वाराणसी : ‘खाने की प्लेट लेकर लोग एक-दूसरे पर गिरे पड़ रहे थे। हमारे मेहमानों के पास 20 खाने के कूपन थे। मलाल यही है कि किसी को खाना नहीं मिला। बहू को विदा कर लाए। शादी के दिन रिश्तेदारों को घर में सब्जी-रोटी बनाकर खिलाई।’
यह कहते हुए पिंडरा ब्लॉक की रहने वाली दलित कलावती दीवार को ताकने लगीं। वह कहती हैं- मेरे बेटे की शादी थी। हमारी हैसियत ऐसी नहीं कि बड़ा आयोजन कर सकें। लेकिन, इज्जत तो सबकी होती है। अब हम रिश्तेदारों से नजरें नहीं मिला पा रहे हैं।
दरअसल, गुरुवार को वाराणसी में सामूहिक विवाह समारोह था। आयोजन हरहुआ के कृषक इंटर कॉलेज के मैदान में था। लेकिन, ऐसी बदइंतजामी हुई कि वर-वधू के साथ घरवाले और रिश्तेदार भी भूखे रह गए।
खाने के स्टॉल पर मारा-मारी मची, तो उनके हाथ की प्लेट खाली ही रह गई। घर लौटे परिजनों ने रिश्तेदारों के लिए चूल्हा जलाया। कहीं पकवान बने, तो कहीं दूल्हा-दुल्हन नमक-रोटी खाकर ही सो गए।
अव्यवस्थाओं का आलम ऐसा कि मंत्री और विधायक को भी चाय-नाश्ता नसीब नहीं हुआ। अफसरों ने चाय का इंतजार कराया, फिर जनप्रतिनिधि खुद ही उठकर चले गए।
सामूहिक विवाह की किरकिरी लखनऊ तक गूंजी। CM ऑफिस के फोन वाराणसी के अफसरों के पास आते रहे। अब LIU रिपोर्ट मांगी गई है, ताकि लापरवाही के जिम्मेदारों के खिलाफ जांच शुरू हो सके। अधिकारियों ने कहा- आसपास के गांव के लोग इस आयोजन में घुस आए, इसलिए अव्यवस्था हुई।
दूल्हा-दुल्हन के परिवारों के 20-20 मेहमानों के भोजन की थी व्यवस्था कृषक इंटर कॉलेज के मैदान पर 193 जोड़ों की शादी हुई। इसके लिए मैदान को 2 हिस्से में बांटा गया। एक हिस्से में शादी के मंडप और मंच बनाया गया। बाकी के हिस्से में खाने का आयोजन और पार्किंग बनाई गई।
इस आयोजन के नोडल समाज कल्याण विभाग के अधिकारी गिरीश चंद दुबे थे। व्यवस्था कुछ ऐसी रखी गई कि मंडप में शादी की रस्म होने के बाद मेहमान खाने के आयोजन वाले हिस्से में जाएंगे। यहां गार्ड बैठाए गए थे। वे मेहमानों के टोकन चेक करके उन्हें प्लेट दे रहे थे। इसके बाद मेहमान खाने की टेबल तक पहुंच पा रहे थे।
अगर मेहमानों का गणित समझें, तो 193 जोड़ों के साथ 20-20 मेहमान पहुंचे थे। कुल 3 हजार 860 लोग थे। साथ में 193 वर-वधू का खाना अलग से तैयार हुआ था। आयोजन में शामिल होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों का भी खाना बनाया गया था। इस तरह करीब 4200 लोगों का खाना तैयार होना था।
अलग-अलग मेहमानों से बातचीत करने के बाद समझ आया कि 1500 से 2000 लोगों का खाना ही बनाया गया था। इसलिए अफरा-तफरी मची और करीब 100 जोड़ों के मेहमानों को खाना तक नहीं मिला। उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा।

इस आयोजन के कई वीडियो सामने आए, जिसमें लोग एक-दूसरे से धक्का-मुक्की करते दिखे।

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह समारोह में 193 जोड़ो की शादी हुई।
अब पीड़ित परिवारों की बात
बेटे की शादी के दिन घर आकर जलाना पड़ा चूल्हा
हरहुआ ब्लॉक पहुंचने के बाद जिन घरों के बेटे-बेटियों की शादियां हुई थीं, हमने एक-एक कर उनसे मुलाकात की। अपने बेटे की शादी करके घर वापस आईं कलावती बताती हैं- मेरे बेटे की शादी के बाद खाना खिलाने की बात अधिकारियों ने कही थी। ,लेकिन हमारे परिवार के लोगों को खाना तक नहीं मिला। घर आए मेहमानों के लिए हम गरीबों को बेटे की शादी के दिन चूल्हा जलाना पड़ा और खाना बनाना पड़ा।
शिवपूजन बोले- वहां कोई व्यवस्था नहीं, सब दिखावा था
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में शिवपूजन को भी शादी हुई है। शिवपूजन ने बताया- मुझे, मेरी पत्नी को और किसी भी रिश्तेदार को खाना नहीं मिला। यहां तक कि किसी भी तरह का नाश्ता नहीं दिया गया। वहां किसी तरह की व्यवस्था नहीं थी। हमें बस कूपन मिले थे। जब भोजन करने पहुंचे, तब तक सब खत्म हो चुका था। कोई पूड़ी, तो कोई सब्जी लिए भाग रहा था। कुछ लोगों का चावल पर कब्जा था, बहुत अव्यवस्था थी।
शिवपूजन ने बताया- इसके बाद हम सभी लोग वहां से घर चले आए। घर आने पर महिलाओं ने पूड़ी-सब्जी बनाई, तब जाकर सबका पेट भरा। अधिकारियों को खुद एक बार ऐसी व्यवस्थाएं जांच लेनी चाहिए। क्योंकि, ठेकेदार तो सिर्फ अपना मुनाफा देखते हैं।

राजकुमार ने कहा- आप सोचिए कितनी बेइज्जती होती है, जब मेहमानों को भोजन ही न मिले।
जियालाल ने कहा- बेटी की शादी की, ढाबे में नाश्ता कराया
इसी योजना में जियालाल की बेटी की भी शादी हुई। जियालाल ने बताया- हमें और लड़के पक्ष को 10-10 भोजन कूपन दिए गए थे। जिनके आधार पर खाना मिलना था। लेकिन, वहां खाने का इंतजाम न के बराबर था। खाने के स्टॉल पर पहुंचे, तो खिलाने वाले गायब थे। हम सारे मेहमानों को वहां से लेकर मार्केट में एक दुकान पर लाए और वहां नाश्ता करवाया। उसके बाद घर पहुंचकर नाते-रिश्तेदारों के लिए पूड़ी-सब्जी बनवाई और खाना खिलाया।