• गंभीर बीमारियों को देखते हुए जीएलए बायोटेक विभाग ने ऐसी बीमारियों से लड़ने के लिए खोली आधुनिक लैब, छात्र आसानी से करेंगे शोध

दैनिक उजाला, मथुरा : लाइलाज जैसी बीमारियों को देखते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के बायोटेक विभाग ने आगामी समय में ऐसी खतरनाक बीमारियों से लड़ने के लिए आधुनिक प्रयोगशाला तैयार की है। प्रयोगशाला में ऐसे संसाधन विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध कराये गए है, जहां विद्यार्थी अधिकतर बीमारियों पर गहन और सरल शोध कर सकें।

असाधारण जनसंख्या वृद्धि के कारण वातावरण में खतरनाक रोगों का निरंतर उद्भव एवं प्रसार हो रहा है, जिसके चलते अत्यधिक मात्रा में पशु-पक्षी एवं मनुष्य गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं। बीमारियों के चलते ही देश की आर्थिक हानि भी हो रही है, अपितु मानव जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव हो रहा है। सभी ने कोविड महामारी में भी पूरी दुनियां में हाहाकार मचते देखा है, जिसमे मृत्यु दर बुलेट से भी तीव्र गति से पूरे विश्व में बढ़ गयी थी। इसी कड़ी में मंकी पॅाक्स, डेंगू, निपाह वायरस, बर्ड फ्लू, जीका वायरस एवं म्यूटेशन के कारण कोविड वायरस की कई सारी खतरनाक किस्में आ गई हैं।

ऐसी खतरनाक बीमारियों की किस्म को मद्देनजर रखते हुए मथुरा में जीएलए विश्वविद्यालय ने आधुनिक प्रयोगशाला का निर्माण करवाया है, जो कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार है। यह प्रयोगशाला मथुरा एवं आसपास के क्षेत्र के विद्यार्थियों को जैव प्रौद्योगिकी में उपयोग की जाने वाली आधुनिक मशीनों एवं उनकी ट्रेनिंग के बारे में अवगत कराएगी और भविष्य में होने वाली ऐसी बीमारियों के लिए एक प्रशिक्षित जनशक्ति प्रदान करेगी। इन खतरनाक बीमारियों के उचित प्रबंधन से एक संसार और एक स्वास्थ्य की परिकल्पना को भी साकार किया जा सकेगा।
यह प्रयोगशाला उन छात्रों के लिए भी वरदान साबित होगी, जो कि आर्थिक रूप से अधिक संपन्न नहीं है। यहां के विद्यार्थी बायोटेक्नोलॉजी की तकनीक सीखकर देश और दुनियां की कई प्रयोगशालाओं एवं कम्पनीज में कार्य कर रहे हैं ।

बायोटेक विभाग मथुरा क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों के सीनियर सेकेंडरी विद्यार्थियों को बायोटेक एवं विज्ञान में रुचि बढ़ाने के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग एवं वर्कशॉप आयोजित करता है और आगामी समय में इसमें वृद्धि देखने को मिलेगी। भविष्य में आठवीं एवं दसवीं के विद्यार्थियों को भी ऐसी गतिविधियों में शामिल किया जाएगा।

बायोटेक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल को मथुरा क्षेत्र में ऐसी प्रयोगशाला बनवाने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि बायोटेक विभाग में प्रयोगशालाएं बहुत हैं, जहां विभिन्न क्षेत्रों के लिए शोध किया जा रहा है, लेकिन लाइलाज बीमारियों पर शोध हेतु यह प्रयोगशाला आगरा मंडल के विद्यार्थियों के लिए रोजगार उत्पन्न करने के तौर पर उभर कर सामने आएगी। उन्होंने बताया कि पशुओं की प्रजनन क्षमता को लेकर भी बायोटेक विभाग ने कई शोध किए हैं। जिनसे पशुओं को लाभ मिला है तथा ऐसे शोधों के लिए सरकार से सहायता प्राप्त हुई है।

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