नई दिल्ली : महाराष्ट्र के नांदेड़ के एक सरकारी अस्पताल में सोमवार यानी 2 अक्टूबर को 16 नवजात शिशुओं समेत अब तक 31 लोगों की मौत हो गई। इस मामले के सामने आने के बाद एक बार फिर राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं विपक्ष ने भी महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार पर जमकर हमला बोला है। शिवसेना राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस घटना को ‘लापरवाही की वजह से हत्या’ करार दिया है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स ( पूर्व में ट्विटर ) पर मृतकों के प्रति शोक जाहिर किया और शिंदे सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “भाजपा सरकार अपने प्रचार-प्रसार पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करती है, लेकिन बच्चों की दवा के लिए पैसा नहीं है? भाजपा की नजर में गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है।”

वहीं उद्धव गुट की शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने शिंदे सरकार पर कई सारे आरोप लगाए मरीजों की मौत को हत्या बताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “ यह शर्मनाक है, कृपया इन्हें मौत न कहें, यह असंवैधानिक राज्य सरकार की ओर से पूर्ण लापरवाही की वजह से हत्या है।” उन्होंने आगे कहा, “ वे ( मुख्यमंत्री ) प्रभावशाली कार्यक्रमों या विदेशी यात्राओं की योजना बनाने में इतने व्यस्त हैं कि वे भूल गए हैं कि उनका मूल काम राज्य की सेवा करना है।”

इसके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने घटना पर शोक जताते हुए कहा कि अब तक 31 लोगों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना सचमुच मन को झकझोर देने वाली है। यह सरकारी तंत्र की विफलता को दर्शाता है। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा, ‘नांदेड़ के एक सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 16 नवजात शिशुओं सहित 31 लोगों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना सचमुच मन को झकझोर देने वाली है। अभी दो महीने पहले ही ठाणे नगर निगम के कलवा अस्पताल में एक ही रात में 18 लोगों की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी।

लेकिन इस घटना को गंभीरता से न लेने के कारण नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में ऐसी ही गंभीर घटना दोहराई गई। यह सरकारी तंत्र की विफलता को दर्शाता है। कम से कम इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ठोस कदम उठाए जाएं ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और निर्दोष मरीजों की जान बचाई जा सके।’

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