• ब्रज तीर्थ विकास परिषद के वृन्दावन स्थित गीता शोध संस्थान में गीता व्याख्यानमाला का समापन

वृन्दावन : उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के गीता शोध संस्थान वृन्दावन में गीता पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीकृष्ण की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर हुआ। सभी विद्वतजनों को ”यथार्थ गीता“ एवं उ.प्र. ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सौजन्य से प्रकाशित “ब्रज लोक संपदा” की प्रतियां भेंट की गयीं।
व्याख्यानमाला में “गौरांग इंस्टिट्यूट ऑफ वेदिक एजुकेशन के अध्यक्ष डॉ. वृंदावन चंद्र दास ने कहा कि भगवद् गीता का ज्ञान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। यही ज्ञान मानव जाति को बचाने की एक हिंदू पद्धति है। गीता मनीषी डा. अशोक विश्वमित्र ने कहा कि गीता हमें कर्तव्य पथ पर चलने का ज्ञान देती है। हमारी मति कर्म में लगे, यही संदेश गीता का है। सेवानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि श्रीकृष्ण के हृदय से ये गीता प्रकट हुई थी। यह गीता प्रश्नोत्तर के माध्यम से बुद्धि की गुत्थी को सुलझाती है।
महामंडलेश्वर कृष्णानंद महाराज ने कहा कि मोक्षदा एकादशी पर अर्जुन जैसे मित्र को भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का अमृत पान कराया था। गीता का महत्व उपनिषद और वेदों से भी कहीं ज्यादा है। आचार्य ब्रदीश ने कहा कि बगैर भक्ति के ज्ञान अधूरा है। गीता स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की भावना को दर्शाती है। यह योग शास्त्र के साथ ही जीव और ईश्वर का एक सशक्त संवाद है। श्रीकांत श्रीजी ने गीता के कर्म योग पर व्याख्यान दिया।

उपस्थित विद्वतजन एवं श्रोताओं को ”यथार्थ गीता“ की प्रतियां भेंट की गयी

इस मौके पर कवि अशोक अज्ञ, नाट्य कर्मी खेमचंद्र यदुवंशी एवं हरिबाबू ओम ने कविता के माध्यम से गीता के विभिन्न अध्यायों को समझाया।
ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डाॅ. उमेश चंद्र शर्मा ने गीता के संदेश को आंचलिक भाषाओं में जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। अध्यक्षता करते हुए वृन्दावन शोध संस्थान के निदेशक डाॅ. एसपी सिंह ने कहा कि भगवान के मुख से निकली हुई गीता में भक्ति, ज्ञान, कर्म की शिक्षा है। हर गृहस्थी को इसका पठन-पाठन करना चाहिए। इसी क्रम में क्रांतिकारी स्वामी सत्यमित्र, साहित्यकार चंद्रप्रकाश, गोपाल उपाध्याय ‘गोप’, कवियत्री सुमन पाठक ने भी गीता पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन के.आर. काॅलेज के असिस्टेंट प्रो. डाॅ. रामदत्त मिश्र ने किया। गीता व्याख्यान में उपस्थित विद्वतजनों का आभार गीता शोध संस्थान के समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर साहित्यकार कपिल देव उपाध्याय, लक्ष्मीनारायण तिवारी, गोपाल शरण शर्मा, डाॅ. पी.वी. गोस्वामी, उ.प्र. ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सहायक अभियंता आर.पी. यादव एवं दूधनाथ यादव, प्राचार्य डा. देव प्रकाश शर्मा, डाॅ. रश्मि वर्मा, दीपक शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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