नई दिल्ली : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अधिकारियों के साथ हाई लेवल मीटिंग करते हुए राज्य के शिक्षकों के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि अब किसी भी हाल में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को छात्रों के पठन-पाठन के अलावा अन्य कार्यों में नहीं लगाया जाएगा। शुक्रवार को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (Department of School Education & Literacy) की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक सिर्फ बच्चों को पढ़ाने का कार्य करेंगे। उन्होंने विभाग को इसे लेकर नियमावली भी तैयार करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शिकायत मिली थी कि जिला स्तर पर शिक्षकों को दूसरे कार्यों में प्रतिनियुक्त कर दिया जाता है। कई बार शिक्षकों को राशन वितरण की निगरानी में लगा दिया जाता है तो कई बार बालू के खनन पर रोक लगाने के लिए चेकपोस्ट पर तैनात कर दिया जाता है। इस शिकायत के बाद ही मुख्यमंत्री ने मीटिंग करते हुए राज्य के मुख्य सचिव तथा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को स्पष्ट आदेश दिए। उन्होंने कहा कि विभाग यह सुनिश्चित करे कि जिला के उपायुक्त जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ बैठक कर गुणवत्ता शिक्षा के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य करे।
मुख्यमंत्री ने बैठक में आगे कहा कि झारखंड एजुकेशन रिफॉर्म की ओर आगे बढ़ रहा है। पहले चरण में 80 स्कूलों को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया गया है। वहीं सभी वर्ग और समुदाय के लोगों ने शिक्षा के क्षेत्र में की गई इस नई पहल को सराहा है। सीएम ने कहा कि बच्चों ने भी नामांकन में रुचि दिखाई है। अभिभावकों में बच्चों के क्वालिटी एजुकेशन को लेकर राज्य सरकार के प्रति विश्वास जगा है।