उत्तर प्रदेश : संत प्रेमानंद महाराज की अच्छी सेहत के लिए पूरे देश में प्रार्थनाएं हो रही हैं। इस बीच लखनऊ के सपा कार्यालय के बाहर एक होर्डिंग लगी है, जिसमें अखिलेश यादव और प्रेमानंदजी की तस्वीर दिखाई दे रही है। लिखा है- ‘हे प्रभु, दीजिए ऐसी कृपा की छांव, फिर खिले प्रेमानंद जी के मुख पर मुस्कान की छांव। उनका आशीर्वाद ही हमारी पहचान, समाजवादी परिवार करता है प्रार्थना दिन-रात।’
बुधवार रात लगी होर्डिंग को सपा कार्यकर्ता रूमेश और सुजीत यादव ने लगवाया है। इससे पहले मंगलवार को मॉल एवेन्यू की दादा मियां की दरगाह पर चादर चढ़ाई गई थी। सपा नेता मोहम्मद अखलाक ने प्रेमानंदजी के लिए दुआ की थी। उन्होंने कहा था- ‘प्रेमानंद महाराज जैसे लोगों की समाज को जरूरत है। वे हमेशा समाज को जोड़ने की बात करते हैं।’

सपा कार्यकर्ता रुमेश यादव और सुजीत यादव की ओर से संत प्रेमानंद महाराज के अच्छे स्वास्थ्य की कामना का होर्डिंग लगवाया गया।

इससे पहले मंगलवार को सपा नेता मोहम्मद अखलाक और उनके साथियों ने दरगाह पर चादर चढ़ाकर प्रेमानंद महाराज के लिए दुआ मांगी थी।
होर्डिंग लगाने वाले बोले- राजनीति से ऊपर हमारी श्रद्धा
सपा कार्यकर्ता रूमेश यादव ने कहा- ‘प्रेमानंदजी महाराज हमारे आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं। हमने उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। इसी भाव से होर्डिंग लगाया है। इसमें कोई राजनीति नहीं है। सिर्फ श्रद्धा है।’ वहीं, सुजीत ने कहा कि महाराजजी के प्रवचनों से जीवन में सकारात्मक सोच सीखी है। जब ऐसे संत सेहत से जूझ रहे होते हैं, तो यह सिर्फ भक्तों का ही नहीं, समाज का भी नुकसान होता है।
सियासत की ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ लाइन भी है : वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार परवेज अहमद के मुताबिक, इस होर्डिंग को भावनाओं के साथ-साथ सियासत की ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ लाइन से भी देखा जा सकता है। यह कदम एक तरह से सपा के लिए यह संदेश देने का तरीका भी है कि उसकी राजनीति धर्म-विरोधी नहीं, बल्कि समावेशी है- जहां भक्ति और समाजवाद साथ चल सकते हैं।
सपा लंबे समय से खुद को मथुरा, वृंदावन और कृष्ण-संस्कृति से जोड़ने का प्रयास करती रही है। ऐसे में प्रेमानंद महाराज के प्रति कार्यकर्ताओं की प्रार्थना आस्था और हिंदुत्व की मानवीय धारा से जुड़ा होना दिखाने की कोशिश भी है। प्रेमानंद महाराज के अनुयायी सिर्फ हिंदू समाज में नहीं, बल्कि मुस्लिम समुदाय सहित अन्य वर्गों में भी बड़ी संख्या में हैं।

