- यात्रियों को लेना पड़ रहा डग्गेमार वाहनों का सहारा, हादसे की असल वजह ही डग्गेमार वाहन
- मथुरा के रोड़वेज अधिकारियों ने पिछले दो वर्शों में भी बलदेव के यात्रियों का नहीं जाना हाल
- क्षेत्रीय परिवहन प्रबंधक मनमोहन से बात करने की कोशिश की, लेकिन फोन नहीं उठाया
मथुरा/बलदेव। भगवान श्रीकृष्ण के बडे़ भ्राता बलदाऊजी की नगरी बलदेव परिवहन की अव्यवस्था से जूझ रहा है। ये कोई नई बात नहीं है, बल्कि कई वर्षों से यही हालात हैं। योगी सरकार में यात्रियों और बलदेव वासियों सहित आसपास के ग्रामीणों को आस थी कि परिवहन की समस्या का भी समाधान अब हो ही जायेगा, लेकिन परिवहन अधिकारियों की लापरवाही के चलते कभी भी रोड़वेज के किसी भी अधिकारी ने आज तक बलदेव नगरी का न तो भ्रमण किया और न ही किसी भी शिकायत पर कोई संज्ञान लिया है।
अगर कोई भी रोड़वेज अधिकारी इस बात से अनभिज्ञता जताता है कि आज तक इस संबंध में कोई भी शिकायत बलदेव वासियों या फिर ग्रामीणों ने नहीं की है। इसके अलावा अधिकारी यह भी आश्वासन अगर दे रहे हैं कि बसें ठीक से संचालित हो रही हैं, तो यह बिल्कुल सच से परे है। क्योंकि हालातों को अगर मौके पर जाकर देखा जाय तो हकीकत कुछ और ही सामने आती है। हकीकत की अगर बात करें तो सर्दी के मौसम में देखा जाय तो 6 बजे के बाद तो डग्गेमार वाहन भी बंद हो जाते हैं और घंटों में बमुश्किल करीब 10 से 12 ट्रक ही सादाबाद अथवा हाथरस सहित सादाबाद से मथुरा एवं लक्ष्मीनगर की ओर दौड़ते हैं।
अगर किसी भी यात्री को इमरजेंसी में कहीं जाना पड़ भी जाय तो वह रजवाहा चैराहा अथवा पुराना बस स्टेण्ड सहित आगरा बस स्टैण्ड से लेकर अवैरनी चैराहे पर शाम 6 बजे के बाद सिर्फ इंतजार कर सकता है, लेकिन इसके बावजूद किसी भी वाहन का कोई सहारा नहीं है। यानि उसको इंतजार करने के बाद भी घर की ओर बैरंग ही लौटना होगा, लेकिन यह भी बहुत कठिन बात होगी अगर वह किसी आसपास के गांव का हुआ तो। क्योंकि शाम यानि सूरज ढ़लने के बाद डग्गेमार वाहनों का आवागमन बिल्कुल ठप हो जाता है। जो यात्री मथुरा जाने के लिए शाम को आया तो वह फिर बैरंग अगर वापस जाना चाहता है तो वाहन न होने के कारण लौटना भी दूभर है।
गर्मी के मौसम में हाल-ए-बेहाल
अगर गर्मी के मौसम की बात की जाय तो यात्री पसीने से तर बतर हो जाएगा, लेकिन कोई रोड़वेज बस उसे मिल नहीं सकती है। अगर रोड़वेज अधिकारी यह बात करें कि जेनर्म बसों का संचालन बलदेव की तरफ होता है, तो हाल ए बयां बलदेववासी देंगे। बलदेव वासियों से भी पूछा जाय कि जेनर्म बसों का संचालन अब तक किस प्रकार और किस हालात से होता है। यानि गर्मी के समय में भी उन डग्गेमार वाहनों का सहारा लेना पड़ता, जिनसे अधिकतर हादसे होते देखे जाते है। यही नहीं यही डग्गेमार वाहन दूना-दून किराया यात्रियों से वसूल कर आधा घंटे के रास्ते को घंटेभर में कवर करते हैं।
क्या कहते हैं बलदेववासी
समाजसेवी ज्ञानेन्द्र पांडेय कहते हैं कि रोड़वेज अधिकारियों से लेकर चालकों और परिचालकों की मनमानी बहुत अधिक चल रही है। यात्रियों को सुविधा देने की बजाय वह खुद ही सुविधा ले रहे हैं। जैसा मन होता वैसे ही बसांे को दौड़ा रहे हैं। बलदेव की जनर्म बसें हाथरस दौड़ रही हैं। उन्होंने कई बार क्षेत्रीय परिवहन प्रबंधक मनमोहन से बात की, लेकिन उन्होंने ने भी अनसुना कर दिया। आज तक रोड़वेज की किसी भी बस का कोई समय तय नहीं हुआ। इलेक्ट्रिक बसें भी कोई समय से संचालित नहीं हो रही है। शाम 6 बजे के बाद तो सन्नाटा है।