- जीएलए के विधि संस्थान में आयोजित हुआ साइबर सिक्योरिटी और डेटा प्राइवेसी पर व्याख्यान
मथुरा : जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के विधि संस्थान (लाॅ) में विद्यार्थियों को साइबर लॉ, डाटा प्राइवेसी एवं उससे जुड़े अन्य मुद्दों से अवगत कराने के लिए अतिथि व्याख्यान आयोजित किया। व्याख्यान में राश्ट्रीय विधि विष्वविद्यालय, भोपाल के प्रोफेसर एवं साइबर सुरक्षा एवं डाटा प्राइवेसी विषेशज्ञ ने सरुक्षा से जुडे़ मुद्दों और डाटा से जुड़े कानून के बारे में जानकारी दी।
एनएलआईयू भोपाल के प्रोफेसर डाॅ. अस्तित्व भार्गव साइबर सुरक्षा एवं डाटा प्राइवेसी जैसे विषयों के जाने माने ज्ञाता हैं। अपने व्याख्यान में उन्होंने भारतीय कानूनों की तुलना विदेश के साइबर कानूनों से की। उन्होंने कहा कि आधुनिक दुनिया में औसत व्यक्ति जितनी आसानी से ऑफलाइन रहता है उतनी ही आसानी से ऑनलाइन रहता है और लेनदेन करता है। हालांकि, उन्हें उसी तरीके से विनियमित या जवाबदेह नहीं ठहराया जा रहा है। दो मोर्चों पर सुरक्षा की जरूरत है। सबसे पहले, निवारक सुरक्षा की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए इंटरनेट पर किसी व्यक्ति की गतिविधि के मद्देनजर एक विशाल डिजिटल पदचिह्न छोड़ दिया जाता है, जिसके दुरुपयोग की बड़ी संभावना होती है। इस तरह के डेटा को सुरक्षित, अज्ञात और संरक्षित करने की गंभीर आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि आज 21वीं सदी में हर देश अपने दुश्मन देश पर हैकिंग या अन्य प्रकार के साइबर हमले करवा रहा है, जैसा कि ज्यादातर चीन भारत में अपने मोबाइल फोन, एप्लीकेशन या अन्य प्रकार से साइबर हमले करता है और गोपनीय डाटा को लेकर जासूसी करता है। इसी के साथ ही उन्होंने डाटा प्राइवेसी साइबर लॉ से जुड़े रोजगार के अवसरों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विधि के विद्यार्थियों के पास रोजगार के तमाम अवसर हैं। जरूरत है तो सिर्फ और सिर्फ कानून को अधिक से अधिक पढ़कर उसके बारे में जानने और उसके प्रयोग करने की। भारतीय कंपनियां भी साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी के लिए आगे बढ़ रही है। वह विषेशज्ञों को अपने यहां रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं।
कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने कहा कि विधि संस्थान अपने विद्यार्थियों को बेहतर से बेहतर कानूनी जानकारी देने और उसका अध्ययन कराने के लिए विधि विषेशज्ञों को विश्वविद्यालय में आमंत्रित करता है। क्लास रूम से अलग हटकर कानूनी प्रयोगों पर विद्यार्थियों को जानकारी दी जा रही है।
जीएलए विधि संस्थान के डीन प्रो. आलोक वर्मा ने कहा कि आज के समय में मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग अधिक बढ़ जाने के कारण साइबर सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी जितना कि अपने डेटा की प्राइवेसी। लोगों के डेटा के गलत प्रयोग हेतु साइबर अपराधी साइबर क्राइम को अंजाम देते हैं। इस कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी होना बेहद आवश्यक है।
विधि के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अरुणांशु दुबे ने भी छात्रों को साइबर लॉ एवं डाटा प्राइवेसी जैसे मुद्दों पर ज्ञानवर्धन किया। व्याख्यान में धन्यवाद प्रस्ताव सहायक प्राचार्य डॉ. सौमी चटर्जी ने दिया।