- भरतपुर एवं लोहागढ़ डिपो, नई भर्ती नहीं होने के कारण अनेक पद खाली
भरतपुर : भरतपुर एवं लोहागढ़ डिपो बसों की कमी के साथ-साथ स्टाफ की कमी से भी जूझ रहा है। दोनों डिपो में चालक से लेकर परिचालक, कनिष्ठ अभियंता सहित लगभग सभी विभागों में स्टाफ की कमी का है। भरतपुर आगार में तो लेखाकार एवं कनिष्ठ लेखाकार के पांच पद हैं, लेकिन सभी खाली है। स्टाफ की इस कमी का नुकसान सिर्फ रोडवेज को ही नहीं, अपितु यात्रियों को भी उठाना पड़ रहा है। क्योंकि स्टाफ व बसों की कमी के कारण यात्रियों को पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में यात्रियों को ज्यादा किराया देकर अनुबंधित बसों का सहारा लेना पड़ता है।
नई भर्ती नहीं होने के कारण चालक-परिचालक से लेकर अनेक पद खाली हैं। स्टाफ की कमी के कारण रुटीन कार्य भी प्रभावित होता है। जो काम जिसका है वह काम कम स्टाफ के कारण दूसरों को भी करना पड़ रहा है।
भरतपुर आगार की बात करें तो यहां पर परिचालक एवं बुकिंग क्लर्क 162 चाहिए, लेकिन पद सिर्फ 122 भरे हैं, बाकी खाली पड़े हैं। इसी प्रकार चालक 146 चाहिए, लेकिन कार्यरत 138 हैं। कनिष्ट सहायक की बात करें तो इनके 17 पद हैं, लेकिन 8 पद ही भरें हैं। कनिष्ठ लेखाकार और लेखाकार की 5 जगह हैं लेकिन एक भी नहीं भरी हैं। मेकेनिकल ग्रेड-प्रथम में 16 की जगह 10 ही सेवारत हैं। मेकेनिकल तृतीय में 31 की जगह सिर्फ 3 ही भरे हैं।
इसी प्रकार लोहागढ़ डिपो में अनेक पद खाली पड़े हैं। कार्यालय (बाबू, अधिकारी आदि) में 26 पद हैं, और 35 की कमी है। कार्यशाला (जेईएन, मेकेनिकल, गार्ड आदि) में 26 है और 60 की कमी। परिचालक में 102 हैं और 29 कम हैं। चालक 108 हैं और 12 की कमी है।
दोनों डिपो में पद खाली होने का कारण नई भर्ती नहीं निकलना है। क्योंकि भरतपुर आगार में करीब 2014 के बाद नई भर्ती नहीं हुई हैं, इसी प्रकार लोहागढ़ डिपो में वर्ष 2013-14 से नई भर्ती नहीं हुआ हैं। इस समय दौरान अनेक कर्मचारी सेवानिवृत हो गए, लेकिन उनके पद नहीं भरे गए हैं। ऐसे में रोडवेज को कर्मचारियों की कमी खलने लगी है।
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स्टाफ की कमी के कारण रुटीन कार्य में परेशानी होती है। कर्मचाारियों पर भार भी पड़ता है। फिलहाल चालक व परिचालकों की कमी को पूरा करने के लिए ठेका पर भरतपुर डिपो में 10 सारथी हैं और लोहागढ़ डिपो में 19 सारथी लगा रखे हैं।
–मनोज बंसल, मुख्य प्रबंधक, भरतपुर एवं लोहागढ़ डिपो।