दैनिक उजाला, चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच भाजपा नेता और पूर्व सांसद अशोक तंवर गुरुवार, 3 अक्टूबर को कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस की महेंद्रगढ़ रैली में राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी जॉइन कराई। इस दौरान पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा भी मौजूद रहे, लेकिन उन्होंने दूर से ही उन्हें नमस्ते किया।
तंवर ने 5 साल पहले हुड्डा से मतभेद के बाद ही कांग्रेस छोड़ी थी। इसके बाद में टीएमसी, AAP में भी रहे। लोकसभा चुनाव के पहले 20 जनवरी को भाजपा में शामिल हुए थे। इस तरह 5 साल में चार पार्टियां बदलीं। 2019 में कांग्रेस छोड़ने के बाद अपना भारत मोर्चा नाम से पार्टी भी बनाई थी।
हाल लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सिरसा सीट से टिकट दी थी। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस की उम्मीदवार कुमारी सैलजा से हुआ। सैलजा ने तंवर को 2,68,497 वोटों से हराया था।
अशोक तंवर ने पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दूर से ही नमस्ते की।
तंवर का 9 सीटों पर असर
चुनाव के बीच में भाजपा के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है। इनका 9 सीटों में सिरसा, फतेहाबाद, ऐलनाबाद, रानियां, कालांवाली, डबवाली, रतिया, टोहाना और नरवाना शामिल हैं। सिरसा सीट से तंवर ने 3 बार लोकसभा चुनाव लड़ा। एक बार जीत मिली। वह 2009 से 2014 तक सांसद रहे हैं।
तंवर ने हुड्डा के कारण छोड़ी थी कांग्रेस
अशोक तंवर ने साल 1993 में अपने सियासी करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी। वह 2003 में कांग्रेस पार्टी के छात्र विंग, NSUI और 2005 में यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। यूथ कांग्रेस में उन्होंने राहुल गांधी के साथ काम किया। राहुल गांधी ने ही फरवरी 2014 में अशोक तंवर को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया।
बतौर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा में हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा। हुड्डा के कारण ही उन्हें हरियाणा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे से नाराज होकर अशोक तंवर ने 5 अक्टूबर 2019 को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उस समय अशोक तंवर ने 5 करोड़ रुपए में कांग्रेस के टिकट बेचने का आरोप भी लगाया था।