आगरा : स्थानीय निकाय चुनाव से पहले मतदाता सूची के सत्यापन में घोर लापरवाही बरती गई है। इसकी बानगी आगरा में देखने को मिली। जहां 18 साल पहले मर चुके मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया गया। जबकि मतदान के दौरान देखा गया कि जीवित लोग सूची में अपना नाम खोजते रहे। ताजा मामला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के भांजे अजय दीक्षित का है। उनके निधन को 18 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उनका नाम सूची से नहीं हटाया गया है।
अजय दीक्षित की बहू और निवर्तमान राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित ने बताया “पिछले दिनों बूथ लेवल अधिकारी ने मतदाता पर्ची उनके घर पहुंचाई। इसमें अटल बिहारी बाजपेई के बहन-बहनोई सहित तीन सदस्यों के नाम अंकित हैं। उन्होंने कहा कि 18 साल के बाद भी मतदाता सूची से नाम न हटना यह दर्शाता है कि बूथ लेवल अधिकारी ठीक से कार्य नहीं कर रहे हैं।” हालांकि इन सभी सदस्यों का नाम विधानसभा के मतदाता सूची से हट चुका है।
मतदाता सूची में अटल बिहारी बाजपेई की बहन कमला दीक्षित, बहनोई नंद गोपाल, भांजे अजय दीक्षित, दूसरे भांजे अनिल दिक्षित, और उनकी पत्नी लक्ष्मी दीक्षित का नाम अंकित था। निर्मला दीक्षित ने बताया कि उनके पति अजय दीक्षित आगरा विश्वविद्यालय में कर्मचारी थे। 15 साल तक नौकरी की, वर्ष 2005 में उनका निधन हुआ। 18 साल के बाद भी मतदाता सूची से उनका नाम नहीं हटाया गया है।