आगरा : उत्तर प्रदेश के आगरा में सार्वजनिक रास्तों व सरकारी भूमि पर कब्जे का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसी बीच सत्संग सभा ने चारागाह की जमीन पर 100 मीटर लंबी सड़क बना दी। यह खुलासा राजस्व विभाग की रिपोर्ट में हुआ है। राजस्व विभाग का कहना है कि सत्संगियों द्वारा पोइया घाट पर डूब क्षेत्र में इंटरलॉकिंग टाइल्स वाली सड़क बना दी है। राजस्व विभाग की टीम ने इसकी जांच कर डीएम को रिपोर्ट भेजी है। यह सड़क उत्तर से दक्षिण दिशा की तरफ नदी की ओर बनाई गई है। नदी किनारे से 200 मीटर तक डूब क्षेत्र है। वहीं, सत्संग सभा ने किसी भी तरह का कोई निर्माण न करने की बात कही है। डीएम ने बताया कि राधास्वामी सत्संग सभा ने पोइया घाट स्थित मौजा खासपुर में खसरा संख्या 33 में रातों रात फिर पोइया घाट पर डूब क्षेत्र में इंटरलॉकिंग टाइल्स वाली सड़क बना दी है। राजस्व टीम जांच के लिए पहुंची, तब यह खुलासा हुआ। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इसे नो डेवलपमेंट जोन घोषित कर रखा है। यहां किसी तरह का निर्माण नहीं हो सकता।

राधा स्वामी सत्संग सभा के खिलाफ अवैध कब्जों की शिकायत पर प्रशासन की टीम 24 सितंबर को कब्जा हटवाने गई थी। इस दौरान यहां सत्संगियों ने प्रशासनिक टीम पर पथराव और लाठी-डंडों से हमला कर दिया था। इसमें 12 पुलिसकर्मियों सहित 40 लोग घायल हुए। ध्वस्तीकरण के विरुद्ध 25 सितंबर को सत्संगियों ने हाईकोर्ट में स्टे याचिका दायर की। 10 अक्तूबर तक हाईकोर्ट ने यथास्थिति के आदेश दिए हैं।

दयालबाग क्षेत्र में मौजा जगनपुर व खासपुर में सार्वजनिक रास्तों पर गेट व सरकारी भूमि पर कब्जे को लेकर तहसील प्रशासन ने राधास्वामी सत्संग सभा अध्यक्ष गुरु प्रसाद सूद, उपाध्यक्ष प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव व अनूप श्रीवास्तव के विरुद्ध थाना न्यू आगरा में दो एफआईआर दर्ज कराई थीं। 14 सितंबर को नोटिस देकर 22 सितंबर तक कब्जा हटाने की मोहलत दी। कब्जा नहीं हटाने पर 23 सितंबर को पुलिस-प्रशासन ने गेट हटाए। जिन्हें सत्संग सभा ने दोबारा लगा लिया। पोइया घाट स्थित डूब क्षेत्र में भी अवैध निर्माण किया था। तत्कालीन डीएम नवनीत सिंह चहल के आदेश पर सिटी मजिस्ट्रेट ने निर्माण रुकवाया। लेकिन, सत्संगियों ने निर्माण नहीं रोका था। 3 व 5 अगस्त को सिंचाई विभाग ने सत्संग सभा को नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांगा।

इससे पहले सत्संग सभा ने 2 अगस्त 2023 को डूब क्षेत्र में इंटरलॉकिंग टाइल्स से सड़क का निर्माण किया था। करीब 20 बीघा से अधिक भूमि पर कांटेदार तारबंदी है। इससे खासपुर व अन्य गांव के लोगों की आवाजाही बंद हो गई है। जानकारी के अनुसार यमुना डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई के लिए आगरा विकास प्राधिकरण जिम्मेदार है। 2015 में एनजीटी के आदेश पर एडीए ने डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण ध्वस्त किए थे। फिर आठ साल तक एडीए ने आंख मूंद लीं। 14 सितंबर को सिंचाई विभाग ने अवैध निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई के लिए एडीए उपाध्यक्ष को पत्र भेजा था। विरोध में सत्संग सभा ने एनजीटी व हाईकोर्ट दोनों जगह याचिकाएं दाखिल कीं। एनजीटी व हाईकोर्ट ने 15 सितंबर तक जिला प्रशासन व सिंचाई विभाग को सत्संग सभा पक्ष की सुनवाई के बाद निर्णय के आदेश दिए थे।

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