• बलदेव के नीवरी रोड़ तिराहे पर पान की दुकान लगाने वाले लक्ष्मण के निधन से बलदेववासी शोक में

बलदेव: ये उसका अपनापन कहो या फिर उसके हाथों से बने पान का रस्वादन का असर मानो। जो भी व्यक्ति एक बार पान खाकर जाता तो दूसरी बार भी उसके हाथों से बने पान को खाने लिए आता जरूर था, लेकिन बलदेव कस्बा के नीवरी रोड़ तिराहे पर करीब बीस वर्षों से लगी यह पान की दुकान अब गुनगुनाएगी नहीं। कारण लक्ष्मण ‘गुरू‘ पाने वाले का यूं ही अचानक से चले जाना !

कोई बाहरी व्यक्ति लक्ष्मण ‘गुरू‘ पाने वाले को सुनने, जानने और पहचानने में थोड़ा हिचकिचायेगा जरूर। क्योंकि ‘गुरू‘ शब्द पाने खाने वालों के मुंह पर रखा हुआ था। जो भी पान खाने के लिए आता और कहता लाऔ ‘गुरू‘ एक पान खवाऔ! उधर से फिर अपनेपन के लिए एक प्यार भरी गाली निकलती लाऔ… धरौ…इधर से फिर अरे तौ दै तौ रहें… पान तौ खवाय! यानि लोग आते पान खाते और थोड़ी देर लक्ष्मण ‘गुरू‘ पान वाले से हंसी…ठिठोली कर चले जाते। अनेकों प्यार भरे शब्द और गालियां अब सिर्फ यादगारें होंगी, जो कि सुनाई नहीं देंगी।

लोगों ने बताया कि लक्ष्मण दो या तीन दिन से बीमारी से ग्रसित थे। बताया जाता है कि अधिक वजनी यानि 1 कुंटल से अधिक होने के कारण विवाह के बंधन में भी न बंधे सके। बलदेव वासियों ने लक्ष्मण पान वाले के निधन पर शोक जताया है।

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