वॉशिंगटन : अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तीसरी बार भी राष्ट्रपति बनने की इच्छा जताई है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बुधवार को राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात के पहले वाशिंगटन डीसी के एक होटल में यह बयान दिया। उनके बयान पर समर्थकों ने खुशी जाहिर की।

ट्रम्प ने अमेरिकी संसद के निचले सदन के सदस्यों से कहा, “मुझे लगता है कि मैं फिर से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नहीं लड़ूंगा। लेकिन आप अगर ऐसा चाहें हैं तो मैं ऐसा सोच सकता हूं।”

अमेरिका में दो बार राष्ट्रपति बनने का प्रावधान है। ट्रम्प दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए हैं। इससे पहले वह 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं। अगर ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की कोशिश करते हैं तो इसके लिए उन्हें संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए अमेरिकी संसद और राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी।

73 साल पहले 2 बार राष्ट्रपति बनने का नियम बना

अमेरिका में पहले किसी व्यक्ति के सिर्फ 2 ही बार राष्ट्रपति बनने को लेकर कोई प्रावधान नहीं था। 1951 में संविधान में 22 संशोधन किया गया। इसके तहत ये नियम बनाया गया कि अमेरिका में कोई शख्स सिर्फ 2 बार ही राष्ट्रपति बन सकता है।

दरअसल, अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन ने दो टर्म के बाद रिटायरमेंट ले लिया था। उसके बाद से राष्ट्रपति के दो टर्म से ज्यादा सेवाएं न देने का अनौपचारिक नियम ही बन गया। इसके बाद अमेरिका में यह प्रथा बन गई।

31 अमेरिकी राष्ट्रपतियों में से किसी भी राष्ट्रपति ने इस प्रथा को नहीं तोड़ा, लेकिन फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट के दौर में यह नियम टूट गया। वे 1933 से 1945 चार बार राष्ट्रपति चुनकर आए।

इसके बाद 1946 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की वापसी हुई। 1947 में केंद्रीय सरकार में प्रशासनिक परिवर्तन के लिए हूवर कमीशन का गठन हुआ। इसी कमीशन की सिफारिश के बाद 22वें संशोधन के जरिए दो टर्म से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बनने का कानून बना दिया गया।

क्या ट्रम्प संविधान बदल सकते हैं?

ट्रम्प को तीसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के लिए उतरना है तो उन्हें अमेरिकी संविधान में बदलाव करना होगा जोकि इतना आसान नहीं है। ट्रम्प को इसके लिए अमेरिकी सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव दोनों में दो-तिहाई बहुमत से एक बिल पास कराना होगा। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के पास दोनों सदनों में इतने सदस्य नहीं हैं।

सीनेट में ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के पास 100 में से 52 सीनेटर है। वहीं हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 435 में से 220 सदस्य हैं। ये संविधान संशोधन के लिए आवश्यक दो तिहाई यानी 67% बहुमत से काफी कम है।

अगर ट्रम्प ये बहुमत हासिल कर लेते हैं तब भी उनके लि​​​​​​ए संविधान में संशोधन करना इतना आसान नहीं होगा। अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इस संशोधन के लिए राज्यों से मंजूरी लेनी होती है।

इसके लिए तीन चौथाई राज्यों का बहुमत मिलन के बाद ही संविधान में संशोधन हो सकता है। यानी 50 अमेरिकी राज्यों में से अगर 38 संविधान में बदलाव के लिए राजी हो जाए तो ही नियम बदल सकते हैं।

हालांकि डोनाल्ड ट्रम्प के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने वाले बयान को रिपब्लिकन पार्टी ने खारिज कर दिया है।

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