नई दिल्ली : बार-बार फेल होने वाले एमबीबीएस विद्यार्थियों के लिए अब डॉक्टर बनने की राह में बाधा खड़ी हो सकती है। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने एमबीबीएस कोर्स पूरा करने के लिए अधिकतम समय सीमा 9 वर्ष कर दी है। यानी इस अवधि तक भी साढ़े चार वर्ष में पूरा होने वाला कोर्स पूरा नहीं हुआ तो डॉक्टर बनने का सपना छोड़ना होगा। अभी न्यूनतम साढ़े चार वर्ष के अलावा एक वर्ष इंटर्नशिप के लिए मिलता है।

एनएमसी ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। पाठ्यक्रम में प्रवेश की तिथि से नौ वर्ष माने जाएंगे। नए नियम सत्र 2023 से ही लागू होंगे। गौरतलब है कि एनएमसी ने पिछले माह वर्ष 2020 सत्र में प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष में चार बार फेल होने के बाद भी पांचवें प्रयास की अनुमति दी थी। हालांकि यह नियम सिर्फ एक सत्र के लिए ही लागू माना गया है। अधिसूचना के अनुसार भविष्य में नीट यूजी का संचालन एनएमसी या एनएमसी की ओर से नामित किसी एजेंसी या प्राधिकरण से करवाया जाएगा।

चिकित्सा के स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनएमसी की ओर से प्रदान की गई सीट मैट्रिक्स पर आधार पर देशभर में कॉमन काउंसलिंग होगी। काउंसलिंग के लिए आवश्यकतानुसार कई चरण आयोजित किए जा सकते हैं। अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) कॉमन काउंसलिंग के लिए दिशा निर्देश जारी करेगा। सरकार काउंसलिंग के लिए एक नामित प्राधिकरण नियुक्त करेगी।

काउंसलिंग के लिए नियुक्त होगी नामित अथार्टी

दरअसल, अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) कामन काउंसलिंग के संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी करेगा और नामित अथार्टी जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप काउंसलिंग का आयोजन करेगी। सरकार काउंसलिंग के लिए एक नामित अथार्टी नियुक्त करेगी। कोई भी चिकित्सा संस्थान इन नियमों का उल्लंघन कर किसी भी उम्मीदवार को स्नातक चिकित्सा शिक्षा (जीएमई) पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं देगा।

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