मथुरा : ब्रज मंडल में वसंत पंचमी के दिन को वसंतोत्सव का दिन माना जाता है। यहां पर होली का उत्सव बसंत पंचमी के दिन से ही प्रारंभ हो जाता है। ब्रजभूमि में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के रास उत्सव का आयोजन होता है। गुरुवार को बसंत पंचमी से ब्रज मंडल के मंदिरों में अबीर गुलाल की वर्षा शुरू हो जाएगी और बसंती बयार भी देखने को मिलेगी। आओ जानते हैं वसंतोत्सव पर कैसी रहती है ब्रज में धूम।

इस अवसर पर ब्रजभूमि में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के रास उत्सव को मुख्य रूप से मनाया जाता है। संपूर्ण ब्रजमंडल में होली और रास की बड़ी धूम रहती है। ब्रजमंडल में खासकर मथुरा में लगभग 45 दिन के होली के पर्व का आरंभ वसंत पंचमी से ही हो जाता है। बसंत पंचमी पर ब्रज में भगवान बांकेबिहारी ने भक्तों के साथ होली खेलकर होली महोत्सव की शुरुआत की थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है। ब्रज मंडल में होली सबसे ज्यादा धूम बरसाने में रहती है। विश्वविख्यात है बसराने की होली। इस होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां कई तरह से होली खेलते हैं, रंग लगाकर, डांडिया खेलकर, लट्ठमार होली आदि। राधा-कृष्ण के वार्तालाप पर आधारित बरसाने में इसी दिन होली खेलने के साथ-साथ वहां का लोकगीत ‘होरी’ गाया जाता है। होली का राधारानी के रास और रंग से बहुत गहरा नाता है।

होलिका दहन के दूसरे दिन धुलेंडी और धुलेंडी के चौथे दिन रंगपंचमी मनाई जाती है। कहते हैं कि इस दिन श्री कृष्ण ने राधा पर रंग डाला था। इसी की याद में रंग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन श्री राधारानी और श्रीकृष्‍ण की आराधना की जाती है। राधारानी के बरसाने में इस दिन उनके मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन लाभ होते हैं।

इसके बाद से ही ब्रज में गोप और गोपियों के बीच जमकर होली मनाने की परंपरा प्रारंभ हो गई। इसलिए मथुरा-वृंदावन की होली राधा-कृष्ण के प्रेम रंग में डूबी होती है. बरसाने और नंदगांव में लठमार होली खेली जाती है। इस दिन, लोग कृष्ण, राधा व गोपियों सहित पात्रों को सजाते हैं और उल्लास के साथ होली का पर्व मनाते हैं।

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