लग्न दिवाली के दिन दोपहर के समय प्रबल होता है। कुंभ लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा बीमार लोगों, कर्ज में डूबे लोगों के लिए उपयुक्त है, जो बुरे प्रभाव से छुटकारा पाना चाहते हैं, जो व्यापार में पैसा खो रहे हैं और व्यापार में भारी कर्ज अर्जित किया है।

वृषभ लग्न मुहूर्त (सन्ध्या) – 18:3सायंकाल से 20:32 रात्रिकाल, 1 नवम्बर

वृषभ) – दीपावली के दिन शाम के समय वृषभ लग्न प्रबल होता है। वृषभ लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त समय है जो परिवार में रहते हैं, विवाहित हैं, बच्चे हैं, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग, ग्रामीण लोग, किसान, वेतनभोगी लोग और सभी प्रकार के काम में लगे व्यवसायी हैं। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण मुहूर्त है।

सिंह लग्न मुहूर्त (मध्यरात्रि) – 01:02 मध्यरात्रि से 03:14 मध्यरात्रि  2 नवम्बर  तक

 सिंह लग्न दिवाली की मध्यरात्रि में प्रबल होता है। सिंह लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा, साधुओं, संतों, विश्व त्यागियों और तांत्रिक समुदाय के लिए देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे उपयुक्त समय है।

अन्नकूट पूजा /गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा शनिवार, 2 नवम्बर, को है।

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:34  से 08:48 तक

प्रातः काल 10:45 से 12:05 तक

भाई दौज

शुभ मुहूर्त

प्रातः  08:00 से 09:30 (चर)

प्रातः  09:30 से 10:45 (लाभ)

दोपहर 10:45 से 12:10 (अमृत)

दोपहर 13:40 से 15:00 (शुभ)

सायं 18:00 से 19:30 (शुभ)

रात्रि 19:30 से 20:58 (अमृत)

डा0 आशीष शर्मा “कोविद”, “ज्योतिष् रत्न “

https://nakshatradasha.com/

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