नई दिल्ली : देश के 12 राज्यों में विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) होगा। इसकी घोषणा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में की। उन्होंने बताया कि आज रात से ही इन राज्यों में वोटर लिस्ट फ्रीज हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि SIR का दूसरा चरण शुरू किया जा रहा है। इस चरण में मतदाता सूची के अपडेशन, नए वोटरों के नाम जोड़ने और त्रुटियों को सुधारने का काम किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हमने SIR की शुरुआत बिहार से की थी। यहां SIR कामयाब रहा। इसे लेकर राज्य में जीरो शिकायते मिलीं।
SIR की मुख्य प्रक्रिया को जानिए

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया- SIR के मुख्य पॉइंट्स

चुनाव आयोग ने बताया- SIR की जरूरत क्यों

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा- बिहार में SIR कामयाब रहा
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि नतीजा सबके सामने है। बिहार में SIR कामयाब रहा। दूसरे फेज में 12 राज्यों और UT की वोटर लिस्ट अपडेट करेंगे।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की बैठक
आयोग ने SIR लागू करने की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के साथ हाल ही में दो बैठकें की हैं। कई सीईओ ने अपनी पिछली SIR के बाद जारी की गई वोटर लिस्ट संबंधित राज्यों की वेबसाइट्स पर डाल दी है।
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की वोटर लिस्ट है। वहां 2008 में SIR हुई थी। उत्तराखंड में, अंतिम बार SIR 2006 में हुई थी वहां तब की वोटर लिस्ट अब राज्य सीईओ की वेबसाइट पर है। बिहार में भी हाल में वोटर वैरिफिकेशन हुआ है। फाइनल डेटा एक अक्टूबर को जारी किया गया।
अंतिम SIR कट-ऑफ डेट के रूप में काम करेगी
- राज्यों में अंतिम SIR कट-ऑफ डेट के रूप में काम करेगी, ठीक उसी तरह जैसे बिहार की 2003 की वोटर लिस्ट का उपयोग चुनाव आयोग ने SIR के लिए किया था।
- अधिकांश राज्यों में वोटर लिस्ट का अंतिम बार SIR 2002 और 2004 के बीच हुआ था। दिल्ली में 2008 में और इससे पहले उत्तराखंड में 2006 में SIR हुआ था।
- अधिकांश राज्यों ने अपने-अपने राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में हुए अंतिम SIR के अनुसार वर्तमान वोटर्स का मिलान लगभग पूरा कर लिया है।
- SIR का प्राथमिक उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें बाहर निकालना है। यह कदम बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न राज्यों में अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर महत्वपूर्ण है।
मतदाता सूची को अपडेट करना मकसद
आयोग का दावा है कि उनका पूरा ध्यान केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल, असम और पुडुचेरी पर है, जहां मई 2026 तक चुनाव होने हैं। SIR का उद्देश्य मतदाता सूचियों में दोहरे मतदाताओं को हटाना और यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता भारतीय नागरिक है। ऐसी समीक्षा 2 दशक बाद हो रही है, क्योंकि शहरीकरण और माइग्रेशन बढ़ने से इसकी जरूरत महसूस हुई। यहां हालात ऐसे आंध्र प्रदेश में 2003-2004 5.5 करोड़ मतदाता थे, अब 6.6 करोड़ हैं। उत्तर प्रदेश में 2003 में 11.5 करोड़ थे, अब 15.9 करोड़ हैं। दिल्ली में 2008 में 1.1 करोड़ थे, अब 1.5 करोड़ हैं। बैठक में तय हुआ कि बीएलओ हर मतदाता के घर जाकर प्री फील्ड फॉर्म पहुंचाएंगे। इस प्रक्रिया में 31 दिसंबर तक 18 वर्ष के हर मतदाता को शामिल माना जाएगा। देशभर में 99 करोड़ 10 लाख मतदाता हैं। इनमें से बिहार 8 करोड़ मतदाताओं की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 2002 से 2004 के बीच SIR में 70 करोड़ मतदाता दर्ज हुए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि 21 करोड़ मतदाताओं को ही जरूरी दस्तावेज देने होंगे।
बिहार में SIR को लेकर विवाद हुआ
बिहार में चुनाव के पहले SIR को लेकर विवाद हुआ था। विपक्षी दलों ने सरकार पर वोट चोरी का आरो लगाया था। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस अभी भी चल रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया को सही करार दिया। आयोग ने बिहार की अंतिम वोटर लिस्ट सुप्रीम कोर्ट में भी सौंपी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने वोट चोरी का आरोप लगाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।
चुनाव आयोग ने कहा- ऑनलाइन वोट डिलीट करना संभव नहीं
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों पर 19 सितंबर को लेटर जारी करते हुए कहा था- कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन वोट डिलीट नहीं कर सकता। वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया केवल कानूनी नियम और सुनवाई के बाद ही होती है। आयोग के मुताबिक,

कर्नाटक के आलंद में 2023 में 6,018 आवेदन आए थे, जिनमें से सिर्फ 24 सही और 5,994 गलत पाए गए। संदिग्ध गतिविधि पर आलंद पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कर जांच कलबुर्गी पुलिस को सौंपी गई। वहीं, महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले की राजुरा सीट पर 7,792 नए वोटर रजिस्ट्रेशन में से 6,861 गलत निकले और मामला पुलिस तक पहुंचा।
इन 12 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में होगा एसआईआर
पूरे देश में एसआईआर चरणबद्ध तरीके से होगा। जिन 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में एसआईआर किया जाना है। इसमें अंडमान और निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुद्दुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इन राज्यों में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 51 करोड़ हैं, जबकि यहां 5 लाख 33 हजार से ज्यादा पोलिंग स्टेशन और बीएलओ तैनात किए जाएंगे।
इन राज्यों में किया जा सकता है एसआईआर
हालांकि, अभी तक पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन अधिकारियों के अनुसार पहले चरण में 10 से 15 राज्य शामिल होंगे। इनमें ऐसे राज्य होंगे, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन राज्यों में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुद्दुचेरी शामिल हैं। एसआईआर में मतदाता सूची की संपूर्ण समीक्षा की जाएगी और आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। भारतीय निर्वाचन आयोग ने देशभर में एसआईआर अभियान की तैयारियां की तैयारी में है। ईसी के शीर्ष अधिकारियों ने हाल ही में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठक की है।

