रमणरेती/महावन : मथुरा में गोकुल महावन के मध्य उदासीन कार्ष्णि रमणरेती आश्रम में तीन छोटी गाय और एक नन्दी आया है जिनका विधिवत मंत्र उच्चारण शंख ध्वनि के साथ पूजा-अर्चना की गई है।

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले से लाई गई तीन छोटी गाय और एक नन्दी रमणरेती आश्रम में श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं। इन्हें पहुंचने में तीन दिन का समय लगा है।
आश्रम में पहुंचते ही पीठाधीश्वर कार्ष्णि गुरू शरण नंद जी महाराज ने विद्यार्थियों और विद्धान पंडितों के द्वारा उच्चारण किए गए मंत्रों के साथ विधिवत रूप से पूजा अर्चना की है। जिन्हें देखने के लिए आश्रम के सेवादार और विद्यार्थी पहुंच रहे हैं। वहीं श्रद्धालु भी उनके दर्शन कर रहे हैं। यह दुनिया की सबसे छोटी गायें हैं।

आश्रम के मीडिया प्रभारी कार्ष्णि हरदेवा नंद जी महाराज ने बताया कि यह पुंगनूर नस्ल की गाय दक्षित भारत के आंध प्रदेश के चित्तूर जिले में पाई जाती है। यहां के पुंगनूर के स्थान पर ही इस गाय का नाम रखा गया है। इस गाय का दूध 8% वसा के साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है, जबकि सामान्य गाय के दूध में 3 से 3.5% तक ही वसा मिलती है।

गायों का दूध काफी पौष्टिक

इन गायों का रंग सफेद, लंबाई 4.5 फिट और ऊंचाई 3 फिट है। 24 घंटे में करीब 6 किलो लीटर दूध देती है। ये गाय दिखने में ही छोटी है, लेकिन इसकी खूबियां बाकी नस्लों से काफी अलग हैं। इस नस्ल की गाय का दूध भी काफी पौष्टिक रहता है। छोटा कद होने के चलते इनके रख-रखाव में भी आसानी रहती है।

रमणरेती आश्रम में इन गायों के रहने की अलग से विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। जिसमें साफ-सुथरी जगह चारों ओर जाली लगाई गई है। कूलर पंखा की व्यवस्था की गई है। चारे के लिए विशेष तौर पर हरी घास दी जा रही है। बताया गया है कि यह गाय चारे में हरी घास को ज्यादा पसंद करती हैं।

इस मौके पर कार्ष्णि दिव्या नंद महाराज, कार्यालय प्रभारी कार्ष्णि गोविंदा नंद महाराज, कार्ष्णि दिलीप महाराज, अशोक जोशी, दिनेश मिश्रा, सुधीर यादव और आश्रम के विद्यार्थी एवं आचार्य मौजूद रहे।

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