पिता-पुत्र ने ‘अब तो बिलंब न कीजै लड़ैती जू…’ पद को मधुर आवाज में सुनाया।
झांसी के पिता-पुत्र ने पद सुनाए तो प्रेमानंदजी बोले- बहुत सुंदर
इस बीच झांसी के पाठक बंधु पिता-पुत्र ने वृंदावन में संत प्रेमानंदजी से मुलाकात की। उन्होंने महाराजजी को ‘अब तो बिलंब न कीजै लड़ैती जू…’ पद सुनाया। इस पर प्रेमानंदजी ने कहा- ‘अब तो लोभ बढ़ गया है। एक पद कैली माल का सुना दो।’ तब पाठक बंधुओं ने ‘नील लाल गुर कै ध्यान में बैठे कुंजबिहारी, कुंजबिहारी…’ सुनाया। संत प्रेमानंदजी महाराज आंखें बंद करके पदों को सुनते रहे। फिर बोले- बहुत सुंदर।
‘अंदर ही अंदर प्यारी जू और प्यारे जू का स्मरण करते रहो’
प्रेमानंदजी ने पाठक बंधुओं से कहा- ‘अंदर ही अंदर प्यारी जू और प्यारे जू का स्मरण करते रहो। शरीर सेवा, मन से सुमिरन और ह्रदय से शरणागति होने से साधु पूर्ण हो जाता है। उठते-बैठते, चलते फिरते केली माल जी की पदों का गायन करते रहें। गुनगुनाते रहें, बस यही हमारी उपासना की सिद्धी है। नाम, वाणी, सेवा, यही हमारी सिद्धी है। नाम जप करें कुंजबिहारी श्री हरिदास, समझ लो सब हो गया।

संत प्रेमानंद महाराज से धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों लोग गले मिले थे।
हाल ही में धीरेंद्र शास्त्री ने की थी मुलाकात
इससे पहले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मंगलवार को संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की थी। उनके स्वास्थ्य का हालचाल पूछा थ। प्रेमानंद जी ने कहा- शरीर बीमार है, हृदय से बात करूंगा। इस पर धीरेंद्र शास्त्री ने जवाब दिया- ये तो आपकी लीला है। महापुरुष ऐसे ही करते हैं।

महाराज के दर्शन के लिए हर दिन लोग उनके आश्रम पहुंचते हैं।
2006 में पेट में दर्द हुआ तो पता चला किडनी खराब हैं
- संत प्रेमानंद महाराज को पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज की बीमारी है। उनको जानकारी 19 साल पहले 2006 में तब हुई, जब उनके पेट में दर्द हुआ था। वह कानपुर में डॉक्टर को दिखाने पहुंचे तो डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनको आनुवंशिक किडनी की बीमारी है। फिर वह दिल्ली गए। वहां एक डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनकी दोनों किडनी खराब हैं। जीवन सीमित है।
- इसके बाद वह वृंदावन आ गए। पहले वह काशी रहे और शिव भक्ति की। वृंदावन में उन्होंने राधा नाम का जप शुरू किया। तब से वह लगातार राधा नाम का जप कर रहे हैं। प्रेमानंद जी महाराज ने अपनी किडनी का नाम कृष्णा और राधा रखा है।
सोसाइटी में ही होती है डायलिसिस
बताया जाता है कि महाराज की डायलिसिस पहले अस्पताल में होती थी। लेकिन, बाद में इसके लिए मशीन और अन्य जरूरी सामान एक फ्लैट में ही रखवा दिया गया। जहां डॉक्टर उनकी डायलिसिस करते हैं। डायलिसिस के दौरान आधा दर्जन डॉक्टर की टीम वहां मौजूद रहती है।
संत प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी में रहते हैं। इस सोसाइटी में उनके 2 फ्लैट हैं। HR 1 ब्लॉक के फ्लैट नंबर 209 और 212 उनके पास हैं। 2 BHK इन फ्लैट में से एक में वह रहते हैं जबकि दूसरे फ्लैट में डायलिसिस का इंतजाम किया हुआ है। इसी फ्लैट में उनका हफ्ते में 4 से 5 बार डायलिसिस होता है।
किडनी की बीमारी से जूझ रहे संत प्रेमानंद महाराज की पहले कभी-कभी डायलिसिस होती थी। फिर यह हफ्ते में होने लगी। इसके बाद हफ्ते में कभी 3 दिन, कभी 5 दिन और कभी कभी हर दिन होती है। डायलिसिस की यह प्रक्रिया 4 से 5 घंटे चलती है।

