• फंड की कमी, नक्शा पास नहीं; लोग बोले- सिर्फ बातें हो रहीं

अयोध्या : ‘5 साल बीत गए। मस्जिद की जमीन पर एक गड्ढा नहीं खुदा है। सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं। कभी बोले, यहां अस्पताल बनेगा, कभी कहा स्कूल-कॉलेज खोलेंगे। असलियत में एक पत्ता तक नहीं हिला है। अब लगता है कि मस्जिद का इंतजार करते-करते उम्र खत्म हो जाएगी, लेकिन इंतजार खत्म नहीं होगा।’

ये अरमान अहमद हैं। अयोध्या के धन्नीपुर गांव में रहते हैं। अयोध्या से 28 किमी दूर इसी गांव में बाबरी मस्जिद की जगह दूसरी इबादतगाह बननी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसके लिए 5 एकड़ जमीन मिली है। अरमान का घर मस्जिद की जमीन के बिल्कुल सामने है।

अयोध्या मामले में सुनवाई के बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया कि बाबरी मस्जिद की विवादित ज़मीन को एक ट्रस्ट को सौंप दिया जाए जो वहां पर एक मंदिर का निर्माण कराए।

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सेंट्रल सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ की ज़मीन आवंटित की जाए। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट बनाकर मस्जिद के निर्माण के लिए उसे ज़िम्मेदारी दी गई।

एक तरफ जहां राम मंदिर बनाने के लिए ‘राम जम्नभूमि तीर्थ क्षेत्र फाउंडेशन’ का काम आगे बढ़ता रहा, वहीं धन्नीपुर में मस्जिद बनाने कि लिए दी गई ज़मीन पर कोई काम शुरू नहीं हो सका।

इस ज़मीन पर पहले से ही एक दरगाह बनी हुई है, बीते सालों में इसकी मरम्मत का काम किया गया है।

इसकी दीवार पर एक पोस्टर लगाया गया है जिसमें इस ज़मीन पर भविष्य में बनने वाली मस्जिद की एक तस्वीर छपी है, जिसका नाम “मोहम्मद-बिन-अब्दुल्लाह मस्जिद” होगा।

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