नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि प्राइवेट स्कूलों के पास अधिकार है कि वे अपने पसंद के स्टूडेंट को एडमिशन दें। लेकिन एडमिशन एक उद्देश्यपूर्ण और तर्कसंगत प्रक्रिया के आधार पर होना चाहिए। अदालत ने आगे कहा कि स्टूडेंट्स के लिए के लिए एडमिशन क्राइटीरिया का आधार उचित और गैर-भेदभावपूर्ण होना चाहिए।
दरअसल, Delhi High Court ने ये बातें एक नाबालिग लड़के की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बातें कहीं। याचिका में स्टूडेंट ने इस आधार पर एक निजी स्कूल में प्रवेश की मांग की कि वह अपने भाई की फीस पर्ची के आधार पर पात्रता मानदंड को पूरा करता है। हालांकि, स्कूल के नियमों के तहत, स्टूडेंट को दाखिला लेने के लिए अपनी फीस पर्ची दिखाने की जरूरत थी। लड़का अपने भाई के कोटे के तहत दाखिला मांग रहा था।
कोर्ट ने कही ये बातें
न्यायमूर्ति पुष्करणा ने कहा कि सिब्लिंग प्वाइंट्स प्रदान करे और स्कूल द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के अनुसार याचिकाकर्ता को एडमिशन दे। आगे कोर्ट ने कहा कि स्कूल को सामान्य कोटा के तहत छात्रों को प्रवेश देने की स्वायत्तता है। स्कूल चाहे तो दाखिले के लिए अपने नियम भी बना सकता है। हालांकि, स्कूल द्वारा निर्धारित कोई भी प्रवेश मानदंड निष्पक्ष, उचित और गैर-भेदभावपूर्ण होना चाहिए। प्रवेश मानदंड मनमाना नहीं होना चाहिए, बल्कि निष्पक्ष और न्यायपूर्ण होना चाहिए।