- बलदेव नगर निकाय चुनाव हुआ दिलचस्प
- -एक समाज से 6 प्रत्याशियों के होने के कारण गदा को मिल रहे अच्छे संकेत
बलदेव : ज्यों-ज्यों नगर निकाय चुनाव का समय नजदीय आता जा रहा है, यूं ही बलदेव नगर निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद के दावेदारों का मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। दिलचस्प इसलिए भी माना जा रहा है कि पांडेय समाज से 6 प्रत्याशियों ने दावेदारी ठोक रही है तो सनाढ्य ब्राह्मणों में से दो और अन्य में से एक-एक दावेदार मैदान में है। इसलिए देखा जा रहा है कि क्या कमल ‘कमल‘ को भेद पाएगा या फिर गदा पटखनी देगा ?
इसके लिए हमने बलदेव के कई गणमान्य व्यक्तियों से बात की। इस वार्तालाप में सामने आया है कि एक समाज से कई लोगों द्वारा अध्यक्ष पद पर दावेदारी ठोके जाने के कारण यह मुकाबला थोड़ा बहुत कठिन है, लेकिन दो से चार दिन में बहुत बदल जाने की भी बात सामने आयी है। ऐसा लगता है कि शायद कमल ‘कमल‘ को भेद पाने में कामयाबी हासिल कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो बलदेव कस्बा का यह अध्यक्ष पदीय इतिहास यादगार होगा। क्योंकि लगातार एक अध्यक्ष को दोबारा पदासीन होने पर बहुत बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। हालांकि कोई बड़ी बात नहीं दिख रही है अगर समाज अपने आपको एकजुट करने में कामयाब होती है तो नतीजे भी यादगार होंगे।
यह भी बताते चलें कि पांडेय समाज के मतदाताओं की संख्या अन्य समाज के मतदाताओं से कहीं अधिक है। पहले से यही बात यहां दोहरायी जाती है कि पांडेय समाज जिस तरफ अपनी ऊंगली चला देगा वही नगर पंचायत में अध्यक्ष पद की कुर्सी हासिल करेगा। ऐसा कई बार होते हुए भी देखा है। पांच वर्ष पहले अन्य पिछड़ा वर्ग सीट होने के कारण रामकृष्ण वर्मा चेयरमैन थे। सोनी और अन्य समाज से भी और भी लोगों ने दावेदारी ठोकी थी, लेकिन पांडेय समाज का पूर्ण समर्थन होने के चलते अध्यक्ष पद का ताज रामकृष्ण वर्मा के सिर पर सजा। इस बार कुछ उलट दिख रहा है।
इस बार अनारक्षित सीट होने कारण 10 दावेदार मैदान में है। इनमें से पांडेय समाज के 6 लोगों ने अपनी दावेदारी ठोकी है। वहीं सनाढ्य ब्राह्मणों से दो ने दावेदारी पेश की है। इसके अलावा वैश्य समाज से एक और सोनी समाज से पूर्व चेयरमैन ने फिर से दावेदारी पेश की है। पांडेय समाज से अधिक की दावेदारी होने के कारण वोटों के तितर-बितर होने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही ब्राह्मण समाज के वोट भी दो प्रत्याशी होने कारण बमुश्किल घड़ी में हैं। वहीं वैश्य समाज का पलड़ा भारी इसलिए भी दिख रहा है कि इस समाज से एक प्रत्याशी मैदान में है। यहां वोटो के एकजुट होने की अधिक संभावना है।
वैश्य पलड़ा भारी के संकेत
वैश्य पलड़ा भारी होने के संकेत इसलिए भी नजर आ रहे हैं कि क्योंकि इस बार वैश्य समाज एक रणनीति पर कार्य कर रहा है। सभी में एकजुटता नजर आ रही है। साथ सभी के हाथ एक का पकड़ने की रणनीति देखी जा रही है। इसके साथ ही पांडेय समाज को छोड़कर अन्य समाज से लिंक साधा जा रहा है, चाहे वो कैसे भी टूटे !
भाजपा ने खेला है पांडेय कार्ड
पिछले चुनाव में भाजपा ने वैश्य कार्ड खेलकर डाॅ. मुरारीलाल अग्रवाल को मदान में उतार था, लेकिन इन्हें निर्दलीय प्रत्याशी कमल कुमार पांडेय से 100 से अधिक वोटो से हार का सामना करना पड़ा। शायद इसलिए भी भाजपा ने इस बार पांडेय समाज कार्ड खेलकर अचानक से भाजपा के कई पुराने नेताओं को चैंका दिया। इस बार भाजपा से मेरूकांत पांडेय मैदान में है। गणमान्य व्यक्तियों के अनुसार बात की जाय तो लोकल चुनाव में वह किसी चुनाव चिन्ह् की बेहतरता पर नहीं, बल्कि चेहरे पर वोट देना सुनिश्चित करते हैं और ऐसा हुआ भी है।
ये हैं अध्यक्ष पद के लिए मैदान में
कांग्रेस से मुकेश कुमार, भाजपा से मेरूकांत पांडेय, लोकदल से रामकृष्ण वर्मा, आप से चुनाव चिन्ह् (झाडू) विष्णु पांडेय, निर्दलीय चुनाव चिन्ह् (सितारा) कमल कुमार पांडेय, चुनाव चिन्ह् (गदा) डाॅ. मुरारी लाल अग्रवाल, चुनाव चिन्ह् (हल) देवेश पांडेय, चुनाव चिन्ह् (कंघा) हेमंत कुमार पांडेय, चुनाव चिन्ह् (फरसा) माधव कुमार और चुनाव चिन्ह् (दमकल) ज्ञानेन्द्र पांडेय मैदान में हैं।